Gorakhpur News: गोरखपुर में जनहानि न हो, जर्जर मकान भी खरीदेगा प्रशासन; इस वजह से लिया गया फैसला
गोरखपुर में मेडिकल कालेज के पीछे से रामगढ़ताल तक 10 किलोमीटर की लंबाई में गोड़धोइया नाला का निर्माण हो रहा है। पहले चरण में चार किलोमीटर की लंबाई में नाला बन रहा है। नाला की जद में आने वाले सैकड़ों मकानों को प्रशासन ने पहले चिह्नित किया था। इसके बाद जमीन के साथ ही मकान की रजिस्ट्री करा ली थी।
दुर्गेश त्रिपाठी, गोरखपुर। गोड़धोइया नाला के निर्माण के कारण जिन मकानों में दरार पड़ गई है या जिनकी नींव हिल गई है, उन्हें प्रशासन खरीद लेगा। नाला निर्माण के बीच वर्षा के पहले खरीद की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगा। वर्षा में यदि मकान गिर भी जाएगा तो जानमाल का कोई नुकसान नहीं होगा।
प्रशासन ने इस पर गंभीरता से काम शुरू कर दिया है। दो दिनों तक इसके लिए मकानों का सर्वे भी हुआ है। मंगलवार तक सर्वे की रिपोर्ट प्रशासन के पास पहुंच जाएगी। इसके बाद खरीद की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पहले ही मकान का ज्यादा हिस्सा बेच चुके लोगों के सामने अब बेघर होने का संकट पैदा हो गया है।
मेडिकल कालेज के पीछे से रामगढ़ताल तक 10 किलोमीटर की लंबाई में गोड़धोइया नाला का निर्माण हो रहा है। पहले चरण में चार किलोमीटर की लंबाई में नाला बन रहा है। नाला की जद में आने वाले सैकड़ों मकानों को प्रशासन ने पहले चिह्नित किया था। इसके बाद जमीन के साथ ही मकान की रजिस्ट्री करा ली थी। इस रजिस्ट्री के बाद ज्यादातर लोगों के मकान का कुछ हिस्सा बच गया था।
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नागरिकों ने नाले की जद में आने वाला निर्माण ध्वस्त करने के बाद बचे हिस्से को दुरुस्त कर लिया था। कुछ दिनों पहले जब नाला निर्माण के लिए खोदाई शुरू हुई तो मकानों की नींव हिलनी शुरू हो गई। हालांकि जल निगम के ठीकेदार ने मकानों की नींव के पास लोहे की चादर लगाकर काम शुरू किया लेकिन कई जगह दबाव बढ़ने पर चादर भी काम नहीं आए।
दरार से जर्जर हो गया है मकान
नाले से बिल्कुल सटकर बनाये गए मकानों में तभी दरार आ गई थी, जब भवन स्वामी उसे तोड़ रहे थे। इसके बाद खोदाई और बड़ी मशीनों से काम शुरू हुआ तो मकान की नींव भी हिलने लगी। राज नगर कालोनी में राजेश श्रीवास्तव, अमर मिश्र, जंगशेर सिंह, बीके पांडेय आदि के मकान में इतनी दरार आ गई है कि लोग देखकर हैरान हैं।
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पहले ही खरीद लेते तो कष्ट न होता
राजस्व विभाग से जुड़े अधिकारी दो दिन से गोड़धोइया नाला के किनारे जर्जर हो चुके मकानों के मालिकों से मिल रहे हैं। उनसे कहा जा रहा है कि मकान की रजिस्ट्री के लिए तैयार रहें क्योंकि मकान कभी भी गिर सकता है। नागरिकों का कहना है कि यदि खरीदना ही था तो पूरा मकान व जमीन पहले ही ले लिए होते। पहले कुछ हिस्सा बेचा और श्रमिक लगाकर उसे तोड़ा। फिर राजगीर मिस्त्री से निर्माण कराया। इसमें लाखों रुपये खर्च हुए। अब कहा जा रहा है कि मकान बेचना होगा।
हरसेवकपुर नंबर दो निवासी अनिता द्विवेदी ने कहा कि प्रशासन ने जमीन और मकान का एक हिस्सा खरीदा तो बचे हिस्से में फिर से निर्माण कराया। अब नाला निर्माण से मकान को खतरा पैदा हो गया है। समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें।
राज नगर कालोनी राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि ठीकेदार और जल निगम के अभियंताओं की लापरवाही के कारण मेरा मकान में कई जगह दरार पड़ गई है। अधिकारी कह रहे हैं कि मकान खाली कर दीजिए। उनकी लापरवाही का खामियाजा हम क्यों भुगतें।
हरसेवकपुर नंबर दो निवासी अनिल श्रीवास्तव ने कहा कि तकरीबन नौ सौ वर्गफीट के मकान में से तीन सौ वर्गफीट से ज्यादा जमीन और मकान प्रशासन ने खरीद लिया था। बचा हिस्सा नाले से सटकर है। निर्माण कार्य शुरू होगा तो मकान पर खतरा बढ़ेगा।
डीएम कृष्णा करुणेश ने कहा कि गोड़धोइया नाला के निर्माण में सुरक्षा के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता। नाले के किनारे बने ज्यादातर मकानों की नींव एक मीटर ही नीचे है जबकि नाला के लिए पांच मीटर नीचे तक खोदाई की जा रही है। ऐसे में जल निगम की ओर से नाला से सटे कुछ भवनों के क्षतिग्रस्त होने की आशंका जताई जा रही है। इसे ध्यान में रखते हुए सर्वे कराया जा रहा है। समझौते के आधार पर ऐसे भवनों को जमीन समेत खरीदा जाएगा। अभी चार किमी के दायरे में सर्वे चल रहा है।