अमेरिकी कांग्रेसमैन ने की मोदी की तारीफ
एक ओर अमेरिकी सरकार गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने देश आने के लिए वीजा देने में टाल-मटोल कर रही है, वहीं अमेरिका के ही एक कांग्रेसमैन मोदी की तारीफों के पुल बांध रहे हैं। अमेरिका के कांग्रेसमैन अरोन शॉक ने मोदी की इमानदारी, पारदर्शिता और खुले प्रशासन प्रणाली की प्रशंसा की।
वाशिंगटन। एक ओर अमेरिकी सरकार गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने देश आने के लिए वीजा देने में टाल-मटोल कर रही है, वहीं अमेरिका के ही एक कांग्रेसमैन मोदी की तारीफों के पुल बांध रहे हैं। अमेरिका के कांग्रेसमैन अरोन शॉक ने मोदी की इमानदारी, पारदर्शिता और खुले प्रशासन प्रणाली की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इसी वजह से गुजरात में अमेरिकी कंपनियां भारी मात्रा में निवेश कर रही हैं।
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शॉक ने कहा कि मैं गुजरात में अरबों रुपये का निवेश करने वाली फोर्ड और टाटा मोटर्स के साथ हुई बैठक के बाद यह जानकर काफी प्रभावित हुआ कि कारोबारी नीतियों को अच्छी भावना के साथ लागू किया गया है।
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इसके अलावा, अमेरिकी कंपनियां को भी सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों ने भारत के इस क्षेत्र को खासतौर पर निवेश के लिए चुना है क्योंकि यहां की सरकार इमानदार, पारदर्शी और खुले विचारों की है।
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शॉक ने कहा कि जब गुजरात सरकार ने समान को बाजार तक पहुंचाने के लिए सड़क निर्माण का वादा किया तो उसे पूरा भी किया। हालांकि, शॉक ने खुले तौर पर मोदी का बिना नाम लिए यह सारी बाते कहीं। शॉक ने मोदी से मार्च माह के दौरान अहमदाबाद में मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि गुजरात की जनसंख्या टैक्सस और कैलिफोर्निया की संयुक्त आबादी से भी ज्यादा है, इसके बावजूद यहां कि वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर 10 फीसद है।
उन्होंने एक जगह लिखा कि मैंने गुजरात में अधिकारियों से मिलकर कहा कि उनकी सफलता का राज तेजी से भ्रष्टाचार को क्षेत्र से हटाने पर केंद्रीत नीतियां हैं। शॉक ने कहा कि उनकी पादर्शिता को बढ़ाने वाली नीतियों से राजनीति को भावी नहीं होने दिया साथ ही दफ्तरशाही को कम किया है। यह सुनकर ताजगी भरा अहसास मिलता है।
उन्होंने कहा कि भारत में कई प्रकार के विरोधाभास हैं। अफसोस की बात है कि सफलता की कहानियां केवल गुजरात में ही मिल सकती हैं। हालांकि, उन्होंने गुजरात की तारीफ तो खुल कर की, लेकिन पूरे देश को विसंगतियों भरा बता दिया। उन्होंने कहा कि भारत में अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून के मुकाबले घरेलू कारोबार को सुरक्षित करने पर ज्यादा फोकस रहता है। नतीजन पक्षपाती बाजार के कारण अमेरिका की टेक्नोलॉजी कंपनियां और निवेशक अपने संसाधनों को यहां लाने से डर रहे हैं।
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