Move to Jagran APP

कैसे हुआ टिहरी झील में खड़ी सात करोड़ की बार्ज में छेद

सात करोड़ की लागत से बनी बार्ज बोट खराब हालत में टिहरी झील के किनारे खड़ी है। उद्घाटन के बाद से अभी तक बोट का संचालन नहीं हुआ। इसके चलते झील में छेद हो गया है।

By raksha.panthariEdited By: Published: Wed, 25 Oct 2017 02:42 PM (IST)Updated: Wed, 25 Oct 2017 09:15 PM (IST)
कैसे हुआ टिहरी झील में खड़ी सात करोड़ की बार्ज में छेद
कैसे हुआ टिहरी झील में खड़ी सात करोड़ की बार्ज में छेद

टिहरी, [जेएनएन]: आर्थिक मोर्चे पर संघर्ष कर रहे उत्तराखंड जैसे राज्य में पैसे की बर्बादी का इससे बड़ा नमूना और क्या होगा कि सात करोड़ की लागत से तैयार कराई गई बार्ज बोट (माल ढुलाई) में छेद हो गया है। यह बोट अब चलने लायक नहीं रह गई है। दो साल पहले सिर्फ उद्घाटन वाले दिन ही बार्ज झील में तैरी। इसके बाद यह खड़ी हुई तो कभी नहीं चल पाई। यह अलग बात है कि अफसरों के लिए यह मसला गंभीर नहीं है। उनकी नजर में बोट थोड़ी खराब है, जिसकी मरम्मत के बाद संचालन होने लगेगा, लेकिन दो साल में बार्ज क्यों नहीं चली। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। 

loksabha election banner

दरअसल, टिहरी झील बनने के बाद प्रतापनगर ब्लाक के सत्तर से ज्यादा गांवों की करीब डेढ़ लाख आबादी अलग-थलग पड़ गई। जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए यहां के लोगों को 120 किलोमीटर की दूरी अतिरिक्त तय करनी पड़ती है। इसमें करीब चार घंटे लग जाते हैं। जबकि झील को पार कर यह दूरी सिर्फ 50 किलोमीटर रह जाती है। ऐसे में माल ढुलाई के लिए पर्यटन विभाग ने इस बार्ज को तैयार किया। 28 अक्टूबर 2015 को भव्य समारोह कर इसका उद्घाटन किया गया। उस दिन बार्ज का संचालन किया गया। इसके बाद कभी यह नौबत नहीं आई। झील के जलस्तर में उतार-चढ़ाव सामान्य प्रक्रिया है। जब पानी कम हो जाता है तो बार्ज नीचे डूबी चट्टान से टकरा जाती है। यही वजह है कि एक जगह खड़े रहने से यह क्षतिग्रस्त हो गई। छेद होने से इसमें पानी का रिसाव भी होता है। जिसे बार-बार उलीचना पड़ता है। 

बार्ज तो खरीदा पर नहीं बनाए रास्ते 

स्थानीय लोगों का कहना है कि माल ढुलाई के लिए इलाके में सड़कों की भी जरूरत है। दरअसल बार्ज से सामान को उस पार उतारने के बाद उसे ले जाना किसी चुनौती से कम नहीं है। बार्ज तैयार कराने से पूर्व लिंक रोड बनाई जानी चाहिए थीं। दूसरी ओर बोट संचालन से जुड़े और कोटी कॉलोनी व्यापार मंडल के अध्यक्ष कुलदीप पंवार कहते हैं कि यदि बोट संचालन की जिम्मेदारी स्थानीय लोगों को दी जाती तो स्थिति कुछ और होती। यह तो सरासर अफसरों की लापरवाही है। 

जिला पर्यटन अधिकारी सोबत सिंह राणा ने बताया कि झील में खड़े रहने के कारण बार्ज बोट थोड़ा खराब हुई है। जल्द ही मरम्मत कराई जाएगी और इसके बाद संचालन किया जा सकेगा। 

यह भी पढ़ें: एकबार फिर सरकार लेगी कर्ज, बढ़ेगा 500 करोड़ का बोझ

यह भी पढ़ें: कर्ज में डूबी उत्तराखंड सरकार फिर 400 करोड़ उधार लेने को मजबूर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.