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शहीद जवानों के परिवारों में कोहराम, रात तक घर पहुंचेगे पार्थिव शरीर

राजेश के बड़े भाई श्रीभगवान दिव्यांग हैं और छोटे राकेश व विवेक अभी पढ़ाई कर रहे है। शहीद राजेश की दो पुत्रियां प्रीति व राधिका हैं और एक संतान अभी अपनी मां के गर्भ में है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Mon, 19 Sep 2016 05:08 PM (IST)Updated: Mon, 19 Sep 2016 08:26 PM (IST)

लखनऊ (जेएनएन)। जम्मू कश्मीर के उड़ी स्थित आर्मी बेस कैंप पर हुए आतंकी हमले में शहीद छह जवानों के पार्थिव शरीर सोमवार शाम करीब चार बजे वायुसेना के विशेष विमान से वाराणसी जिले के बाबतपुर स्थित लालबहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पर लाये गए। एयरपोर्ट के पुराने टर्मिनल पर शहीद जवानों को 39 गोरखा ट्रेनिंग सेंटर के जवानों ने गार्ड आफ ऑनर दिया। इस दौरान मेजर जनरल एसके सिंह, ब्रिगेडियर एसए रहमान, कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण समेत कई अफसरों ने सैनिक सम्मान के साथ पुष्पचक्र अर्पित किया।

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गणेश शंकर यादव के साथ कश्मीर में यूपी के चार जवान शहीद
इसके बाद गाजीपुर के मरदह देवपुर निवासी जवान हरेंद्र यादव व जौनपुर के सरायख्वाजा भकुड़ा निवासी जवान राजेश सिंह का पार्थिव शरीर उनके गांव के लिए रवाना कर दिया गया। मौके पर शहीदों के परिवारीजन भी पहुंच गए थे। शेष चार जवानों के पार्थिव शरीर बीएचयू के मोर्चरी में रखे गए हैं। इनमें संत कबीर नगर के गणेश शंकर, बलिया के लांस नायक आरके यादव, भोजपुर बिहार के हवलदार अशोक कुमार सिंह व आरा कैमूर बिहार के राकेश कुमार सिंह शामिल हैं। इनके पार्थिव शरीर मंगलवार की सुबह गंतव्य को भेजे जाएंगे।

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इकलौते कमाऊ सदस्य थे राजेश
शहीद जवानों में शामिल बलिया जिले के दुबहड़ डेरा निवासी राजेश कुमार यादव अपने चार भाइयों में इकलौते कमाऊ सदस्य थे। करीब 35 वर्षीय राजेश स्व.देवकिशुन यादव के चार पुत्रों में दूसरे नंबर पर थे। शहीद राजेश की दो पुत्रियां प्रीति व राधिका हैं जबकि एक संतान अभी अपनी मां के गर्भ में है। राजेश रक्षाबंधन से पूर्व ही छुट्टी पर गांव आए थे और दो महीना यहां रहकर पुन: जल्दी आने का वादा कर देश सेवा के लिए निकल गए थे।

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चार माह पहले घर आए थे राजेश
जौनपुर जिले के शहीद राजेश कुमार सिंह तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। 20 वर्ष की आयु में ही उनकी नौकरी लग गई थी। छह वर्ष पहले ही उनकी लालमऊ मेहनाजपुर, आजमगढ़ में जूली ङ्क्षसह से शादी हुई थी। एक बेटा रिशांक इस समय वाराणसी के एक कान्वेंट स्कूल में पढ़ता है। जूली भी भाई के साथ वहीं रहती हैं। वह चार माह पूर्व घर आए थे। पिता राजेंद्र प्रताप ङ्क्षसह के मुताबिक राजेश ने शनिवार रात में आठ बजे फोन पर तीन मिनट तक बात की थी।


हरेंद्र ने शनिवार को की थी बात
गाजीपुर जिले के गाई देउपुर गांव निवासी केदार यादव के पुत्र बिहार रेजीमेंट के जवान हरेंद्र यादव (26) 17 सितंबर को अपने घरवालों से अंतिम बार बात की थी। हरेंद्र का विवाह 2011 में मरदह थाना क्षेत्र के कोडऱी गांव की निर्मला के साथ हुआ था। उनके दो बच्चे रोहित (4) व राज (2) हैं। हरेंद्र एक माह की छुट्टी पर अप्रैल-मई में घर आए थे।

बड्डा गांव का भी लाल शहीद
चंदौली : उड़ी में भभुआ के नुआंव प्रखंड के बड्डा गांव निवासी राकेश ङ्क्षसह बहार रेजीमेंट की छठवें बटालियन के जवान थे। सैन्य अधिकारियों द्वारा उनकी शहादत की सूचना मिलते ही गांव में कोहराम मच गया। राकेश के पिता हरिहर ङ्क्षसह किसान हैं, उनके तीन पुत्र और दो बेटी हैं। सबकी शादी हो चुकी है। शहीद राकेश ङ्क्षसह सबसे छोटे पुत्र थे। 16 सितंबर की राकेश की आखिरी बात पत्नी किरण संग फोन पर हुई थी।

गणेश के गांव और घर में मातम
संतकबीर नगर जिले के ग्राम घूरापाली गांव में सोमवार की सुबह गणेश शंकर यादव के शहीद होने की सूचना मिलते ही परिवार के लोग फूट फूटकर रोने लगे। उसके बाद पूरा गांव उमड़ पड़ा। शहीद का परिवार बच्चों को पढ़ाने के लिए गोरखपुर के पीपीगंज कस्बे में वार्ड नंबर छह शक्ति नगर मे किराये के मकान में रह रहा था। पत्नी गुडिय़ा, दो पुत्री 10 वर्षीय अमृता यादव, चार वर्षीय खुशी, और बेटा सात वर्षीय आकृत यादव पिछले तीन वर्ष से पीपीगंज में रह रहे थे। सूचना पर वे सभी गांव आ गए है।


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