Move to Jagran APP

'सख्त कार्रवाई के लिए मजबूर कर रहे मुख्य सचिव', भर्ती भ्रष्टाचार मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने आखिर यह क्यों कहा?

बंगाल के मुख्य सचिव ने भर्ती भ्रष्टाचार मामले में गुरुवार को आरोपित सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा प्रक्रिया शुरू करने के लिए राज्य से सीबीआई द्वारा मांगी गई मंजूरी पर निर्णय लेने के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट से फिर से सात हफ्ते का समय मांगा। गौरतलब है कि कोर्ट इससे पहले राज्य को फैसला लेने के लिए चार बार समय दे चुका है।

By Jagran News Edited By: Anurag GuptaPublished: Thu, 02 May 2024 06:45 PM (IST)Updated: Thu, 02 May 2024 06:45 PM (IST)
कलकत्ता हाई कोर्ट में भर्ती भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल के मुख्य सचिव ने भर्ती भ्रष्टाचार मामले में गुरुवार को आरोपित सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा प्रक्रिया शुरू करने के लिए राज्य से सीबीआई द्वारा मांगी गई मंजूरी पर निर्णय लेने के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट से फिर से सात हफ्ते का समय मांगा।

loksabha election banner

याचिका के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश जयमाल्य बागची ने कहा कि मुख्य सचिव हमें सख्त कार्रवाई करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। क्या यह न्यायिक प्रक्रिया में देरी करने की चाल है? हमें लगता है कि वह जानबूझकर हमारे आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। गौरतलब है कि कोर्ट इससे पहले राज्य को फैसला लेने के लिए चार बार समय दे चुका है।

यह भी पढ़ें: 'CBI हमारे नियंत्रण में नहीं', ममता बनर्जी की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में बोली केंद्र सरकार

पार्थ चटर्जी के वकील को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची ने कहा कि इस अदालत ने उन्हें अनुमति देने के लिए मजबूर नहीं किया है। उन्हें अपना निर्णय देने के लिए कहा गया है। उन्हें अपना कर्तव्य निभाने के लिए कहा गया है। इस पर सुनवाई प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत है। लोकतंत्र में एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा ऐसी कार्रवाई वांछनीय है। हमें आश्चर्य नहीं होगा अगर मुख्य सचिव अनुमति नहीं देते हैं। हमें लगता है कि यह एक संस्थागत साजिश है।

'मंत्री नहीं हैं पार्थ'

जस्टिस जयमाल्य बागची ने यह भी कहा कि हमारे मन में इस बात को लेकर काफी संदेह है कि क्या यहां पारदर्शी और निष्पक्ष न्यायिक प्रक्रिया संभव है। हालांकि उस मामले पर अंतिम फैसला जांच एजेंसी को लेना है। भले ही पार्थ चटर्जी मंत्री नहीं हैं, लेकिन हम अदालत कक्ष में बैठकर उनकी शक्ति को महसूस कर सकते हैं। क्या यह नौकरशाही है या इसके पीछे कुछ और है? जस्टिस बागची ने कहा कि आप अदालत के नियम की अवमानना को आमंत्रित कर रहे हैं। माफी मांगें या मामले को चुनौती दें।

यह भी पढ़ें: कलकत्ता HC ने भाजपा कार्यकर्ता के शव का दोबारा पोस्टमार्टम कराने का दिया आदेश, परिवार ने कांग्रेस पर लगाया हत्या का आरोप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.