रंगों की उस्ताद
आधुनिक कला के साथ ही कला की अन्य विधाओं में भी हाथ आजमाती हैं डॉ. शुभम शिवा...
अवधपुरी की डॉ. शुभम शिवा की तूलिका कैनवास पर कल्पनाओं का हर रंग बिखेरती है लेकिन उनकी खास पहचान मॉडर्न आर्टिस्ट के रूप में है।
डी.जी. कॉलेज में कला संकाय की विभागाध्यक्ष शुभम ने आधुनिक चित्रों को न सिर्फ नए आयाम दिए हैं, बल्कि देश के कई प्रतिष्ठित कला मंचों में उनके काम को सराहा भी गया है। बचपन से चित्रकला का शौक रखने वाली शुभम को कला के प्रारंभिक गुरु के रूप में मिला अपनी मां का साथ। वे बताती हैं, ''मेरी रुचि देखते हुए मां ने छोटी उम्र से ही रंगों की समझ और संयोजन बताना शुरू कर दिया था। वे जब भी कोई कृति बनातीं उसमें मेरा भी सहयोग लेतीं। शौक बढ़ा और पढ़ाई में मैंने चित्रकला में उच्च शिक्षा लेकर पीएचडी की शिक्षा पूरी की। मेरे काम की शुरुआत लोकविधा से हुई थी और मेरा विशेष काम मुखौटा व राजस्थानी शैली
फड़ में हुआ। इसके बाद स्केच, ग्लास, रंगोली, कैनवास, ऑयल, सिरेमिक आदि विधाओं में भी मैंने काम किया और सराहना बटोरी।''
आधुनिक कला में शुभम के अधिसंख्य चित्र अंत:स्थिति पर केंद्रित रहते हैं। इनका मानना है कि जीवन में जो भी घटित होता है, वह मन: स्थिति और बाहरी दुनिया से जुड़ा होता है। इससे केंद्रित पेंटिंग्स की इन्होंने कई सीरीज बनाई हैं, जो लंदन, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और गुजरात की कला प्रदर्शनियों में पुरस्कृत हुई हैं। हाल ही में इनकी एक पेंटिंग सीरीज इटली की ऑनलाइन एग्जीबिशन में चयनित हुई है।