Machli Palan: कटिहार की रंगीन मछलियों की बढ़ी डिमांड, मत्स्य पालन के लिए मिलेंगे 5 लाख रुपये
Fish Farming in Bihar बिहार के कटिहार जिले में मछली उत्पादन को लेकर कई तरह की योजना चलाई जा रही हैं। रंगीन मछली पालन में पश्चिम बंगाल पर आत्मनिर्भरता कम करने के लिए भी जिले में कई प्रकार की रंगीन मछली का उत्पादन होने लगा है। इस कारण कोलकाता से रंगीन मछली का व्यापार करने में 80 प्रतिशत तक की कमी आई है।
प्रदीप गुप्ता, कटिहार। Fish Farming in Katihar कटिहार जिले में आंध्र प्रदेश की तरह मछली उत्पादन को लेकर कई तरह की योजना चलाई जा रही हैं। रंगीन मछली पालन के क्षेत्र में भी बंगाल से आत्मनिर्भरता को कम करने के लिए भी जिले में कई प्रकार की रंगीन मछली का उत्पादन होने लगा है। जिसके कारण पश्चिम बंगाल के कोलकाता से रंगीन मछली का व्यापार करने में 80 प्रतिशत तक की कमी आई है।
बंगाल से आधी कीमत पर रंगीन मछली मिलने के कारण स्थानीय स्तर पर एक्वेरियम में इसका पालन करने के शौकीन लोगों को आसानी से उपलब्ध हो जाती है। मत्स्य विभाग द्वारा इस ओर पहल करते हुए रंगीन मछली पालन को बढ़ावा देने को लेकर अलंकारी योजना चलाकर अनुदान भी दिया जा रहा है।
जिले से उत्पादित विभिन्न प्रकार की रंगीन मछली कोसी व सीमांचल के विभिन्न जिलों तक डिमांड के आधार पर पहुंच रही है। बिहार मत्स्य हेचरी छीटाबाड़ी में राजेश कुमार द्वारा 20 प्रकार की करीब 30 हजार रंगीन मछली का उत्पादन प्रति वर्ष करने के साथ ही इसका व्यापार किया जा रहा है।
हेचरी में में गोल्ड फीस,मोली,मिल्की,रेड गोल्ड सहित कई प्रकार के मछली का उत्पादन कर डिमांड को पूरा किया जा रहा है। व्यापारी इनसे मछली खरीद कर विभिन्न जिले में इसका व्यापार कर रहे है।
रंगीन मछली की कीमत पांच रूपये से लेकर एक सौ रूपया प्रति एक मछली की दर है। जबकि कोलकाता से आयात करने पर कीमत इससे दोगुनी भुगतान करना पड़ता था।
राजेश ने छोटे स्तर पर रंगीन मछली के उत्पादन का काम शुरू किया। वर्तमान में यह बड़ा रूप ले लिया है। कृषि विभाग द्वारा आयोजित होने वाली प्रदर्शनी में रंगीन मछलियों का स्टाल लगाया जाता है।
विभाग से मिल रहा योजना का लाभ
मत्स्य विभाग द्वारा अलंकारी मत्स्य बीज प्रजनन योजना के तहत रंगीन मछली के उत्पादन को लेकर लाभ दिया जा रहा है। इस योजना की लागत राशि 11 लाख 50 हजार रूपया है। जिसमें विभाग द्वारा पांच लाख 75 हजार रूपया अनुदान दिया गया है।
क्या कहते हैं हेचरी संचालक
मछली के जीरा व बच्चा पालन क्षेत्र में कोलकाता से रंगीन मछली के व्यापार को देखते हुए इस क्षेत्र में प्रशिक्षण लेकर रंगीन मछली के उत्पादन का काम शुरू किया। मत्स्यपालक को भी मछली पालने को लेकर प्रशिक्षण देते है।
वहीं, रंगीन मछली पालन के शौकीन के डिमांड को पूरा करने के लिए हेचरी में रंगीन मछली का उत्पादन होता है। कोलकाता के अनुपात में आधी कीमत पर शौकीन लोगों को रंगीन मछली मिल जाती है।
क्या कहते हैं अधिकारी?
रंगीन मछली की डिमांड को देखते हुए विभाग द्वारा इसके व्यापार को बढ़ावा देने को लेकर अलंकारी योजना का लाभ मत्सयपालकों को दिया जा रहा है। 20 तरह की 30 हजार रंगीन मछली का उत्पादन जिले में किया जा रहा है। एक्वेरियम सहित अन्य तरह से मछली पालन का शौक रखने वाले लोगों के बीच इसकी डिमांड बढ़ी है। कोसी व सीमांचल के इलाके में भी इसकी मांग है।- अनिल कुमार, जिला मत्स्य पालन पदाधिकारी
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