पीजीआइ में भर्ती मां के साथ आई लड़की से दुष्कर्म, दोषी को सात वर्ष की कैद
चंडीगढ़ पीजीआइ में इलाज करा रही मां की देखभाल के लिए आई लड़की से एक व्यक्ति दुष्कर्म करता था। आरोपी को अब अदालत ने सात कैद की सजा सुनाई है। ...और पढ़ें

जेएनएन, चंडीगढ़। पीजीआइ मे इलाज कराने आई महिला की नाबालिग बेटी को बहला-फुसलाकर जंगल मे ले जाकर उससे दुष्कर्म करने के दोषी को महिला एवं बाल अपराध से जुड़ी विशेष कोर्ट ने सात वर्ष कैद की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर एक लाख पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने यह राशि बतौर मुआवजा पीडि़ता को देने के आदेश दिए है।
जुर्माना राशि न चुकाने पर दोषी को एक साल अतिरिक्त सजा काटनी होगी। पिछले वर्ष 23 जुलाई को पीजीआइ चौकी को दी शिकायत में मूलरूप से अमृसतर निवासी महिला ने बताया कि वह 25 जून 2016 से पीजीआइ में इलाज कराने के लिए आई थी। पहले उनके पति उनके साथ थे लेकिन कुछ दिन बाद उनकी देखभाल के लिए उनकी बेटी वहां आ गई।
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महिला ने अपनी शिकायत में कहा कि इसी दौरान बेटी काफी परेशान दिखी। उसने बेटी से इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि पिछले कुछ दिनों से लालचंद नाम कर व्यक्ति उसे बहला-फुसलाकर रात में उसे पीजीआइ के जंगल वाले एरिया मे ले जाता है और उससे दुष्कर्म करता है। उसने इस बारे मेें किसी को बताने से मना किया है और वह उसे धमकियां भी देता था।
महिला न बताया कि मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर का रहने वाला लालचंद पीजीआइ में आंखों का इलाज कराने के लिए आया हुआ था। यहीं उसकी उससे मुलाकात हुई थी। इसी दौरान दोषी ने बहला-फुसलाकर उससे दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया।
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लड़की की मां ने इस बारे में गुरुद्वारे मे काम करने वाली एक महिला को बताया तो उसने पुलिस को सूचना दी। इसके बाद आरोपी को काबू किया गया था। पीडि़ता के अनुसार उस समय वह 16 वर्ष की थी। वहीं, बचाव पक्ष के वकील सजल शर्मा और विनित कुमार के अनुसार अभियोजन पक्ष अदालत मे साबित नहीं कर सका कि पीडि़ता नाबालिग थी। न ही वह इससे जुड़ा कोई दस्तावेज पेश कर सके। इस आधार पर अदालत मे पोक्सो की धारा साबित नहीं हो सकी। अदालत ने केवल दुष्कर्म के मामले मे दोषी पाते हुए सजा सुनाई।

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