पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट की नजर में सिजोफ्रेनिया मानसिक रोग नहीं
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान सिजोफ्रेनिया को मानसिक बीमारी मानने से इन्कार कर दिया।
इस्लामाबाद, रायटर। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने एक अजीबोगरीब फैसले में सिजोफ्रेनिया को मानसिक बीमारी मानने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट के निर्णय के बाद मृत्युदंड पाए इमदाद अली की सजा पर अमल का रास्ता साफ हो गया है। मानवाधिकार संस्थाओं ने कोर्ट के फैसले पर हैरानी जताई है।
पाकिस्तानी सर्वोच्च अदालत ने इस निर्णय के लिए भारत के सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 1988 के फैसले को भी एक आधार बनाया। अली (50) को वर्ष 2001 के एक धर्मगुरु की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। सरकारी डॉक्टर 2012 में अली को सिजोफ्रेनिया पीडि़त मान चुके हैं। इस आधार पर उसके वकीलों ने कोर्ट को बताया कि उनका मुवक्किल अपराध और दंड को समझने में असमर्थ है, ऐसे में उसे फांसी नहीं दी जा सकती है। ऐसा करना संयुक्त राष्ट्र समझौते का उल्लंघन होगा।
मुख्य न्यायाधीश अनवर जहीर जमाली की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने बचाव पक्ष की दलीलों को ठुकरा दिया। साथ ही कहा कि सिजोफ्रेनिया स्थायी मानसिक बीमारी नहीं है। अदालत का कहना था कि इस मर्ज से पीडि़त व्यक्ति ठीक हो सकता है, लिहाजा यह मानसिक बीमारी की श्रेणी में नहीं आता।