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Punjab बुजुर्गों की आत्मनिर्भरता के मामले में यूपी-बिहार से भी पिछड़ा, जाने किस राज्य में कितने आत्मनिर्भर

बुजुर्गों की आत्मनिर्भरता के मामले में पंजाब यूपी बिहार उड़ीसा जैसे राज्यों से भी पिछड़ा हुआ है। उत्तर प्रदेश में 29 फीसद व बिहार में 28 फीसद बुजुर्ग आत्मनिर्भर हैं जबकि पंजाब में 26 फीसद। गुजरात में भी 26 फीसद बुजुर्ग आत्मनिर्भर हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 02:36 PM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 04:03 PM (IST)
आत्मनिर्भरता के मामले में पंजाब के बुजुर्ग पिछड़े। सांकेतिक फोटो

बठिंडा [गुरप्रेम लहरी]। पंजाब में बुजुर्गों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसका पता राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की रिपोर्ट से चलता है। एनएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब के 60 साल की उमर पार कर चुके सिर्फ 26 फीसद बुजुर्ग ही आत्मनिर्भर हैं, जबकि 74 फीसद बुजुर्ग पैसों के लिए अपने बेटों व अन्य परिजनों पर निर्भर हैं।

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एनएसएओ द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण में यह हैरानीजनक तथ्य सामने आए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक पंजाब के बुजुर्गों की आर्थिक स्थिति बड़ी कमजोर है। हालांकि सबसे बुरी स्थिति गोवा की है। गोवा के सिर्फ 19 फीसद बुजुर्ग ही आत्मनिर्भर हैं। टॉप पर मिजोरम है। यहां 45 फीसद बुजुर्ग आत्मनिर्भर हैं, जबकि उत्तर प्रदेश व बिहार की स्थिति भी पंजाब से बेहतर है। उत्तर प्रदेश में 29 फीसद व बिहार में 28 फीसद बुजुर्ग आत्मनिर्भर हैं।

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शहरी बुजुर्गों की स्थिति थोड़ी ठीक

ग्रामीणों के मुकाबले शहरी बुजुर्गों की स्थिति थोड़ी ठीक है। देश में 60 वर्ष से अधिक आयु के 28 फीसद ग्रामीण व 33 फीसद शहरी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं। इसका मुख्य कारण यह भी है कि शहर में ज्यादातर बुजुर्ग नौकरियों से रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में पेंशन से उनका गुजारा हो जाता है,  जबकि देहात में रहने वाले बुजुर्गों के पास अपनी किसी प्रकार की कोई आमदनी नहीं है।

गोवा की सबसे खराब तो मिजोरम की सबसे बेहतर स्थिति

सर्वेक्षण के आंकडों पर नजर दौडाएं तो सबसे खराब स्थिति गोवा की दिखाई देती है। गोवा के सिर्फ 19 फीसद बुजुर्ग ही आत्मनिर्भर हैं, जबकि मिजोरम के सबसे ज्यादा 45 फीसद बुजुर्ग आत्मनिर्भर हैं। हालांकि मिजोरम में 55 फीसद बुजुर्ग अपनी संतान या फिर किसी अन्य व्यक्ति पर निर्भर हैं। उनको अपनी जरूरतों के लिए दूसरों के आगे हाथ फैलाने पड़ते हैं।

संतान को करनी चाहिए संभाल : सिंगला

स्थानीय निकाय विभाग के रिटायर्ड ज्वाइंट कमिश्नर बीडी सिंगला का कहना है कि असल में अभिभावक अपनी पूरी जिंदगी संतान को सैटल करने में लगा देते हैं। जब औलाद सैटल हो जाती है वह किसी और बड़े शहर में जाकर रहने लगती है। जो सैटल नहीं हो पाते वे उनकी परवाह नहीं करते। अभिभावक अपने परिवार से कुछ भी छिपा कर नहीं रखते, लेकिन जब वे बुजुर्ग हो जाते हैं तो उनको बृद्ध आश्रमों में जाकर रहना पड़ता है। बुजुर्गों को अपने अधिकारों के लिए भी जागरूक होने की जरूरत है।

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बुजुर्गों को कानून के प्रति जागरूक होना बहुत जरूरी

रिटायर्ड एडिशनल व सेशन जज एमपीएस पाहवा का कहना है कि भारत सरकार द्वारा मैंटेनेंस एंड वेलफेयर आफ सीनियर सिटीजन एंड पेरेंट्स एक्ट (सीनियर सिटीजन वेलफेयर एक्ट 2007) बुजुर्गों की भलाई के लिए बनाया है। कोई भी वरिष्ठ नागरिक, जिसकी आयु 60 वर्ष अथवा उससे ज्यादा है इसके अंतर्गत माता-पिता भी आते हैं, जो कि अपनी आय या अपनी संपत्ति के द्वारा होने वाली आय से अपना भरण पोषण करने में असमर्थ हैं, वो अपने व्यस्क बच्चों या रिश्तेदारों से भरण पोषण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। जब वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति अपने उत्तराधिकारी के नाम कर चुका है कि लेकिन संपत्ति का अधिकारी उनकी बाद में संभाल नहीं करता या तंग परेशान करता है तो माता-पिता या वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति वापस ले सकता है। वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा या फिर उन्हेंं घर से निकाल देना एक गंभीर अपराध है और इसके लिए पांच हजार रुपये का जुर्माना या तीन महीने की कैद या दोनों हो सकते हैं। हालांकि पंजाब में पैरेंट्स की स्थिति ज्यादा नाजुक नहीं है।

किस राज्य में कितने फीसद बुजुर्ग आत्मनिर्भर

मिजोरम -45

त्रिपुरा-39

हरियाणा- 37

हिमाचल प्रदेश-37

मेघालय-36

मध्य प्रदेश -35

दिल्ली-35

नागालैंड-34

तेलंगाना-34

पश्चिम बंगाल-34

जम्मू-कश्मीर-33

तामिलनाडु-32

कर्नाटक-31

मणिपुर-30

आंध्रा प्रदेश-30

राजस्थान-29

केरल-29

महाराष्ट्र-29

उत्तर प्रदेश-29

बिहार-28

छत्तीसगढ़-28

ओडिशा-27

गुजरात-26

पंजाब-26

अरुणाचल प्रदेश-24

झारखंड-22

असम-20

गोवा-19

बुजुर्ग किस पर निर्भर

पति व पत्नी पर

ग्रामीण क्षेत्र - 11 फीसद

शहरी क्षेत्र - 21 फीसद

संतान पर निर्भर

ग्रामीण- 84 फीसद

शहरी- 71 फीसद

पोता- पोती पर निर्भर

ग्रामीण- दो फीसद

शहरी- दो फीसद

अन्य लोगों पर निर्भर

ग्रामीण- तीन फीसद

शहरी- पांच फीसद

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