यूपी में सुरक्षित बसों के लिए महिलाओं को करना होगा 13 महीने का और इंतजार
परिवहन निगम महिलाओं की सुरक्षित यात्रा की योजना तैयार किए बैठा है पर इसे जमीन तक आने में कम से कम 13 महीने या 56 हफ्ते का समय और लगेगा।
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। रोडवेज बस में आठ किलोमीटर तक यातना से गुजरने के बाद कनाडा की टूरिस्ट महिला किसी तरह शोहदों से बच तो गई लेकिन परिवहन निगम के लिए चुनौती और सवाल भी छोड़ गई। सवाल ये कि जब सरेशाम राजधानी में यह हो सकता है तो दूरदराज के सुनसान इलाकों से रातों में गुजरने वाली बसों में महिला यात्री कितना सुरक्षित महसूस करती होंगी।
हालांकि परिवहन निगम महिलाओं की सुरक्षित यात्रा की योजना तैयार किए बैठा है पर इसे जमीन तक आने में कम से कम 13 महीने या 56 हफ्ते का समय और लगेगा।
को परिवहन निगम में सुरक्षित यात्रा का विश्वास दिलाने और इसके लिए सभी जरूरी इंतजाम करने के लिए उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम ने निर्भया योजना बनाई है। केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रलय ने योजना को मंजूर करते हुए 83.40 करोड़ रुपये का अनुदान भी स्वीकृत किया था लेकिन, एक महीने पहले मिली मंजूरी की रकम अब तक प्रदेश सरकार के खाते में नहीं पहुंची है।
परिवहन निगम के प्रबंधक विनीत सेठ ने सोमवार को बताया कि रकम आने के बाद योजना को जमीन पर उतारने में 56 हफ्ते लगेंगे। उन्होंने बताया कि इस बीच निगम ने अपनी प्रारंभिक कार्यवाही शुरू कर दी है।
इसके तहत टेक्निकल शाखा ने 50 पिंक बसें तैयार करने के लिए इसमें दी जाने वाली सुविधाओं पर चर्चा शुरू कर दी है, जबकि अन्य कार्यों से संबंधित शाखाएं भी अपने जिम्मे आने वाले कार्यों पर विमर्श कर रही हैं। इसके अलावा बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए भी दो-तीन अग्रणी संस्थाएं निगम प्रबंधन के सामने प्रेजेंटेशन कर चुकी हैं।
क्या है निर्भया योजना: निर्भया योजना के तहत प्रदेश में 50 पिंक बसें चलाई जाएंगी। इसी में त्रिनेत्र योजना के तहत सभी 12,500 बसों में सीसीटीवी व डीवीआर के साथ पैनिक बटन लगाए जाएंगे। यह बटन आपात स्थिति में महिलाओं की आवाज बसों के बाहर तक पहुंचाएगा और उन्हें मदद मुहैया कराएगा।
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महिलाओं का सुरक्षा दस्ता भी होगा: इसी तरह 24 इंटरसेप्टर वाहनों के साथ आदिशक्ति के नाम से महिलाओं का सुरक्षा दस्ता भी गठित किया जाएगा। जहां से पिंक बसें शुरू होंगी, उन सभी टर्मिनल पर वातानुकूलित वेटिंग हॉल बनाया जाएगा। यहां महिला कर्मचारियों के छोटे बच्चों की देखभाल के लिए क्रेच भी बनाया जाएगा।
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