शरणार्थी समस्या से निपटने में भारत से सबक ले यूरोप
शरणार्थियों के मुद्दे पर यूरोप को आस्ट्रिया ने भारत से सीख लेने की सलाह देते हुए कहा है कि हाय-तौबा मचाने से बेहतर है कि उनसे मिलकर बात कर लें।
वियेना, प्रेट्र। यूरोप को सलाह देते हुए ऑस्ट्रिया ने शरणार्थियों की समस्या पर हाय-तौबा मचाने से मना किया है। ऑस्ट्रिया ने यूरोप को शरणाथियों से तालमेल बैठाने में भारत से सबक लेने को कहा है, जहां विभिन्न देशों के लाखों लोग शांति से रह रहे हैं।
मिस्र से इटली जा रहे 400 शरणार्थियों के भूमध्यसागर में डूबने की आशंका
ऑस्ट्रिया के के विदेश मंत्रालय में विदेश नीति मामलों के प्रमुख हरबर्ट क्रॉस के मुताबिक उन्हें भारत के साथ द्विपक्षीय बातचीत का मौका नहीं मिला है। लेकिन उन्होंने सुना और समझा है कि भारत में तमाम संभावनाएं मौजूद हैं। इसलिए वह हमारा अच्छा रणनीतिक सहयोगी बन सकता है। यह बात उन्होंने भारतीय पत्रकारों से मुलाकात में कही। क्रॉस ने कहा, जहां तक शरणार्थियों की समस्या का सवाल है तो भारत ने बांग्लादेशी शरणार्थियों की समस्या का लंबे समय तक सामना किया है। आज भी लाखों शरणार्थी भारत में हैं जिनमें बांग्लादेशियों की संख्या सर्वाधिक है। इसलिए यूरोप को उसके अनुभव का लाभ उठाना चाहिए। इससे शरणार्थियों की समस्या को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। अनुभवों की यह साझेदारी भारत और यूरोप, दोनों के लिए फायदेमंद होगी।
शरणार्थियों ने पोप के हाथ-पांव पकड़ मदद की गुहार लगाई
क्रॉस ने कहा, शरणार्थियों की समस्या ऐसी है जिसका यूरोप ने पहले कभी सामना नहीं किया। यह धीरे-धीरे बढ़ रही है और बड़ा रूप ले रही है। यह समस्या हमारी घरेलू नीतियों और रहन-सहन के तरीकों को प्रभावित कर रही है। इसलिए अब इससे व्यवस्थित तरीके से निपटे जाने की जरूरत है। अकेले ऑस्टि्रया में ही प्रतिवर्ष करीब 38 हजार शरणार्थी बढ़ रहे हैं। यह देश के आर्थिक और सामाजिक वातावरण पर विपरीत असर डाल रहे हैं। पूरे यूरोप में यह समस्या अभी ज्यादा गंभीर नहीं है। वहां की कुल आबादी करीब 50 करोड़ है। ऐसे में उसमें शामिल देश 20-30 लाख शरणार्थियों को समाहित कर सकते हैं।