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गुरुकुल में बेटियों को मिल रही खेल और पढ़ाई के साथ संस्कार की सीख

गुरुकुल में पढऩे वाली बेटियां अपनी मेधा से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान बना रही हैं। खेलों में श्रेष्ठता सिद्ध करने के साथ ही प्रशासनिक सेवा में भी गुरुकुल का नाम रोशन कर रही हैं।

By Ashish MishraEdited By: Published: Wed, 18 Jan 2017 10:29 AM (IST)Updated: Wed, 18 Jan 2017 03:56 PM (IST)
गुरुकुल में बेटियों को मिल रही खेल और पढ़ाई के साथ संस्कार की सीख
गुरुकुल में बेटियों को मिल रही खेल और पढ़ाई के साथ संस्कार की सीख

अमरोहा [योगेंद्र योगी]। श्रीमद दयानंद गुरुकुल कन्या महाविद्यालय चोटीपुरा संस्कारों और शिक्षा की मजबूत नींव रखकर बेटियों के भविष्य को न केवल उज्ज्वल बना रहा है बल्कि उनके सपनों को भी पूरा कर रहा है। गुरुकुल में पढऩे वाली गांवों की बेटियां अपनी मेधा से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान बना रही हैं। खेलों में श्रेष्ठता सिद्ध करने के साथ ही प्रशासनिक सेवा में भी अपना और गुरुकुल का नाम रोशन कर रही हैं।

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जनपद के छोटे से गांव चोटीपुरा के श्रीमद् गुरुकुल कन्या महाविद्यालय के शांत वातावरण में बेटियों को प्राचीन गुरुकुल पद्धति से आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही संस्कारवान भी बनाया जा रहा है। अगस्त 1988 से संचालित इस महाविद्यालय में अब तक हजारों छात्राओं को शिक्षित और संस्कारवान बनाया जा चुका है। यहां की कई छात्राएं विभन्न क्षेत्रों में अपनी मेधा के बूते विशिष्ट पहचान बना चुकी हैं। वर्ष 2012 में संघ लोक सेवा आयोग की भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) में गुरुकुल की छात्रा वंदना ने आठवीं रैंक हासिल करके कीर्तिमान स्थापित किया और गुरुकुल की अन्य बेटियों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनीं। मौजूदा समय में वह उत्तराखंड के नैनीताल जनपद में एसडीएम हैं।

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इसी तरह छात्रा पारुल ने भी पीसीएस-2013 परीक्षा में उत्कृष्ट स्थान हासिल किया। इस समय वे अमरोहा में बेसिक शिक्षा विभाग में वित्त एवं लेखाधिकारी हैं। हर साल यहां की छात्राएं शास्त्री और आचार्य की परीक्षा में स्वर्ण पदक प्राप्त कर रही हैं। अब तक 30 छात्राओं ने इनमें विशेष योग्यता के साथ पदक हासिल किए हैं। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान नई दिल्ली की ओर से आयोजित अखिल भारतीय शास्त्रीय स्पर्धा में स्वाति, नेहा व दीपशिखा ने स्वर्ण श्लाका पुरस्कार हासिल किया।

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तीरंदाजी में सुमंगला-पुण्यप्रभा ने दिलाई पहचान
गुरुकुल की सुमंगला और पुण्यप्रभा ने तीरंदाजी में देश ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। इन दोनों ने एथेंस, इंग्लैड, स्पेन, मलेशिया, थाईलैंड, बांग्लादेश, श्रीलंका, टर्की, मैक्सिको, चीन, दोहा में आयोजित ओलंपिक, कॉमनवेल्थ, वल्र्ड कप व एशियन खेलों में सामूहिक एवं व्यक्तिगत स्पर्धा में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की। सुमंगला ने एथेंस ओलंपिक में भारत को पांचवां स्थान दिलाया था। विभिन्न राज्यों में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में गुरुकुल की बेटियां तीरंदाजी की विभिन्न स्पर्धाओं में 26 चैंपियनशिप, 180 स्वर्ण पदक, 160 रजत पदक तथा 106 कांस्य पदक पाकर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर चुकी हैं।

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