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सऊदी में फंसे हैं झारखंड के 45 मजदूर, कुवैत में जान की भीख मांग रहा दशरथ; सरकार से मदद की लगाई गुहार

झारखंड के मजदूरों रोजी-रोटी की तलाश में कतर और सऊदी अरब गए। हालांकि गिरिडीह बोकारो और हजारीबाग के 45 से अधिक मजदूर अब पराए मुल्क में खानाबदोश की जिंदगी जी रहे। इधर उनके परिवार टकटकी लगाए सरकार की मदद की आस में बैठे हैं कि हस्तक्षेप करे तो उनके अपनों की घर वापसी हो सके। दशरथ हांसदा कुवैत में फंसा है और जान की भीख मांग रहा।

By Deepak Kumar Pandey Edited By: Shashank Shekhar Published: Sat, 25 May 2024 10:44 AM (IST)Updated: Sat, 25 May 2024 10:44 AM (IST)
सऊदी में फंसे हैं झारखंड के 45 मजदूर, कुवैत में जान की भीख मांग रहा दशरथ (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, गिरिडीह। घर से जब निकले तो आंखों में यही उम्मीद थी कि दो वक्त की रोटी कमा सकेंगे। बाल-बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा सकेंगे और तंगहाली से परिवार दूर रहेगा, पर अब स्थिति यह है कि दोनों वक्त खुद का भी पेट भरना मुश्किल हो रहा है।

और तो और, जान बचाने के लिए मारे-मारे फिर रहे! यह व्यथा है कतर और सऊदी अरब में रह रहे झारखंड के मजदूरों की, जिन्होंने रोजी-रोटी की तलाश में देश की सरहद लांघी थी।

गिरिडीह, बोकारो और हजारीबाग के ऐसे 45 से अधिक मजदूर अब पराए मुल्क में खानाबदोश की जिंदगी जी रहे। इधर, उनके स्वजन टकटकी लगाए बैठे हैं कि सरकार हस्तक्षेप करे तो उनके अपनों की घर वापसी हो सके।

बकाया वेतन मांगा तो लगा दिया चोरी का इल्जाम

हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ का रहने वाला दशरथ हांसदा कुवैत में फंसकर अपनी जान की भीख मांग रहा। दशरथ ने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले अक्टूबर 2022 में खलारी निवासी पप्पू खान के कहने पर रोजगार की तलाश में 85 हजार रुपये कर्ज लेकर कुवैत गया था।

पप्पू खान कुवैत में जिस कारोबारी के यहां वाहन चलाता था, वहीं उसने उसकी भी नौकरी लगवाई और खुद भारत वापस आ गया। कुवैत से निकलते समय पप्पू ने बताया कि यहां काम करना मुश्किल है। दशरथ के अनुसार, पहले दिन से कुवैत में उसकी दुर्दशा शुरू हो गई थी। कंपनी ने तनख्वाह तक नहीं दी।

वहां उसे अकील राधी दौश ने वाहन चालक का काम दिया था, लेकिन पैसे मांगने पर कहा कि पप्पू के ऊपर उसके पैसे बकाया हैं और वही उसे बंधक बनाकर चला गया है। पैसे के लिए दबाव बनाने पर अकील ने उसपर टायर चोरी का इल्जाम लगाकर केस कर दिया। मामले में उसे जेल तक जाना पड़ा। कंपनी ने उसका पासपोर्ट तक जब्त कर लिया।

दशरथ का कहना है कि अब वह पराये मुल्क में चोरों की तरह भाग-दौड़ कर जीवन गुजार रहा है। कभी भोजन मिलता है तो कभी भूखे पेट सोना पड़ता है। दूसरी ओर, घर में पत्नी और बच्चे टकटकी लगाए उसकी वापसी का इंतजार कर रहे। दशरथ का कहना है कि एक ओर वह अपने परिवार से मिलने के लिए भारत सरकार की मदद का इंतजार कर रहा है तो दूसरी ओर उसकी पत्नी व दो बच्चे अकेले पड़कर तिल-तिलकर मर रहे।\B\B

सऊदी अरब में फंसे झारखंड के 45 मजदूरों के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण

सऊदी अरब में फंसे झारखंड के 45 मजदूरों के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण हो चुकी है। पिछले साल मई महीने में सऊदी अरब गए इन मजदूरों का वीजा पांच माई को एक्सपायर हो चुका है। वहीं दूसरी ओर, जहां यह काम कर रहे थे, उस कंपनी ने कुछ मजदूरों का चार माह का तो कुछ का सात माह का वेतन बकाया रखा है।

दैनिक जागरण ने उनकी व्यथा को कई बार सार्वजनिक किया पर, अब तक उनकी स्वदेश वापसी केलिए सरकारों ने काम नहीं की। काम की तलाश में सऊदी अरब गए मजदूरों में गिरिडीह, हजारीबाग और बोकारो के मजदूर शामिल हैं। 11 मई 2023 को ये सभी मजदूर सऊदी अरब गए थे।

मजदूरों का कहना है कि काम लेकर वेतन भुगतान करने के नाम पर कंपनी मुकर जाती है। काम करने के बावजूद हाजिरी काट ली जाती है। मजदूरों का कहना है कि उनकी स्थिति बिल्कुल बदहाल हो चुकी है। सरकार किसी तरह उनकी जान बचा ले।

काम की तलाश में ये गए थे सऊदी अरब

काम की तलाश में सऊदी गए मजदूरों में गिरिडीह के अर्जुन महतो, भागीरथ महतो, टेकलाल महतो, संतोष साव, महेश साव, कमलेश्वर साव, महेश महतो, रीतलाल महतो, विजय महतो, अशोक महतो, सोहन महतो, सुभाष कुमार, जानकी महतो, इंद्रदेव महतो, गणेश साव, राजेश महतो, बोकारो के जगदीश महतो, रामचंद्र महतो, प्रदीप महतो, मनोहर महतो समेत हजारीबाग के सहदेव रजवार, रूपलाल महतो, बहादुर महतो, नागेश्वर महतो, शीतल महतो, रोहित महतो, मेघलाल महतो, रंजनराज मेहता, भैरव महतो, सुकर महतो, नंदलाल महतो, लोकनाथ महतो, सुनील महतो, तिलक महतो, थानेश्वर महतो, महानंद पटेल, प्रमोद महतो, अनंतलाल महतो, तापेश्वर महतो, टोकन सिंह, धनेश्वर महतो, चुरामन महतो, भुनेश्वर महतो, जितेंद्र महतो और बालगोविंद महतो शामिल हैं।

ये सभी केरल निवासी एजेंट आरएस पांडियन व एलके स्वामी द्वारा सऊदी भेजे गए थे। रोजगार के लिए सऊदी जाने के एवज में हर मजदूर ने 55 हजार रुपये एजेंट को दिए थे। पैसे आरएस पांडियन के बेटे एस. मनिबाला के खाते में जमा कराए गए थे। सऊदी अरब पहुंचने पर कंपनी के लोगों ने इनका पासपोर्ट तक जब्त कर लिया।

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