असी गंगा के उद्गम डोडीताल को बचाने के लिए आगे आए बाल वैज्ञानिक
समुद्रतल से 3024 मीटर की ऊंचाई पर वर्ष 2012 की आपदा के बाद से उपेक्षित पड़े असी गंगा के उद्गम डोडीताल की पहली बच्चों ने सुध ली है।
उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: समुद्रतल से 3024 मीटर की ऊंचाई पर वर्ष 2012 की आपदा के बाद से उपेक्षित पड़े असी गंगा के उद्गम डोडीताल की पहली बार किसी ने सुध ली है। राजकीय इंटर कालेज भंकोली के पांच बाल वैज्ञानिकों डोडीताल पहुंचकर वहां झील में भरे मलबे व गाद का अध्ययन किया। साथ ही झील के घटे क्षेत्रफल के आंकड़े भी जुटाए। इसका प्रोजेक्ट बनाकर ये बाल वैज्ञानिक उसे नवंबर में होने वाली राज्य स्तरीय बाल विज्ञान कांग्रेस में प्रस्तुत करेंगे।
वर्ष 2012 में तीन अगस्त को उत्तरकाशी जिले के डोडीताल दरबा टॉप वाले हिस्से में बादल फटने पर असी गंगा में आए उफान ने बड़ी तबाही मचाई थी। तब असी गंगा घाटी से लेकर उत्तरकाशी तक छोटे-बड़े सात पुल बह गए थे और सड़कों को भी भारी नुकसान पहुंचा था। लेकिन, इन चार सालों में तंत्र ने न तो आपदा का मूल कारण जानने की कोशिश की और भविष्य की आपदाओं से निपटने को इंतजाम ही किए। लेकिन, अब राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली के पांच बाल वैज्ञानिकों ने डोडीताल पहुंचकर न सिर्फ आपदा से हुए नुकसान का आकलन किया, बल्कि इस संबंध में अपने सुझाव भी तैयार किए।
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बाल वैज्ञानिक राज सिंह व महेश राणा ने बताया कि शिक्षकों के सहयोग से उन्होंने डोडीताल व दरबा टॉप पहुंचकर क्षेत्र का अध्ययन किया। बाल वैज्ञानिक सुभाष सिंह, राजवीर सिंह व अजीत पंवार ने बताया कि दरबा टॉप से आए मलबे से झील भरी हुई है। इससे उसका क्षेत्रफल भी घट गया है। बताया कि डोडीताल से मलबा हटाने के लिए केदारनाथ की तर्ज पर काम किए जाने की जरूरत है। तभी झील अपने मूल स्वरूप में आ पाएगी। अन्यथा भविष्य में आपदाओं की आशंका बनी रहेगी।
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प्रोजेक्ट में शामिल बिंदु
-डोडीताल के 200 मीटर लंबे और 100 मीटर चौड़े हिस्से में मलबा भरा हुआ है।
-आपदाओं का प्रभाव कम करने के लिए झील से मलबा और पेड़-पौधों के अवशेषों को हटाना जरूरी है।
-स्थानीय लोगों की आजीविका में सुधार लाने के लिए झील का सौंदर्यीकरण जरूरी है।
-झील में भरे मलबे और पत्थरों से उसके आसपास दीवार बनाई जा सकती है।
-झील का क्षेत्रफल कम होने के कारण वहां ट्राउड मछली भी कम हो गई है।
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खूबसूरत पर्यटक स्थल है डोडीताल
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से डोडीताल की दूरी 40 किलोमीटर है। इसमें 22 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। ताल चारों ओर से पहाड़ व घने जंगलों से घिरा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए डोडीताल को गणेश ताल भी कहते हैं। यहीं से भागीरथी की सहायक नदी असी गंगा निकलती है। जो उत्तरकाशी के पास गंगोरी में भागीरथी में मिल जाती है। डोडीताल में भगवान गणेश व मां अन्नपूर्णा का मंदिर भी है।
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