UNGA के आखिरी सत्र में ओबामा ने की भारत और चीन की जमकर तारीफ
यूएनजीए के 71वें सत्र को आखिरी बार संबोधित करते हुए बराक आेबामा ने भारत और चीन को लगातार विकास करने के लिए सराहा है। उन्होंने दोनों देशों की जमकर तारीफ भी की।
संयुक्त राष्ट्र (पीटीआई)। संयुक्त राष्ट्र महासभा में आखिरी बार बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति शामिल हुए बराक ओबामा ने भारत और चीन की जमकर तारीफ की है। उन्होंने आखिरी बार महासभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और चीन के उल्लेखनीय विकास से अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था अत्यंत बेहतर हो गई है। सबसे बेहतर बात यह है कि यह दोनों ही देश अब भी इस राह में बने हुए हैं। इसे हमें इस रूप में लेना चाहिए कि महाशक्तियां लंबे समय तक विश्व युद्ध में जुटी नहीं रह सकती हैं। शीत युद्ध के अंत ने परमाणु युद्ध के खतरे को खत्म कर दिया। अमेरिका के कमांडर इन चीफ के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा में ओबामा का यह आठवां और अंतिम संबोधन था।
दुनिया के हितों के लिए काम कर रहा अमेरिका
अपने आखिरी भाषण में अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिका को सुपरपावर बताते हुए कहा कि वह पूरी दुनिया के हित में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने न सिर्फ बेहतर ट्रेड के लिए TPP जैसे समझौतों पर अपनी राय स्पष्ट की है बल्कि इस्लामिक स्टेट जैसे आतंक संगठनों के खिलाफ भी मजबूती से एक्शन लिया है। ओबामा ने कट्टरपंथ के खिलाफ सक्त कदम उटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि हमें कट्टरपंथ को अस्वीकार करना होगा। मानवता के लिए हमें इसे खत्म करना होगा। निर्दोष लोगों को बचाने के लिए दुनिया को इससे दूर रहने की जरूरत है
संस्थाओं से उठा भराेसा
यूएनजीए के 71वें सत्र में ओबामा ने कहा कि शीत युद्ध की समाप्ति के बाद एक चौथाई सदी बीत चुकी है। दुनिया के कई कदम हिंसा से बचने और समृद्धि की दिशा में जाने वाले हैं। उनके इस भाषण में कई देशों में छिड़ी जंग और हिंसा का दर्द भी साफतौर पर दिखाई दिया। उन्होंने कहा कि मौजूदा संकट पर रोशनी डालते हुए उन्होंने कहा कि बेशुमार प्रगति के बावजूद लोगों का संस्थानों से भरोसा उठ चुका है। शासन चलाना और ज्यादा कठिन हो गया है और देशों के बीच को तनाव सतह पर आने में देरी नहीं लगती है। देशों को बेहतर साझीदारी और एकजुटता के मॉडल के साथ अपनी पसंद की राह पर आगे बढ़ने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
ओबामा नहीं बने दूसरे वक्ता
यह पहला मौका था जब महासभा में अमेरिकी राष्ट्रपति दूसरे वक्ता नहीं बन सके। अपने कार्यकाल में महासभा को अंतिम बार संबोधित करने के लिए बराक ओबामा देरी से पहुंचे थे। उनके देरी से पहुंचने के कारण महासभा के अध्यक्ष को उनके बाद के वक्ता को समय देना पड़ा। परंपरा के अनुसार आम बहस में ब्राजील के बाद अमेरिका दूसरा वक्ता होता आया है।
इजरायल-फलस्तीन शांति समझौते पर नहीं बनी बात
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि यदि इजरायल मान ले कि वह फलस्तीन की जमीन पर स्थायी कब्जा बनाए नहीं रख सकता है। वहीं यदि फलस्तीन मिल रहे शह को ठुकरा दे और इजरायल को वैधानिक मान ले तो दोनों पक्षों को लाभ होगा। आठ वर्षो तक इजरायल-फलस्तीन शांति समझौते के प्रयास में ओबामा जुटे रहे लेकिन उन्हें इसमें कोई सफलता नहीं मिल पाई। रूस के अपने खोए हुए गौरव को फिर से हासिल करने के प्रयास की भी उन्होंने निंदा की।
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