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ब्रिटिशकाल में कभी अधिकारियों की शान था यह बंगला, अब पड़ा है वीरान

कभी जिस बंगले के कपाट सिर्फ परगना मजिस्ट्रेट के लिए खुलते थे, आज उसमें अदना सा कर्मचारी भी ठहरना पसंद नहीं कर रहा। ऐसे में यह बंगला वीरान व सुनसान पड़ा है।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 22 Sep 2016 12:33 PM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2016 04:30 AM (IST)
ब्रिटिशकाल में कभी अधिकारियों की शान था यह बंगला, अब पड़ा है वीरान

चकराता, देहरादून [भीम सिंह]: कभी जिस बंगले के कपाट सिर्फ परगना मजिस्ट्रेट के लिए खुलते थे, आज उसमें अदना सा कर्मचारी भी ठहरना पसंद नहीं कर रहा। अलग राज्य बनने के बाद आधा दर्जन से ज्यादा एसडीएम बदले, लेकिन किसी ने भी इस ऐतिहासिक बंगले में ठहरना पसंद नहीं किया। सो, यह बंगला वीरान व सुनसान पड़ा है। अब तो कभी-कभार एसडीएम चकराता में रुकते भी हैं तो लोनिवि का गेस्ट हाऊस ही उनकी प्राथमिकता होता है।
वर्ष 1903 में अंग्रेजी हुकूमत ने चकराता में तहसील मुख्यालय स्थापित करने के साथ ही यहां छावनी बाजार में परगना मजिस्ट्रेट के लिए सुविधाओं से युक्त आलीशान बंगले का निर्माण कराया था। तब इस बंगले में रुकने को ब्लाक व जिला स्तर के अधिकारी तरसते थे, लेकिन आज इधर कोई झांकने भी नहीं आता।

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बंगले का निर्माण के बाद ब्रिटिशकाल में इस बंगले में आइएएस स्तर के परगना अधिकारी ही ठहरा करते थे। उत्तर प्रदेश के जमाने में भी चकराता तहसील के लिए तैनात एसडीएम का डेरा नियमित रूप से इसी ऐतिहासिक बंगले में हुआ करता था। लेकिन, उत्तराखंड बनने के बाद इस बंगले की जमकर उपेक्षा हुई और आज यह अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है।

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स्थिति यह है कि वर्ष 2004 के बाद किसी भी एसडीएम ने इस बंगले में ठहरना पसंद नहीं किया। तब से यहां वीरानी पसरी हुई है। कुछ साल पहले इस बंगले केरंग-रोगन व मरम्मत के नाम पर दस लाख की रकम खर्च की गई, बावजूद इसके एसडीएम चकराता ने यहां रुकना मुनासिब नहीं समझा। कभी-कभार जब एसडीएम चकराता में ठहरते भी हैं तो पुरोडी स्थित लोनिवि के गेस्ट हाऊस में ही रुकना पसंद करते हैं।

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खत्म होने नहीं दिया जाएगा अस्तित्व
जिलाधिकारी रविनाथ रमन के मुताबिक उनके संज्ञान में यह मामला नहीं है। इस ऐतिहासिक बंगले के अस्तित्व को खत्म नहीं होने दिया जाएगा। चकराता में तैनात एसडीएम को बंगले में ठहरने के आदेश दिए जाएंगे।
लोक निर्माण विभाग से कराई जाएगी मरम्मत
एसडीएम चकराता प्रेमलाल के मुताबिक सरकारी एसडीएम आवास व तहसील कार्यालय जीर्ण-शीर्ण हालत में होने की वजह से फिलहाल रहने लायक नहीं है। उनके पास एसडीएम चकराता के अलावा त्यूणी व कालसी तहसील का भी अतिरिक्त प्रभार है। तीन तहसीलों का कार्यभार होने के कारण एक जगह रहना संभव नहीं है।

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प्रशासनिक कार्य से तीनों तहसील में बारी-बारी से आना-जाना पड़ता है। चकराता में एसडीएम आवास व तहसील कार्यालय की मरम्मत कार्य के लिए अधिशासी अभियंता लोनिवि चकराता को प्रस्ताव बनाने को कहा है।
तैनात चकराता में, ठौर कालसी
चकराता क्षेत्र निवासी मुन्ना राणा, पंडित केशवराम, नरेश चौहान, सालकराम जोशी आदि का कहना है कि राज्य बनने के बाद चकराता तहसील पूरी तरह उपेक्षित है। एसडीएम चकराता के लिए तैनात हैं, लेकिन उनका अधिकांश समय कालसी तहसील में ही बीतता है। बंगले की वीरानी के लिए स्वयं एसडीएम जिम्मेदार हैं।
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