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नेताजी के अंतिम शब्द थे, हिंदुस्तान जरूर आजाद होगा

ब्रिटेन की एक वेबसाइट ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अंतिम दिनों का एक वृतांत तैयार करके उसे जारी किया है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2016 03:17 AM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2016 04:25 PM (IST)

लंदन। ब्रिटेन की एक वेबसाइट ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अंतिम दिनों का एक वृतांत तैयार करके उसे जारी किया है। वेबसाइट का दावा है कि यह ब्योरा 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में हुए विमान हादसे के आंखों देखे तथ्यों पर आधारित है।

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रिपोर्ट में विमान हादसा किस तरह हुआ और बोस के उसमें जलकर मरने के वृतांत के साथ उनके देशभक्ति भरे आखिरी शब्द भी दिए गए हैं। उन्होंने देशवासियों से जंग-ए-आजादी जारी रखने की अपील करते हुए कहा था, हिंदुस्तान जरूर आजाद होगा।

ब्रिटिश वेबसाइट पर जारी नवीनतम दस्तावेजों को उन लोगों से जुटाया गया है जो इस हादसे से सीधे तौर पर जुड़े थे। साथ ही वेबसाइट पर दी गई जानकारी ब्रिटेन की दो खुफिया रिपोर्टों पर भी आधारित है। यह रिपोर्ट विमान हादसे की जगह पर दो बार जाकर बनाई गई थी।

www.bosefiles.info नामक वेबसाइट की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि करीब 70 सालों से उनके साथ हुए हादसे को लेकर लोगों के मन में संशय रहा है। चार अलग-अलग रिपोर्टो को समाहित करके इस संशय को दूर किया जा रहा है।

दस्तावेज के मुताबिक 18 अगस्त, 1945 को तड़के वियतनाम में बोस को लेकर एक जापानी बमवर्षक विमान ने उड़ान भरी। इस विमान में चालक दल के सदस्यों के अलावा कुल 12 या 13 लोग थे। हीतो-ताइपे-डेरन-टोक्यो के रास्ते पर उड़ान भरने वाले इस विमान में जापानी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल सुनामासा शिदेई भी थे।

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1956 में सरकार की ओर से गठित तीन सदस्यीय नेताजी जांच कमेटी की अध्यक्षता बोस की इंडियन नेशनल आर्मी (आइएनए) के मेजर जनरल शाह नवाज खान की गठित रिपोर्ट में बताया गया कि जापानी वायुसेना के अधिकारी मेजर तारो कोनो और एक अन्य यात्री ने कमेटी को बताया कि उन्होंने देखा कि बाईं ओर का इंजन ठीक से काम नहीं कर रहा था। तब वह विमान के अंदर घुसे और इंजन की पड़ताल की। मैंने देखा वह ठीक काम कर रहा था। साथ के इंजीनियर ने भी पाया कि इंजन ठीक काम कर रहा था और वह उड़ान के लिए उपयुक्त था। फिर एयरपोर्ट पर ग्राउंड इंजीनियर कैप्टन नाकामुरा ने मेजर मायामोतो कोनो को बताया कि बाईं ओर के इंजन में खराबी है। लेकिन पायलट मेजर ताकीजावा ने उन्हें बताया था कि वह एकदम नया इंजन है।

बोस के एडीसी और सहयात्री कर्नल हबीब उर रहमान के मुताबिक विमान में एक विस्फोट हुआ। जमीन से इस हादसे को देख रहे नाकामुरा ने बताया कि विमान के टेकऑफ करने के तुरंत बाद हवा में विमान थोड़ा बाईं ओर झुका।

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उसके बाद विमान से कुछ गिरता हुआ देखा। बाद में पता चला वह विमान का प्रोपेलर था। हादसे के वक्त विमान 30-40 मीटर की ऊंचाई पर था। विमान रनवे से करीब 100 मीटर की दूरी पर क्रैश हुआ। और तत्काल उसके अगले हिस्से में आग लग गई। हादसे का आंखों देखा हाल सुनाते हुए कर्नल रहमान ने बताया कि नेताजी ने उनकी तरफ मुड़कर कहा, "आगे से निकलिए पीछे से रास्ता नहीं है।" कर्नल रहमान ने बताया कि हम प्रवेश द्वार तक नहीं पहुंच पाए क्योंकि वह कई डिब्बों और अन्य सामानों से जाम हो गया था। इसलिए नेताजी आग में से होकर विमान के अगले हिस्से से बाहर निकले।

कर्नल रहमान का कहना है कि वह भी नेताजी के पीछे उसी आग से होकर बाहर निकले। लेकिन जैसे ही मैं बाहर निकला मैंने देखा कि मुझसे दस यार्ड की दूरी पर नेताजी के कपड़ों में आग लग चुकी थी। मैं उनकी तरफ बढ़ा और मुझे उनकी बेल्ट खींचकर शर्ट अलग करने में बहुत दिक्कत हुई। उनकी पैंट में इतनी आग नहीं लगी हुई थी। रहमान ऊनी कपड़ों में थे जबकि बोस ने सूती खाकी पहनी हुई थी।

इसलिए उनके कपड़ों में आसानी से आग लग गई। रहमान ने आगे बताया कि उन्होंने बोस को जमीन पर लिटाया और देखा की उनके सिर पर गहरा जख्म था। संभवतः बाईं ओर। आग से उनका चेहरा और बाल भी बुरी तरह झुलस गए थे। नेताजी ने मुझसे हिंदुस्तानी भाषा में पूछा, आपको ज्यादा तो नहीं लगी? मैंने जवाब दिया मैं ठीक हो जाऊंगा।

अपने लिए उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि वह बच पाएंगे। रहमान ने बताया कि उस वक्त बोस ने उनसे कहा, "जब अपने मुल्क वापस जाएं तो मुल्क के भाइयों को बताना कि मैं आखिरी वक्त तक मुल्क की आजादी के लिए लड़ता रहा हूं। वह जंगे आजादी को जारी रखें। हिंदुस्तान जरूर आजाद होगा। उसको कोई गुलाम नहीं रख सकता"।

वहीं, विमान में मौजूद रहे ले.कर्नल शिरो नोनो ने बताया कि बोस विमान के बाएं डैने के पास खड़े थे। उनके कपड़ों में आग लगी हुई थी और उनके सहायक रहमान उनका कोट उतारने की कोशिश कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि इस रिपोर्ट में रहमान, नोनोगाकी, कोनो, ताकाहाशी और नाकामुरा के दिए ब्योरों में कई सारे अंतर हैं।

चूंकि उन लोगों ने यह सुबूत हादसे के 11 साल बाद दिए थे। लेकिन इन सभी बयानों में विमान हादसा होने और उनके आग से जलकर मरने की बात सही साबित हुई थी। वेबसाइट के मुताबिक हादसे के बाद नेताजी को तत्काल नानमोन मिलेट्री अस्पताल ले जाया गया था।


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