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    आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक चिकित्सक बनने को नीट की छूट

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sun, 30 Apr 2017 06:00 AM (IST)

    आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक चिकित्सक बनने के इच्छुक प्रदेश के युवाओं के लिए बीएएमएस व बीएचएमएस में दाखिले को नीट की अनिवार्यता से एक साल की छूट दी गई है।

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    आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक चिकित्सक बनने को नीट की छूट

    देहरादून, [जेएनएन]: आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक चिकित्सक बनने के इच्छुक प्रदेश के युवाओं के लिए एक अच्छी खबर है। उन्हें यूएपीएमटी के रूप में 'सरप्राइज' मिलने जा रहा है। दरअसल आयुष मंत्रालय ने बीएएमएस व बीएचएमएस में दाखिले को नीट की अनिवार्यता कर दी थी। इसमें अब राज्यों को एक वर्ष की छूट दे दी गई है। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने शासन से इस संबंध में दिशा निर्देश मांगे हैं। 

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    आयुष के यूजी व पीजी पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए इस सत्र से नई व्यवस्था लागू कर दी गई थी। अभी तक राज्य अपने स्तर पर परीक्षा आयोजित करते आए हैं। इसके अलावा प्राइवेट कॉलेज अलग परीक्षा कराते थे।

    आयुष मंत्रालय ने तय किया कि नई व्यवस्था के तहत यूजी में प्रवेश नीट के माध्यम से ही किए जाएंगे। यहां तक की पीजी में भी देशभर में एक परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया गया। ताकि केंद्रीयकृत व्यवस्था से न सिर्फ प्राइवेट कॉलेजों की मनमानी पर लगाम लगे, बल्कि अभ्यर्थियों की अलग-अलग परीक्षा व शुल्क की भी मुश्किल दूर होगी। 

    इस संबंध में आदेश मिलने के बाद यूएपीएमटी पर रोक लग गई थी। बताया गया कि नीट परीक्षा के आधार पर पहले एमबीबीएस, फिर बीडीएस और उसके बाद आयुष की सीटें आवंटित होंगी। हालांकि सीबीएसई ने नीट की जो अधिसूचना जारी की उसमें बीएएमएस व बीएचएमएस का कहीं भी जिक्र नहीं था। 

    यानी युवाओं को इस बात का इल्म तक नहीं था कि आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक कॉलेज में भी दाखिला नीट से होगा। ऐसे में कई छात्र फॉर्म भरने से ही महरूम रह गए। इसके अलावा कुछ अन्य बिंदुओं पर भी आपत्तियां आई थी। जिसके समाधान के लिए मंत्रालय ने इस वर्ष राज्यों को छूट दे दी है। 

    आयुष मंत्रालय के नए दिशा निर्देश के तहत राज्य चाहें तो अपनी अलग परीक्षा करा सकते हैं। हालांकि अगले साल से नीट अनिवार्य होगा। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी ने बताया कि इस संदर्भ में शासन से दिशा निर्देश मांगे गए हैं।

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