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टेरर फंडिंग मामले में तिहाड़ में बंद अलगाववादी का भाई भी चुनावी रण में, मुनीर ने बारामूला से भरा नामांकन; ये है एजेंडा

आने वाली 20 मई को बारामूला सीट (Baramulla Lok Sabha Seat) चुनाव होने हैं। इसी क्रम में टेरर फंडिंग के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद अलगाववादी नईम खान के भाई मुनीर खान ने भी इस सीट से पर्चा भरा है। उन्होंने कहा कि वह कश्मीर में थ्री ई-एजुकेशन इकोनॉमी इंप्लाइमेंट को लेकर चुनावी मैदान में शिरकत कर रहे हैं

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Published: Sat, 04 May 2024 11:47 AM (IST)Updated: Sat, 04 May 2024 11:47 AM (IST)
टेरर फंडिग मामले में तिहाड़ में बंद अलगाववादी का भाई भी चुनावी रण में

नवीन नवाज, श्रीनगर। Jammu Kashmir News: बारामूला संसदीय सीट से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में टेरर फंडिंग के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद अलगाववादी नईम खान के भाई मुनीर खान भी शामिल हैं। शुक्रवार को नामांकन पत्र जमा कराने के बाद उन्होंने कहा कि मेरा एजेंडा कश्मीर में थ्री ई- एजुकेशन, इकोनामी, इंप्लाइमेंट (शिक्षा, आर्थिकी व रोजगार) है।

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उन्होंने जम्मू कश्मीर नेशनलिस्ट पीपुल्स फ्रंट (जेकेएनपीएस) के उम्मीदवार के रूप में नामांकन जमा कराया है। वह बीते माह इस संगठन में शामिल हुए थे। दैनिक जागरण से टेलीफोन पर उन्होंने कहा कि मुझे अलगाववाद की राजनीति में दिलचस्पी नहीं रही है और न भाई की राजनीति का कभी हिस्सा बना।

अतीत में कई गलतियां हुई हैं: मुनीर

कश्मीर में आतंकी हिंसा और अलगाववाद कड़वी सच्चाई है, जिसे आप नहीं नकार सकते। पेशे से ठेकेदार मुनीर ने कहा कि यहां अतीत में कई गलतियां हुई हैं, जिससे यहां आतंकवाद और अलगाववाद को पनपने का मौका मिला। कश्मीरियों की छवि पत्थरबाज और आतंकियों की बना दी गई।

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उन्होंने कहा कि हमें कश्मीर के असली मुद्दों को समझना होगा, उनका समाधान तलाशना होगा तभी तो हम विकसित नया कश्मीर बना पाएंगे।

सभी वर्गों को साथ लेकर बढ़ना होगा

इसके लिए जरूरी है कि कश्मीर के सभी लोगों को विशेषकर जिन्होंने कभी बंदूक या पत्थर थामा था, जिन्होंने अलगाववाद का नारा लगाया था, को मुख्यधारा में शामिल होने का मौका दें।

हमें यह नहीं सोचना है कि ये अलगाववादी है, ये राष्ट्रवादी है, ये भाजपा है ये नेकां है बल्कि हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी वर्गों को साथ लेकर आगे बढ़ना होगा।

उन्होंने कहा कि मैंने जेकेएनपीएफ में शामिल होने का फैसला सोच समझकर किया है। यह संगठन घाटी में तीन-चार साल से काम कर रहा है। अपने चुनावी एजेंडे का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर की इस समय सबसे बड़ी समस्या शिक्षा, कारोबार और रोजगार है।

यहां आतंकी हिंसा और प्राकृतिक कारणों से अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचा है। हम यहां कुटीर उद्योगों को, हस्तशिल्प और कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ सूचना प्रौद्योगिकी का केंद्र बनाएंगे।

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