Move to Jagran APP

चीन अब वायुसेना को बनाएगा और आक्रामक

अमेरिका, जापान, ताइवान और वियतनाम के साथ भारत को भी अपने लिए खतरा मानते हुए चीन ने अपने वायु क्षेत्र को और सुरक्षित बनाने के लिए कमर कस ली है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2015 07:26 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2015 08:30 PM (IST)
चीन अब वायुसेना को बनाएगा और आक्रामक

बीजिंग । अमेरिका, जापान, ताइवान और वियतनाम के साथ भारत को भी अपने लिए खतरा मानते हुए चीन ने अपने वायु क्षेत्र को और सुरक्षित बनाने के लिए कमर कस ली है। चीनी सेना पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने अपने शोध में वायु सतर्कता और निगरानी बढ़ाने के लिए कड़े उपाय सुझाए हैं। इसके लिए वह हवाई हमले तेज करने को द्रुत गति की मिसाइलें और नए जमाने के बम भी बनाने जा रहा है।

loksabha election banner

जापानी समाचार एजेंसी क्योदो के अनुसार दुनिया की सबसे बड़ी सेना चीन की पीएलए में 23 लाख जवान हैं। यह सेना अपनी नौसेना को ताकतवर बनाने के बाद अब अपनी वायुसेना को सर्वाधिक शक्तिशाली बनाने की तैयारी में है। वह वायुक्षेत्र में अपनी सतर्कता बढ़ाने और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में हवाई हमले की अपनी क्षमता को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा वह जापान के आसपास के क्षेत्रों में भी अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहती है। उल्लेखनीय है कि पीएलए का सालाना सैन्य बजट 145 अरब डॉलर है जबकि भारत का वार्षिक सैन्य बजट इससे तीन गुना कम 40 अरब डॉलर ही है।

इस शोध में कहा गया है कि चीन को ऐसे खतरे से निपटने के लिए नौ तरह की रणनीतियों पर काम करना होगा। इसमें तीव्र गति की हवा में मार करने वाली मिसाइलें, बड़े परिवहन विमान, पृथ्वी के ऊपरी वातावरण में उड़ने में सक्षम विमान, मानव रहित युद्धक विमान, वायुसेना सैटेलाइट और निर्देशित बम तैयार करना शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक चीनी नौसेना में दूसरा विमानवाहक जहाज और डेक से बमवर्षक नया जहाज लाए जाने के सारी दुनिया का ध्यान उस ओर गया। अब इसी तरह चीनी वायुसेना के बड़े विस्तार की योजना है।

अमेरिका, जापान व ताइवान को भी बताया खतरा

चीनी वायुसेना कमांड एकाडमी ने पिछले साल नवंबर में जारी अपनी रिपोर्ट में अमेरिका, जापान, ताइवान, भारत और वियतनाम को वर्ष 2030 तक सैन्य वायुक्षेत्र में बतौर खतरा चिन्हित किया था। बीजिंग में केंद्रित यह एकेडमी चीनी वायुसेना के नेतृत्व प्रशिक्षण संगठन का थिंक टैंक है। इसी के शोध के आधार पर पहले भी चीनी दिशा-निर्देश निधार्रित किए जाते रहे हैं।

चीन ने ब्रह्मपुत्र पर तीन और परियोजनाओं को दी मंजूरी

माणा पास से भारत चीन के बीच हो आवाजाही का समझोता


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.