Move to Jagran APP

1952 में नेताजी के चीन में देखे जाने की बात गलत

यूनाइटेड किंग्डम की एक वेबसाइट ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आखिरी दिनों को लेकर कुछ नए दस्तावेज जारी किए हैं।वेबसाइट ने भारत में कुछ लोगों द्वारा किए जा रहे दावे को गलत ठहराने के लिए बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास का टेलीग्राम प्रस्तुत किया है।

By anand rajEdited By: Published: Sat, 02 Jan 2016 08:33 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2016 08:23 AM (IST)

लंदन। यूनाइटेड किंग्डम की एक वेबसाइट ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आखिरी दिनों को लेकर कुछ नए दस्तावेज जारी किए हैं। इन दस्तावेजों में विमान हादसे के कई साल बाद नेताजी के चीन में देखे जाने की बातों को गलत बताया गया है।

वेबसाइट ने भारत में कुछ लोगों द्वारा किए जा रहे दावे को गलत ठहराने के लिए बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास का टेलीग्राम प्रस्तुत किया है। उल्लेखनीय है कि 1945 में ताइवान में एक विमान हादसे में कथित तौर पर नेताजी की मौत हो गई थी।

लेकिन 1955 में नेताजी के एक प्रशंसक एसएम गोस्वामी ने "नेताजी का रहस्य उजागर" नाम से एक पर्चा छपवाकर बांट दिया। इसमें मंगोलिया के एक व्यापार प्रतिनिधिमंडल के साथ चीनी अधिकारियों की 1952 में ली गई एक तस्वीर भी थी। गोस्वामी ने उस तस्वीर में एक व्यक्ति के सुभाष चंद्र बोस होने का दावा किया था।

1956 में गोस्वामी नेताजी जांच आयोग के सामने भी पेश हुए। जांच आयोग के सामने भी उन्होंने नेताजी के जीवित होने का दावा किया और साक्ष्य के तौर पर वह तस्वीर प्रस्तुत की। आयोग ने फोटो की शिनाख्त के लिए उसे बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास भेज दिया।

बाद में दूतावास ने भारतीय विदेश मंत्रालय को टेलीग्राम भेजकर बताया, "जिस फोटोग्राफ में कथित तौर पर सुभाष चंद्र बोस के होने का दावा किया गया है, वह हमने चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को दिखाया। इन अधिकारियों के अनुसार, जिस व्यक्ति के बारे में सुभाष बोस होने का दावा किया जा रहा है, वे दरअसल पीकिंग मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक ली के हंग हैं।"

वेबसाइट बनाने वाले लंदन निवासी पत्रकार आशीष राय ने बताया कि इस टेलीग्राम से कई दशकों से नेताजी के बारे में किए जा रहे दुष्प्रचार की सच्चाई उजागर हो गई है। इससे पहले सात दिसंबर के पोस्ट में वेबसाइट ने 1945 में नेताजी के सोवियत रूस जाने के दावों को दस्तावेजों के आधार पर गलत करार दिया था।

इसने इसके लिए रूसी विदेश मंत्रालय के दो नोट और भारत में रूस के राजदूत का एक बयान जारी किया। इन सभी में कहा गया था कि सोवियत संघ या केजीबी के अभिलेखागार में ऐसी कोई सूचना नहीं है कि नेताजी 1945 या उसके बाद कभी रूस आए थे।


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.