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Lok Sabha Election 2024: येदियुरप्पा के लिए अपने ही क्यों बने चुनौती? क्या भाजपाई ही चाहते हैं बेटे की हार?

Shimoga Lok Sabha Election 2024 कर्नाटक की हाई प्रोफाइल सीट शिमोगा से भाजपा के टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई राघवेंद्र चुनावी मैदान में है। उनके मुकाबले कांग्रेस ने कन्नड़ सुपरस्टार शिवराजकुमार की पत्नी गीता शिवराजकुमार को उतारा है। लेकिन येदियुरप्पा को चुनौती अपनों से भी मिल रही है। समझें इस सीट का पूरा सियासी समीकरण. . . .

By Sachin Pandey Edited By: Sachin Pandey Published: Sat, 27 Apr 2024 01:25 PM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2024 01:25 PM (IST)
Shimoga Lok Sabha Election 2024: शिमोगा सीट पर येदियुरप्पा परिवार का 2009 से कब्जा है।

अरविंद पांडेय, शिमोगा। कर्नाटक की हाईप्रोफाइल सीट शिमोगा (शिवमोग्गा) का नाम वैसे तो भगवान शिव के नाम पर है, लेकिन राजनीतिक संदर्भ में मौजूदा समय इसकी पहचान राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के गढ़ के रूप में है। रोचक बात यह है कि भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे येदियुरप्पा के बेटे बीवाई राघवेंद्र को सीधी चुनौती तो कांग्रेस के उम्मीदवार और कन्नड़ सुपरस्टार शिवराजकुमार की पत्नी गीता शिवराजकुमार से मिल रही है, लेकिन दूसरी सच्चाई यह है कि भाजपा के कई नेता भी छुपे तौर पर यह चाह रहे हैं कि भाजपा यह सीट हार जाए।

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कारण सिर्फ इतना है कि वह इसी बहाने येदियुरप्पा परिवार के प्रभाव को कम करना चाहते हैं। इसमें चुनावी राजनीति से संन्यास ले चुके येदियुरप्पा के साथ साथ वर्तमान सांसद व उम्मीदवार राघवेंद्र और प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र शामिल हैं। येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री कार्यकाल में उपमुख्यमंत्री रह चुके केएस ईश्वरप्पा इस बात से नाराज हो गए कि उनके बेटे को टिकट नहीं दिया गया और अब इस घोषणा के साथ यहां से ताल ठोक दी है कि वह भाजपा उम्मीदवार को हराना चाहते हैं, जबकि कई नेता चुप्पी साधकर आनंद ले रहे हैं।

येदियुरप्पा का प्रभाव

कर्नाटक में भाजपा के अंदर अंदरूनी प्रतिस्पर्धा काफी समय से रही है। लेकिन यह सच्चाई भी है कि येदियुरप्पा का प्रभाव बहुत ज्यादा रहा है और आज के दिन भी पार्टी ने इसे माना है। इसीलिए येदियुरप्पा के छोटे पुत्र शिमोगा के विधायक विजयेंद्र को प्रदेश की कमान सौंपी गई है। पार्टी के अंदर कई लोग इससे परेशान हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि भाजपा बड़ी संख्या में सीटें जीतने में कामयाब रही तो येदियुरप्पा परिवार का प्रभाव और बढ़ेगा। पर शिमोगा की जमीन कुछ और बयान कर रही है।

वोट तो यहां भी जातियों में बंटे हैं, लेकिन शिमोगा का माहौल बताता है कि इस बार वोट विकास के मुद्दे पर ही पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ही लोग विकास कार्यों को गिना रहे हैं। शिमोगा के वरिष्ठ अधिवक्ता मोहन मूर्ति बताते है कि डेढ़ दशक में शिमोगा की तस्वीर ही बदल गई है। चारों तरफ से नए-नए हाईवे और सड़क बन गई हैं। शिमोगा को राघवेंद्र के प्रयासों से हवाई अड्डा मिला है। अब हम सभी सड़क, रेल के साथ हवाई सेवा से भी जुड़ गए हैं।

गारंटी के आसरे कांग्रेस

शिमोगा में सात मई को होने वाले चुनाव को कांग्रेस प्रत्याशी गीता शिवराजकुमार भी कांग्रेस की गारंटी और क्षेत्र में कांग्रेस की ताकत के दम पर दिलचस्प बनाने में जुटी है। वह लोगों को शिमोगा में और बेहतर काम करके दिखाने का वादा कर रही हैं। हालांकि उन्हें भी अपनों से ही भितरघात की आशंका है। कांग्रेस की गारंटी पर स्थानीय नारियल कारोबारी चेतन का कहना है कि इससे कुछ लोगों को फायदा देने के लिए बाकी लोगों पर बोझ डाल दिया गया है, जैसे महिलाओं के लिए बस यात्रा मुफ्त की गई है, लेकिन बसों के किराये को करीब 20 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है।

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सौ-दो सौ रुपये में होने वाले छोटे-छोटे कामों की दरें जैसे प्रमाण पत्र आदि बनाने की दरें कई-कई गुना बढ़ा दी गई हैं। इसे लेकर लोगों में भारी नाराजगी है। हालांकि इस पूरी लड़ाई में भाजपा नेता ईश्वरप्पा के बगावत कर मैदान में कूदने से भाजपा की चिंताएं बढ़ी हुई हैं। पार्टी से जुड़े रणनीतिकारों का मानना है कि ईश्वरप्पा की मैदान में मौजूदगी से राघवेंद्र की जीत का अंतर कम हो सकता है।

येदियुरप्पा परिवार का कब्जा

शिमोगा सीट पर येदियुरप्पा परिवार का 2009 से कब्जा है। 2009 में उनके बेटे राघवेंद्र ने 52 हजार से अधिक वोट से जीत दर्ज की थी, जबकि 2014 में बीएस येदियुरप्पा खुद मैदान में थे और उन्होंने साढ़े तीन लाख मतों से जीत दर्ज की थी। 2019 में फिर उनके बेटे राघवेंद्र मैदान में थे और उन्होंने 2.23 लाख मतों से जीत हासिल की थी। शिमोगा लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या करीब 16 लाख है। इनमें से 7.82 लाख पुरूष और 7.92 लाख महिला मतदाता है। 2019 के चुनाव में राघवेंद्र ने कुल पड़े मतों में से 56 प्रतिशत लेकर जीत दर्ज की थी।

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