नेपाल त्रासदी : मृतकों की संख्या जा सकती है 15 हजार के पार
नेपाल में विनाशकारी भूकंप के बाद इमारतों के मलबे के नीचे अभी कुछ लोगों के जिंदा होने की संभावना है। गुरुवार को चार लोगों को चमत्कारिक ढंग से मलबे से जीवित निकालने में कामयाबी मिली। नेपाली सशस्त्र बलों ने काठमांडू के हिल्टन होटल के मलबे से पेमा लामा (15) को
काठमांडू [संजय सिंह]। नेपाल में विनाशकारी भूकंप के बाद इमारतों के मलबे के नीचे अभी कुछ लोगों के जिंदा होने की संभावना है। गुरुवार को चार लोगों को चमत्कारिक ढंग से मलबे से जीवित निकालने में कामयाबी मिली। नेपाली सशस्त्र बलों ने काठमांडू के हिल्टन होटल के मलबे से पेमा लामा (15) को सुरक्षित निकाल लिया।इस बीच नेपाल के सैन्य प्रमुख का मानना है कि इस आपदा में मरने वालों की संख्या 15 हजार तक हो सकती है।
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भक्तपुर में भी अलसुबह स्थानीय लोगों के महिला के रोने की आवाज सुनने के बाद इजरायल, नीदरलैंड व टर्की के बचाव दल ने मिलकर सात फीट गहरे मलबे के ढेर में दबी महिला कृष्णा देवी खड़का को जीवित बाहर निकाला। इसी तरह, ललितपुर में 19 मेनका और उसके चचेरे भाई विक्की को चार मंजिला इमारत के मलबे के ढेर से निकाले जाने के बाद दूसरा जीवन मिला है। भूकंप के वक्त टीवी देख रहे दोनों भाई-बहन जान बचाने के लिए बेड के नीचे छिप गए थे।
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गुरुवार को बारिश और 3.9 और 4.7 रिक्टर स्केल के दो भूकंप के झटकों के बीच नेपाल के ग्रामीण इलाकों में अब भी राहत नहीं पहुंच पाई है। क्षतिग्रस्त सड़क मार्गो और बारिश के कारण ग्रामीण इलाकों में राहत पहुंचने में बाधा आ रही है। अधिकांश ग्रामीण इलाके पहाडि़यों पर स्थित हैं। इस कारण परेशानी और बढ़ जाती है। राहत कार्यो में विलंब होने से जगह-जगह पर हंगामे भी हो रहे हैं।
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नेपाली सशस्त्र सेना और प्रहरियों को भारी आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण इलाकों के लोग भी राहत के लिए अब शहर की ओर रुख करने लगे हैं। हैदराबाद के रहने वाले मुहम्मद शरीफ और उनकी पत्नी गोसई बेगम ने बताया कि वे लोग हैदराबाद स्थित बिजनापल्ली के रहने वाले हैं। भूकंप के समय ये लोग टाटोपानी के पास थे। भूख ने इन्हें इस कदर मजबूर किया कि चार हजार रुपये में ट्रैक्टर रिजर्व कर ये लोग नारायणघाटी आए।
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शीर्ष नेताओं ने अपने मोबाइल फोन बंद किए :
कार्य को सुचारु रूप से अंजाम देने में नाकाम रही नेपाल सरकार के शीर्ष नेताओं ने लोगों की राहत की मांग को देखते हुए अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया है। विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि नेपाल के शीर्ष नेता लोगों की राहत की मांग से परेशान हो चुके हैं। इसलिए सबके फोन स्विच ऑफ हैं। आखिर लोग अपनी शिकायत करें तो किससे। भूकंप के बाद छठे दिन भी लोग अनाज और पानी के लिए तड़पते रहे। काठमांडू की हालत तो कुछ सुधरी है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अब भी स्थिति बदतर है।
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नेपाल के बड़े अफसर अपने परिजनों को संभालने में व्यस्त :
बताया जा रहा है कि वीआइपी लोगों को विशेष सुविधा दी जा रही है। सैन्य अधिकारी, जवान और सिविल अधिकारी पहले अपने और अपने परिजनों के लिए राशन जमा कर रहे हैं। उसके बाद ही ये पीडि़तों की ओर रुख करते हैं। दक्षिण काली मंदिर के समीप फूल बेचकर जीवनयापन करने वाले झाला नाथ थापा की व्यथा भी ऐसी ही है। भूकंप के बाद पेट भरने तक के पैसे नहीं हैं। अब ये राहत कैंप में लोगों का खाना बनाकर अपना पेट पाल रहे हैं।
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पाकिस्तान के बीफ मसाला पैकेटों पर गुस्से में नेपाली :
काठमांडू में विभिन्न देशों से मदद के तौर पर राहत सामग्री भेजी जा रही है, लेकिन पाकिस्तान ने 'मील्स रेडी टू इट' व बीफ मसाले के पैकेट भेजे हैं। इसे लेकर ललितपुर में भूकंप पीडि़तों ने राहत सामग्री लेने से इन्कार कर दिया। इसके विरोध में लोगों ने हंगामा किया। वहां के नागरिक भारत की ओर से भेजी गई राहत सामग्री ही अधिक ले रहे हैं। पाकिस्तान के बीफ मसाला के पैकेट भेजने के बाद लोग किसी भी देश की राहत सामग्री भले ही ले लें, पाकिस्तानी राहत सामग्री से परहेज कर रहे हैं। इन तथ्यों की पुष्टि करने के लिए जांच की बात कहे जाने की भी सूचना मिली है।
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मौत पर 40 हजार मुआवजा
नेपाल में प्राकृतिक आपदा से मौत होने पर 40 हजार रुपये मुआवजे के तौर पर मिलते हैं। ये लगभग 25 हजार भारतीय रुपये के बराबर हैं। नेपाल स्थित फोरम लोकतांत्रिक पार्टी के केंद्रीय सदस्य दिलीप धारेवाल का कहना है कि गोरखा, सुंदरी, भक्तपुर, ललितपुर के ग्रामीण इलाकों में स्थिति भयावह है। यहां प्राकृतिक आपदा में मरने वालों को मिलने वाला अनुदान ऊंट के मुंह में जीरे समान है।