अमेरिका के रक्षामंत्री जेम्स मैटिस अघोषित दौरे पर काबुल पहुंचे
भारत दौरे के वक्त मैटिस ने अफगानिस्तान में भारत के सहयोग की सराहना की और अफगानिस्तान के लोकतांत्रिक, स्थायित्व और सुरक्षा में सहयोग का स्वागत किया।
काबुल, जेएनएन: अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस भारत दौरे के बाद आज अफगानिस्तान पहुंचे। ट्रंप के प्रशासन संभालने के बाद किसी अमेरिकी कैबिनेट मंत्री का यह पहला अफगानिस्तान दौरा है। अफगानिस्तान का उनका दौरा पहले से प्रस्तावित नहीं था। मैटिस अफगानिस्तान दौरे में राष्ट्रपति घनी, अमेरिकी रक्षा अधिकारियों और नाटो सेक्रेट्री जनरल जेन्स स्टोलटेनबर्ग से मिलेंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड़ ट्रंप की ओर से हाल ही में नई अमेरिकी नीति का ऐलान किया गया है, जिसके तहत क्षेत्रीय शक्तियों को ज्यादा अहम रोल दिये जाने की बात कही गयी, जिससे तालिबानी आतंकियों के खिलाफ रणनीति में मदद मिल सके।
भारत दौरे के वक्त मैटिस ने अफगानिस्तान में भारत के सहयोग की सराहना की और अफगानिस्तान के लोकतांत्रिक, स्थायित्व और सुरक्षा में सहयोग का स्वागत किया। भारतीय समकक्ष निर्मला सीतारमण ने काबुल के सहयोग का वादा किया। लेकिन भारतीय फौज भेजने से इनकार किया।
अमेरिकी रणनीतिक के मुताबिक अफगानिस्तान में सैनिकों की संख्या बढ़ायी जाएगी। मैटिस ने ऐलान की माने तो तीन हजार अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान भेजा जाएगा, जिसके बाद अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी सैनिकों की कुल संख्या 14,000 हो जाएगी। अमेरिका की ओर से हाल ही में अफगानिस्तान में मदर ऑफ आल बम गिराया गया था।
एक बयान में कहा गया कि पिछले 16 वर्षों की लड़ाई में अमेरिकी सैनिक प्राथमिक तौर पर युद्ध में शामिल नहीं हुये। उनकी ओर से अफगान डिफेंस फोर्स को सलाह और उपकरण दिये गये। लेकिन अब अमेरिकी रुख में बदल नजर आ रहा है।
ट्रंप की ओर से अफगानिस्तान में स्थायित्व के बाद ही अमेरिकी फौजों को वापस बुलाया जाए। ट्रंप के इस बयान का अफगानिस्तानी डिप्लोमैट की ओर से स्वागत किया गया था। बता दें कि काबुल सरकार का अफगानिस्तान के 60 फीसद हिस्से पर नियंत्रण है, जबकि 40 फीसद तालिबान के नियंत्रण में है।
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