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जानिए, दिल्‍ली के इस गांंव में क्‍यों नहीं है नोटबंदी का असर

दिल्‍ली का एक ऐसा अनूठा गांव जहां लेनदेन कैशलेस होता है। इतना ही नहीं यह गांव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फैन भी है। इस गांव में नोटबंदी का असर न के बराबर है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 15 Dec 2016 10:13 AM (IST)Updated: Fri, 16 Dec 2016 09:34 AM (IST)
जानिए, दिल्‍ली के इस गांंव में क्‍यों नहीं है नोटबंदी का असर

नई दिल्ली (जेएनएन)। नोटबंदी के बाद जहां देशभर में लोग बैंकों व एटीएम के बाहर नकदी के लिए परेशान कतारों में खड़े नजर आ रहे हैं, वहीं देश की राजधानी दिल्ली के गांव किलोकरी में 80 फीसदी लेनदेन कैशलेस हो रहा है। दिल्ली के पॉश इलाके महारानी बाग से सटे किलोकरी गांव के लोगों की मानें तो ज्यादातर लोग बैंक नहीं जा रहे हैं और न ही एटीएम की लाइनों में लग रहे हैं।

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जब ग्रामीणों से इसका राज पूछा गया कि उन्होंने बताया कि उनका मोबाइल फोन ही उनका बैंक बन गया है। किलोकरी गांव में यह आदत लगभग सभी लोगों ने डाल दी है। यहां का निवासी हो या फिर दुकानदार या फिर किरायेदार। नोटबंदी के बाद यहां के लगभग सभी लोगों ने कैशलेस लेनदेेन शुरू कर दिया है। यही वजह है कि इलाके में 80 फीसदी लेनदेन कैशलेस हो रहा है।

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यहां के ग्रामीणों ने बताया कि नोटबंदी के बाद पहली बार उन्होंने अपने मोबाइल में ई-वैलेट्स पेटीएम का प्रयोग शुरू किया।

...इसलिए शुरू हुई कयावद

ग्रामीणों के मुताबिक, इस गांव में कैशलेस आदत की शुरुआत 20 नवंबर को हुई, जब पहली बार यहां पर राजस्व विभाग के डीएम ऑफिस की ओर से यहां कैंप लगाया गया। कैैंप में बैंक अकाउंट खुलवाने और कैशलेस लेनदेन के विकल्पों के बारे में बताया गया। उसके बाद से ही डीएम ऑफिस गांववालों की रुचि को देखते हुए इस कैशलेस बनाने की मुहिम में जुट गया।

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उसका परिणाम यह हुआ की गांव में चाय की दुकान चलाने वाले गौरव ने बताया कि यहां बड़ी संख्या में स्टूडेंट किराये पर रहते हैं। ई-वैलेट्स नहीं होता तो मेरा धंधा ही खत्म हो जाता है।

डीएम दक्षिण-पूर्व जिला के डीएम बी. एस जगलान के मुताबिक, नोटबंदी के बाद कैशलेस लेनदेन को बढ़ाने के लिए हम पूरे जिले में अभियान चलाकर काम कर रहे हैं,मगर किलोकरी गांव के निवासियों ने इसमें बढ़-चढ़कर भागीदारी की।

यही वजह है कि हमने टारगेट बनाकर यहां काम किया। अब 80 फीसदी से ज्यादा निवासी, छोटे-बड़े दुुकानदार हो या फिर चायवाला या फिर ढाबा चलाने वाला सभी ई-वैलेट्स का प्रयोग कर रहे हैं।

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यह भी जानें

-600 मकान।
-3000 मतदाता।
-5000 की कुल आबादी है किरायेदारों को लेकर।
-29 लोगों का बैंक खाता भी खुलवाया गया।
-04 बार यहां कैशलेस प्रशिक्षण कार्यक्रम चला।


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