सरहद के प्रहरी बनाने का अजय संकल्प, सेना के लिए तैयार हो रहे युवा
उत्तरकाशी स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल युवाओं को सेना के लिए तैयार कर रहे हैं। उनसे प्रशिक्षण लेकर दो हजार युवा सेना में भर्ती हो चुके हैं।
देहरादून, [गौरव गुलेरी]: चार पहले एक ऐसे संगठन की नींव पड़ी, जिसने पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों के युवाओं को नशा एवं बेरोजगारी के भंवर से बाहर निकालकर उन्हें अनुशासन का पाठ पढ़ाया। शारीरिक एवं मानसिक रूप से दक्ष यही युवा आज देश की सीमाओं के प्रहरी बन गए हैं। इसका श्रेय जाता है उत्तरकाशी स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल को, जिन्होंने यूथ फाउंडेशन ट्रस्ट की नींव रखी। चार साल से यह ट्रस्ट युवाओं को न सिर्फ सैन्य प्रशिक्षण दे रहा है, बल्कि सामाजिक सरोकारों में भी भागीदारी कर रहा है।
मूलरूप से टिहरी जिले के निवासी कर्नल अजय कोठियाल का बचपन फौजी माहौल में बीता। सेना में कार्यरत पिता सत्यशरण कोठियाल को देखते हुए बड़े हुए अजय भी सेना में आकर देशसेवा में लग गए।
उन्होंने अपने पराक्रम का लोहा मनवाते हुए कई सैन्य अभियानों में दुश्मनों के दांत खट्टे किए। इस बहादुरी के लिए उन्हें कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र व विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजा जा चुका है।
कर्नल कोठियाल बताते हैं कि अप्रैल 2013 में उनका ट्रांसफर बतौर प्रधानाचार्य निम में हुआ। उनके यहां आने पर गांव वाले उनसे अपने बच्चों को भी फौज में ले जाने की सिफारिश करने लगे। उन्होंने सोचा कि क्यों न युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वे अपनी क्षमताओं के बूते आगे बढ़ें।
उन्होंने निम में आसपास के क्षेत्रों के कुछ युवाओं को प्रशिक्षण देना शुरू किया। लेकिन, कुछ समय बाद ही प्रदेश में आपदा आ गई और वह अपनी टीम के साथ राहत एवं बचाव कार्य में लग गए। वहां उन्हें कुछ ऐसे युवा दिखे, जिन्होंने इस कार्य में काफी सहयोग किया। कद-काठी से मजबूत इन युवाओं के पास कोई रोजगार नहीं था। सो, उन्होंने इन युवाओं को ट्रेनिंग देने का निश्चय किया। कुछ ही समय बाद हुई भर्ती रैली में इनमें से अधिकांश सेना में भर्ती हो गए।
इससे उत्साहित कर्नल कोठियाल ने मुहिम को आगे बढ़ाते हुए यूथ फाउंडेशन ट्रस्ट की नींव रखी। फाउंडेशन ने पर्वतीय जिलों के दूरस्थ क्षेत्रों में मुहिम चलाकर ऐसे युवाओं को खोजा, जो पढ़े-लिखे तो थे, मगर बेरोजगारी के कारण दुष्प्रवृत्तियों में पड़ गए।
उन्हें फाउंडेशन के प्रशिक्षण कैंप में सैन्य अनुशासन सिखाया गया। आज प्रदेश के छह जिलों में समय-समय पर ऐसे प्रशिक्षण कैंप यूथ फाउंडेशन के माध्यम से आयोजित हो रहे हैं। युवाओं का पूरा खर्चा फाउंडेशन ही वहन करता है।
कर्नल कोठियाल के मुताबिक कैंप में युवाओं को सैन्य ट्रेनिंग पारंपरिक तरीकों से दी जाती है। उन्हें लिखित परीक्षा की भी तैयारी कराई जाती है।
2000 युवा हो चुके सेना में भर्ती
कर्नल कोठियाल बताते हैं कि चार साल से यूथ फाउंडेशन ने करीब 8000 युवाओं को ट्रेनिंग दी है। इनमें से करीब 2000 युवा सेना व अर्द्धसैनिक बलों में भर्ती हो चुके हैं। कैंप में लड़कियों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। अब तक शिविरों में 300 के आसपास लड़कियां ट्रेनिंग के लिए आईं। इनमें से 55 उत्तराखंड पुलिस और 13 आइटीबीपी में भर्ती हो चुकी हैं। युवाओं को समाज सेवा व स्वच्छता का भी पाठ पढ़ाया जाता है। हर दिन कम से कम दो युवा आसपास के अस्पतालों में स्वयं सेवक की तरह ड्यूटी देते हैं।
तीन माह पहले शुरू होते हैं कैंप
यूथ फाउंडेशन की ओर से किसी भी भर्ती रैली से तीन माह पूर्व कैंप शुरू किए जाते हैं। फाउंडेशन उत्तरकाशी, श्रीनगर, अगस्त्यमुनि, नागनाथ पोखरी, देहरादून व पिथौरागढ़ में कैंप चला रहा है। फिलहाल फाउंडेशन के कैंप उत्तरकाशी, श्रीनगर, अगस्त्यमुनि व नागनाथ पोखरी में चल रहे हैं। इनमें 500 से अधिक युवा सैन्य ट्रेनिंग ले रहे हैं।
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