कश्मीर: उड़ी के आर्मी हैडक्वार्टर पर हुए हमले में 20 जवान शहीद
सेना की वर्दी में आए आतंकियों ने मुख्यालय स्थित एक कैंप पर हमला किया। धमाके के साथ अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर में सेना पर अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले में रविवार को 20 जवान शहीद हो गए वहीं 20 जवान जख्मी हैं। हमला पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के चार आत्मघाती आतंकियों ने तड़के 5.30 बजे उड़ी स्थित सेना के 12वीं ब्रिगेड मुख्यालय पर किया।
न्यूयार्क में सोमवार को शुरू हो रही संयुक्त राष्ट्र की महासभा के एक दिन पहले किया गया यह हमला सुनियोजित साजिश का हिस्सा था। मारे गए आतंकियों से बरामद उपकरण और अन्य सामग्रियों पर पाकिस्तानी मार्क पाए गए हैं। इसको लेकर डीजीएमओ ने पाकिस्तानी समकक्ष से बात की और गंभीर चिंता जताई। आठ माह पहले पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले में मारे गए आतंकियों के भी पाकिस्तानी होने के साक्ष्य मिले थे।
उड़ी स्थित ब्रिगेड मुख्यालय नियंत्रण रेखा से कुछ किमी और श्रीनगर से 70 किमी दूर है। सेना की वर्दी में आए आतंकियों ने मुख्यालय स्थित एक कैंप पर हमला किया। धमाके के साथ अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। वहां टेंट में डोगरा रेजिमेंट के जवान सो रहे थे। विस्फोट के कारण टेंट में आग लग गई। आसपास की बैरकें भी आग की चपेट में आ गई। इसके बाद शुरू हुई मुठभेड़ लगभग तीन घंटे तक चली और चारों आतंकी मारे गए। इस दौरान ब्रिगेड मुख्यालय का प्रशासकीय केंद्र और छह से ज्यादा टेंट आग में पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए।
सिनेमाहॉल, कैंटीन परिसर व कम्यूनिटी हॉल को आंशिक क्षति पहुंची है। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि मारे गए चारों आतंकियों के पास से अत्याधुनिक संचार उपकरणों और जीपीएस के अलावा कुछ नक्शे, चार असाल्ट राइफलें, चार यूबीजीएल व अन्य युद्धक सामग्री मिली है।
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दवा लश्कर का, जिम्मेदार जैश
उड़ी में हुए हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा ने ली है। लेकिन सैन्य अधिकारियों ने बताया कि हमले में शामिल आतंकियों से मिले दस्तावेज बताते हैं कि उनका संबंध जैश-ए-मुहम्मद से है। जैश ने कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में हमलों के लिए पाकिस्तानी सेना की मदद से अफजल गुरु ब्रिगेड के नाम से एक बैट दस्ता भी तैयार किया है। यह दस्ता टंगडार, करनाह और उड़ी में पहले भी इस तरह के हमले कर चुका है। इससे पूर्व पांच दिसंबर, 2014 को भी आतंकियों ने मोहरा उड़ी में सैन्य शिविर पर हमला किया था। इसमें 10 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे।
तार काटकर दाखिल हुए आतंकी!
सेना के लिए बड़ा झटका माने जा रहे इस हमले को आतंकी ब्रिगेड मुख्यालय तक पहुंचे कैसे, इसको लेकर स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है। ब्रिगेड मुख्यालय श्रीनगर-उड़ी-मुजफ्फराबाद सड़क से सटा हुआ है। आशंका जाहिर की जा रही है कि आतंकी परिसर के सड़क के साथ सटे उस हिस्से से भीतर दाखिल हुए होंगे, जहां से अक्सर स्थानीय महिलाएं घास काटने के लिए भीतर आती हैं। इसी हिस्से में एक जगह तार कटा हुआ है।
भीतर दाखिल होने के बाद आतंकियों ने कैंटीन परिसर पार किया और उस हिस्से में पहुंचे, जहां टेंट में सैन्य कर्मी सो रहे थे। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि ब्रिगेड मुख्यालय में कमान का बदलाव हो रहा है। 10 डोगरा के स्थान पर 6 बिहार रेजिमेंट कमान संभालने वाली है। टेंटों में 6 बिहार रेजिमेंट के ज्यादातर जवान थे। शहीद व घायल जवानों में अधिकांश वही हैं जो तंबुओं में थे। सभी घायलों को श्रीनगर स्थित सेना के 92 बेस अस्पताल में ले जाया गया है, जहां चार जवानों की हालत चिंताजनक बनी हुई है।
मारे गए सभी आतंकी विदेशी
मारे गए आतंकियों से बरामद हथियारों पर पाकिस्तानी मार्क पाए जाने पर सैन्य कार्रवाई महानिदेशक (डीजीएमओ) ले.जनरल रणवीर सिंह ने पाकिस्तान के डीजीएमओ से बात की और गंभीर चिंता जताई। मीडिया को जारी एक संक्षिप्त बयान में ले. जनरल रणवीर सिंह ने कहा है-'मारे गए सभी चार आतंकी विदेश थे। उनसे बरामद हथियारों और अन्य सामग्रियों पर पाकिस्तानी मार्किंग पाई गई है। प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक मारे गए आतंकी जैश-ए-मुहम्मद के हैं।
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13-14 जवानों की जलने से हुई मौत
डीजीएमओ ने बताया कि आतंकियों ने छोटे असलहों के जरिये ऐसे गोला-बारूदी की फायरिंग की, जिससे टेंट और अस्थायी बैरकों में आग लग गई। नतीजतन 13-14 जवानों की जलने से मौत हो गई।
घायल जवानों की पहचान
6 बिहार रेजिमेंट: नायक वीके गिरी, नायक राम स्वरूप जाट, सिपाही हरम सिंह, लांस नायक एसके ओरांव, सिपाही बीजी सरकार, हवलदार सुनील कुमार, सिपाही सीएनके चंद्रमणी, हवलदार रामदेव, शाम लाल, लांस नायक मुन्ना सिंह, सिपाही सतीश कौशिक, हवलदार बीजी बारिल।
10 डोगरा रेजीमेंट : हवलदार मंजीत कुमार, नायक विजय कुमार, हवलदार जसवंत सिंह, सिपाही कमल कांत और एक अन्य सैन्यकर्मी सतीश कुमार शामिल है।