Move to Jagran APP

यूएन की इजाजत के बिना सीरिया पर कार्रवाई के खिलाफ भारत

सेंट पीटर्सबर्ग [राजकिशोर]। विश्व अर्थव्यवस्था की तबियत सुधारने के नुस्खे तलाशने जुटे दुनिया के 20 बड़े मुल्कों के नेताओं के बीच बड़ी माथापच्ची का सबब सीरिया ही साबित हुआ। रात्रिभोज की मेज पर व्यंजनों का स्वाद भी सीरिया में सैन्य कार्रवाई पर आमादा अमेरिका और उसके खिलाफ खड़े रूस के बीच मतभेदों की कड़वाहट कम न कर सका। इस दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सीरिया में कोई भी कार्रवाई केवल संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के परचम तले हो। हालांकि साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत कहीं भी रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के खिलाफ है।

By Edited By: Published: Fri, 06 Sep 2013 02:54 PM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2013 10:36 PM (IST)

सेंट पीटर्सबर्ग [राजकिशोर]। विश्व अर्थव्यवस्था की तबियत सुधारने के नुस्खे तलाशने जुटे दुनिया के 20 बड़े मुल्कों के नेताओं के बीच बड़ी माथापच्ची का सबब सीरिया ही साबित हुआ। रात्रिभोज की मेज पर व्यंजनों का स्वाद भी सीरिया में सैन्य कार्रवाई पर आमादा अमेरिका और उसके खिलाफ खड़े रूस के बीच मतभेदों की कड़वाहट कम न कर सका। इस दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सीरिया में कोई भी कार्रवाई केवल संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के परचम तले हो। हालांकि साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत कहीं भी रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के खिलाफ है।

loksabha election banner

पढ़ें: संयुक्त राष्ट्र पर्यवक्षकों का सीरिया छोड़ने का सिलसिला शुरू

पढ़ें: सीरिया में पांच हजार से ज्यादा लोगों की मौत

जी-20 राष्ट्र प्रमुखों की बैठक के बाद योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के हवाले से कहा कि विश्व समुदाय को सीरिया में रासायनिक हथियारों के कथित इस्तेमाल पर संयुक्त राष्ट्र निरीक्षकों की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए। भोज में शरीक हुए अहलूवालिया ने मीडिया को बताया कि प्रधानमंत्री ने जी-20 के अपने साथी नेताओं से यह भी कहा कि भारत रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल की निंदा करता है, चाहे वह सीरिया में हो या दुनिया में कहीं और।

पढ़ें: सीरिया में विद्रोहियों ने किया सरीन गैस का इस्तेमाल

बीती रात काफी देर तक चले रात्रिभोज में सीरिया का मुद्दा ही छाया रहा। इसमें सीरिया को लेकर विपरीत ध्रुवों पर खड़े अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और मेजबान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अलावा संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून भी थे। मून ने बताया कि रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल को लेकर सीरिया से लिए गए नमूनों की जांच की जा रही है। मारे गए लोगों के टिश्यू का भी परीक्षण हो रहा है।

लिहाजा इस रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए। हालांकि सीरिया में 21 अगस्त की घटना के बाद सैन्य दखल के लिए सीनेट कमेटी की मंजूरी ले चुके बराक ओबामा इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अमेरिका के पास रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के पर्याप्त सुबूत हैं।

ऐसे में अमेरिकी रणनीति पर रहस्य बरकरार है क्योंकि ओबामा ने संयुक्त राष्ट्र के जांच दल की रिपोर्ट आने तक इंतजार का भी कोई आश्वासन नहीं दिया। हालांकि अमेरिकी रुख के मद्देनजर मून ने कहा है कि जांच रिपोर्ट जल्द ही आ जाएगी। मनमोहन सिंह समेत ज्यादातर राष्ट्राध्यक्षों का मत था कि सीरिया पर कोई भी फैसला पूरी जांच रिपोर्ट आने के बाद ही होना चाहिए। आहलूवालिया के मुताबिक मनमोहन ने यह भी स्पष्ट कहा कि भारत दुनिया के किसी भी मुल्क में सत्ता परिवर्तन के लिए सैन्य हस्तक्षेप के खिलाफ है। कोई भी कार्रवाई पूरी तरह मुतमईन होने और संयुक्त राष्ट्र संघ की इजाजत के बाद होनी चाहिए।

सीरियाई विपक्ष और अमेरिका समेत कई देशों ने 21 अगस्त को दमिश्क के उपनगरीय इलाके में बशर अल असद की सरकार पर रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के आरोप लगाए हैं। हालांकि सीरिया सरकार इन आरोपों को खारिज कर रही है। इस घटना में करीब डेढ़ हजार लोग मारे गए थे।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.