समलैंगिकता पर भारत, पाक साथ-साथ
वैश्विक मंचों पर पड़ोसी देश भारत और पाकिस्तान अक्सर दो अलग-अलग छोर पर खड़े रहते हैं। पर संयुक्त राष्ट्र में समलैंगिकता के मसले पर दोनों एक ही पाले में नजर आए। इतना ही नहीं अमेरिका को नजरंदाज कर दोनों ने इस संबंध में रूस की ओर से लाए गए प्रस्ताव
संयुक्त राष्ट्र। वैश्विक मंचों पर पड़ोसी देश भारत और पाकिस्तान अक्सर दो अलग-अलग छोर पर खड़े रहते हैं। पर संयुक्त राष्ट्र में समलैंगिकता के मसले पर दोनों एक ही पाले में नजर आए। इतना ही नहीं अमेरिका को नजरंदाज कर दोनों ने इस संबंध में रूस की ओर से लाए गए प्रस्ताव का समर्थन किया। हालांकि यह एका कोई कमाल नहीं दिखा पाई और रूस का प्रस्ताव गिर गया।
कैसा प्रस्ताव
समलैंगिक रिश्ते रखने वाले संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों को विवाह संबंधी वित्तीय फायदे से वंचित करने का प्रस्ताव रूस की ओर से लाया गया था। प्रशासनिक और बजट संबंधी मुद्दों को देखने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा की पाचवीं समिति में मंगलवार को इस पर मतदान हुआ।
इनका समर्थन
रूस के प्रस्ताव का 43 देशों ने समर्थन किया। इनमें भारत, पाक के अलावा चीन, मिस्त्र, ईरान, इराक, जॉर्डन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल थे। 37 देश मतदान से अनुपस्थित रहे। 80 देशों ने इसका विरोध किया। उल्लेखनीय है कि भारत में समलैंगिक संबंध रखना कानूनी रूप से अपराध है।
प्रस्ताव क्यों?
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने पिछले साल 26 जून को समलैंगिक विवाह को मान्यता दी थी। इससे समलैंगिक विवाह करने वाले कर्मचारी भी विवाह संबंधी सभी वित्तीय फायदों एवं भत्तों का लाभ उठाने के पात्र हो गए। दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र के करीब 40,000 कर्मचारी इस नीति के दायरे में आते हैं। इससे पहले कर्मचारियों को उनके देश के वैवाहिक कानून के हिसाब से फायदा मिलता था।
अमेरिका का विरोध
रूसी प्रस्ताव का विरोध करने में अमेरिका ने अगुआई की। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि सामंथा पावर ने कहा कि ऐसे मसलों पर कभी मतदान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रशासनिक फैसले लेने संबंधी अधिकार को चुनौती देने की खतरनाक परिपाटी बनी है।
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