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पाकिस्तान ने आखिरकार माना, उसकी जमीन पर सक्रिय हैं जैश व लश्कर

पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी है कि लश्कर और जैश जैसे आतंकी समूहों पर काबू पाए जाने तक देश अपमानित होता रहेगा।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 06 Sep 2017 10:00 PM (IST)Updated: Wed, 06 Sep 2017 10:00 PM (IST)
पाकिस्तान ने आखिरकार माना, उसकी जमीन पर सक्रिय हैं जैश व लश्कर
पाकिस्तान ने आखिरकार माना, उसकी जमीन पर सक्रिय हैं जैश व लश्कर

इस्लामाबाद, प्रेट्र। पाकिस्तान ने आखिरकार यह मान लिया है कि उसकी जमीन से ही लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठन सक्रिय हैं। जब तक ऐसे आतंकी संगठनों पर काबू नहीं पाया जाएगा तबतक विश्व मंच पर उसकी फजीहत होती रहेगी।

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पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी है कि लश्कर और जैश जैसे आतंकी समूहों पर काबू पाए जाने तक देश अपमानित होता रहेगा। आसिफ की स्वीकारोक्ति से दो दिनों पहले ब्रिक्स समूह की शिखर बैठक में पहली बार लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों का नाम लिया गया था। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी समूहों को सुरक्षित ठिकाना मुहैया कराने के लिए पाकिस्तान की आलोचना कर चुके हैं।

आसिफ ने माना कि लश्कर और जैश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित हैं। ये पाकिस्तान से संचालित हो रहे हैं। चीन रवाना होने से एक दिन पहले मंगलवार को उन्होंने कहा, 'हमें अपने मित्रों से यह कहना जरूरी है कि हमें अपने घर को सुधारना होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपमानित होने से बचने के लिए अपने घर की व्यवस्था दुरुस्त करनी होगी।'

आसिफ के मुताबिक, ब्रिक्स घोषणा को चीन का कदम के रूप में नहीं देखना चाहिए। इस समूह में रूस, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका भी शामिल हैं। ब्रिक्स घोषणा पत्र में लश्कर और जैश का नाम शामिल होना पाकिस्तान के लिए झटका माना जा रहा है। पिछले वर्ष गोवा में हुए ब्रिक्स शिखर बैठक में चीन ने इन दोनों संगठनों का नाम शामिल नहीं होने दिया था। आसिफ ने कहा कि बदली परिस्थिति में दोस्त भी काम नहीं आते हैं।

आसिफ ने कहा, 'हमें खुद से यह पूछने की जरूरत है कि क्या हमने राष्ट्रीय कार्रवाई योजना (एनएपी) के अनुसार काम किया है? हमने जो फैसले लिए थे उसके अनुसार कदम उठाए?'

अफगान शांति प्रक्रिया का समर्थन जारी रखेगा पाकिस्तान 

विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बुधवार को अफगानिस्तान के अपने समकक्ष सलाहुद्दीन रब्बानी को आश्वासन दिया कि अफगान शांति प्रक्रिया को उनके देश का समर्थन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि इससे युद्ध से जर्जर देश में शांति और स्थिरता आएगी। 

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