बांग्लादेश में संसद को मिला जजों के महाभियोग का अधिकार
बांग्लादेश की संसद ने जजों पर महाभियोग चलाने का अधिकार सांसदों को सौंप दिया। इस आशय का संविधान संशोधन प्रस्ताव संसद में सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। 16वें संविधान संशोधन प्रस्ताव के समर्थन में सभी 327 वोट पड़े। इसके साथ ही 1972 में किया गया बदलाव निरस्त हो गया है।
ढाका। बांग्लादेश की संसद ने जजों पर महाभियोग चलाने का अधिकार सांसदों को सौंप दिया। इस आशय का संविधान संशोधन प्रस्ताव संसद में सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। 16वें संविधान संशोधन प्रस्ताव के समर्थन में सभी 327 वोट पड़े। इसके साथ ही 1972 में किया गया बदलाव निरस्त हो गया है।
कानून मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति के चेयरमैन ने मतदान से पहले संसद में कहा, सरकार कोई नया बदलाव नहीं कर रही है। 1972 तक जो व्यवस्था थी, उसे दोबारा लागू किया जा रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट के किसी जज के खिलाफ महाभियोग संसद में दो तिहाई बहुमत के बाद चलाया जा सकेगा। इससे पहले जज के खिलाफ लगे आरोपों की जांच सरकार करवाएगी। जांच के दौरान जजों को बचाव का मौका मिलेगा।
फिलहाल जजों को हटाने की कार्रवाई का अधिकार सर्वोच्च न्यायिक परिषद के पास है। इसमें चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठतम जज शामिल होते हैं। यह तंत्र सैन्य तानाशाह से राजनेता बने जिया उर रहमान के शासनकाल में लाया गया था। उन्होंने बीएनपी की स्थापना की, जिसकी कमान अब खालिदा जिया के हाथ है। बीएनपी ने संविधान में किए गए संशोधन को जजों को खौफ में रखने का कदम बताया है।
तीस्ता पर जल्द होगी भारत से वार्ता
बांग्लादेश के विदेश मंत्री एएच महमूद अली ने कहा कि तीस्ता जल संधि एवं सीमा समझौते के लिए बहुत जल्द भारत से वार्ता की जाएगी। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि नई दिल्ली सरकार ढाका की चिंताओं को समझते हुए ऐसे द्विपक्षीय समझौतों को जल्द अंतिम रूप दे।