उत्तराखंड कैबिनेट बैठक में विभागीय अफसरों की नो एंट्री
उत्तराखंड कैबिनेट बैठक में अब विभागीय अधिकारियों की एंट्री नहीं हो सकेगी। विभागीय प्रस्तावों को कैबिनेट में संबंधित अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव या सचिव ही रखेंगे।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: कैबिनेट बैठक में शासन के आला अधिकारियों के अलावा विभागीय अधिकारियों की मौजूदगी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को सख्त नागवार गुजरी है। विभागीय प्रस्तावों और मामलों पर कैबिनेट में प्रस्तुतीकरण विभागीय अधिकारी नहीं, बल्कि संबंधित अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव या सचिव करेंगे। भविष्य में कोई भी विभागीय अधिकारी कैबिनेट बैठक में भाग नहीं लेगा। वहीं कैबिनेट बैठक में रखे जाने वाले प्रस्तावों पर परामर्शी विभागों की राय लेना अनिवार्य होगा, अधूरे प्रस्ताव कैबिनेट में रखे नहीं जाएंगे। मुख्यमंत्री की हिदायत के बाद मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं।
कैबिनेट में रखे जाने वाले प्रस्तावों को लेकर बीते कई वर्षों से चल रहा टालू और कामचलाऊ रवैया अब आगे नहीं चलेगा। मुख्यमंत्री ने इस मामले में नियमों के तहत ही व्यवस्था पर अमल करने की सख्त हिदायत दी है। इन हिदायतों के बाद मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों को निर्देश जारी कर कैबिनेट के मामलों में नियमों का पालन करने को कहा है। सरकार की इस सख्ती से कैबिनेट बैठक के लिए आनन-फानन प्रस्ताव अथवा विधेयक तैयार करने वाले नौकरशाहों और मंत्रियों को भी झटका लग सकता है।
मुख्य सचिव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि भविष्य में कोई भी विभागीय अधिकारी बैठक के दौरान कैबिनेट कक्ष में प्रवेश नहीं कर सकेगा। प्रवेश के लिए मुख्यमंत्री की अनुमति जरूरी होगी। ऐसे अधिकारी कैबिनेट बैठक होने तक सचिवों के कक्षों में उपस्थित रहेंगे।
कैबिनेट में रखे जाने वाले प्रस्तावों में उत्तर प्रदेश कार्य नियमावली 1975 और उत्तरप्रदेश सचिवालय अनुदेश, 1982 के मुताबिक परामर्शी विभागों का मशविरा अनिवार्य रूप से लेना होगा। अन्यथा ऐसे प्रस्ताव बैठक में नहीं रखे जाएंगे। जो प्रस्ताव दो या अधिक महकमों से संबंधित होगा, उसे कैबिनेट में रखने से पहले सचिव समिति के समक्ष रखकर विचार-विमर्श किया जाएगा।
प्रस्तावों पर कार्मिक और वित्त की सहमति जरूरी होगी। वित्त की सहमति नहीं होने की स्थिति में रखे जाने वाले प्रस्तावों पर वित्त विभाग के परामर्श को शब्दश: अंकित किया जाएगा।
मुख्य सचिव ने विधेयक या अध्यादेश को बगैर न्याय या विधायी विभाग के परामर्श के कैबिनेट में प्रस्तुत नहीं करने के निर्देश दिए हैं। विधेयकों, अध्यादेशों व विनियमावलियों में हिंदी और अंग्रेजी में भाषायी त्रुटियों को दूर करने के निर्देश प्रशासकीय विभागों के सचिवों को दिए गए हैं। कैबिनेट में रखे जाने वाले प्रस्तावों को अनिवार्य रूप से सात दिन पहले सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद गोपन विभाग को मुहैया कराना होगा।
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