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Howdy Modi: मोदी और ट्रंप के बीच जुगलबंदी पर दुनिया की निगाहें, जानें- इसके कूटनीतिक मायने

Howdy Modi रविवार 22 सितंबर को अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में एक भव्य कार्यक्रम होने जा रहा है जिसका नाम रखा गया है-हाउडी मोदी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 08:58 AM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 09:41 AM (IST)
Howdy Modi: मोदी और ट्रंप के बीच जुगलबंदी पर दुनिया की निगाहें, जानें- इसके कूटनीतिक मायने

[अवधेश कुमार]। Howdy Modi: अमेरिका में आयोजित होने जा रहे ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शामिल होने की खबर के बाद दुनिया के सभी प्रमुख देशों की नजर उस कार्यक्रम पर लग गई है। तमाम पत्रकार इतिहास के पन्ने पलट रहे हैं कि इसके पहले किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने किसी विदेशी नेता के साथ इतनी बड़ी जनसभा में कब मंच साझा किया था। अभी तक इस तरह के दूसरे कार्यक्रम का कोई पन्ना अतीत में नहीं मिला। अगर यह सच है तो इसे हर दृष्टि से महत्वपूर्ण घटना के तौर पर मानना होगा।

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अब जो सूचना है कि नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के बायरिट्ज में समूह-7 की बैठक के दौरान हुई द्विपक्षीय मुलाकात में ही डोनाल्ड ट्रंप से सभा में शामिल होने का अनुरोध किया था। अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक कार्यालय ह्वाइट हाउस द्वारा इसकी घोषणा के साथ यह साफ हो गया है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन के समानांतर इस कार्यक्रम की व्यापक चर्चा होगी। आखिर कूटनीति में इसका अर्थ तो निकाला ही जाएगा कि नरेंद्र मोदी ने अपनी सभा में ट्रंप को शामिल होने का निमंत्रण क्यों दिया और उन्होंने इसे स्वीकार क्यों कर लिया? फिर दोनों जो बोलेंगे उसका अर्थ निकाला जाएगा।

शेयर्ड ड्रीम्स, ब्राइट फ्यूचर

इससे पहले ब्रिटेन की सभा में तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरून अपनी पत्नी के साथ उपस्थित थे। लेकिन उन्होंने कुछ पंक्तियां स्वागत में बोलीं और उसके बाद माइक मोदी को थमा दिया। आगामी 22 सितंबर को अमेरिका के ह्यूस्टन शहर के एनआरजी स्टेडियम में होने वाले हाउडी मोदी का नारा है- शेयर्ड ड्रीम्स, ब्राइट फ्यूचर यानी साझा सपना, उज्ज्वल भविष्य। इस सभा के लिए रिकार्ड संख्या में 50,000 से अधिक लोगों ने पंजीकरण करवाया है। यह संख्या अपनेआप में बहुत अधिक इसलिए भी कही जा सकती है, क्योंकि इस शहर में भारतीय मूल के निवासियों की संख्या लगभग सवा लाख है।

हालांकि यह कार्यक्रम मूलत: अमेरिकी भारतीयों के लिए है, लेकिन इसमें कोई भी शामिल हो सकता है। यह पहला मौका होगा जब कोई अमेरिकी राष्ट्रपति भारतीय समुदाय के ऐसे कार्यक्रम में शामिल होगा, जिसे हमारे प्रधानमंत्री संबोधित करने वाले हैं। यह भी पहली बार होगा जब कोई अमेरिकी राष्ट्रपति एक ही स्थान पर इतनी बड़ी संख्या में मौजूद भारतीय- अमेरिकियों को संबोधित करेंगे। इस नाते भी यह कार्यक्रम महत्वपूर्ण है जिसे कुछ लोग ऐतिहासिक कह रहे हैं, क्योंकि भारतीय समुदाय के 50 हजार से ज्यादा लोग इस कार्यक्रम में शामिल होंगे और जिसे मोदी संबोधित करेंगे। हाल के इतिहास में यह पहली बार होगा जब दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों के नेता एक संयुक्त रैली को संबोधित करेंगे। हाउडी शब्द का अर्थ है- आप कैसे हैं? दक्षिण पश्चिम अमेरिका में अभिवादन के लिए इस शब्द का प्रयोग किया जाता है। इसका मतलब इस कार्यक्रम का नाम हुआ- मोदी, आप कैसे हैं।

दुनिया के लिए संभवत पहला राजनीतिक रॉक कार्यक्रम

नरेंद्र मोदी वैसे तो संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने के लिए वहां जा रहे हैं, लेकिन यह अत्यंत व्यापक आयामों वाला व्यस्त दौरा है। वर्ष 2014 में सत्ता संभालने के बाद से अपने विदेशी दौरों में जहां भी संभव होता है, मोदी भारतवंशियों को संबोधित करते हैं। यह कार्यक्रम पूर्व के प्रधानमंत्रियों के कार्यक्रमों से चरित्र, व्यापकता एवं विषय-वस्तु के स्तर पर काफी अलग होता है। मोदी ने इन सभाओं से न सिर्फ दुनिया भर में फैले ढाई करोड़ से ज्यादा भारतवंशियों के अंदर भारतीय होने का स्वाभिमान पैदा कर भारत से भावनात्मक रूप से जोड़ा है, बल्कि इससे उन देशों को भी कई संदेश दिए हैं, जहां भारतवंशी रह रहे हैं।

न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वायर में PM मोदी का भाषण

सच कहा जाए तो सितंबर 2014 की अपनी पहली अमेरिका यात्रा में मोदी ने न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वायर में 28 सितंबर को जिस तरह का भाषण दिया और उनके प्रबंधकों ने कार्यक्रम को जैसा आकर्षक स्वरूप दिया था, उसका अमेरिकी प्रशासन एवं संयुक्त राष्ट्र महासभा में शामिल होने गए अनेक नेताओं पर स्फुलिंग प्रभाव पड़ा। मोदी के भाषण तथा वहां उपस्थित लोगों को उनको लेकर साफ दिखते उत्साह तथा समर्थन ने नेताओं को यह मानने को बाध्य कर दिया कि यह नेता बनाई गई और प्रचारित छवि से अलग एक जानदार, समझदार, जनता के बीच लोकप्रिय, बेहतरीन वक्ता, गहरे विचारों व कल्पना वाला तथा साहसी व्यक्तित्व रखता है। इसके पास देश के साथ दुनिया के लिए भी सोच है। इसके पहले कई पीढ़ियों ने अमेरिकी भूमि से किसी भारतीय नेता को यह कहते नहीं सुना था कि भारत दुनिया का मार्गदर्शन करने के लिए आ गया है। भारत में इसकी क्षमता है। इस पंक्ति के बाद तालियों की गड़गड़हाट लंबे समय तक चलती रही। यह दुनिया के लिए पहला राजनीतिक रॉक कार्यक्रम था। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि नरेंद्र मोदी का स्वागत ऐसे हुआ जैसे किसी रॉक स्टार का होता है। उसके बाद अमेरिकी प्रशासन ने नरेंद्र मोदी की जैसी आवभगत की तथा ओबामा ने प्रोटोकॉल तोड़कर मोदी के साथ समय बिताया, वो तस्वीरें भुलाई नहीं जा सकतीं।

अबकी बार ट्रंप सरकार

कहने का तात्पर्य यह कि भारतवंशियों के बीच सुनियोजित, सुव्यवस्थित और लक्षित सभा से मोदी ने अपने एवं भारत के बारे में धारणा बदलने में सफलताएं पाईं हैं। उसके एक वर्ष बाद कैलिफोर्निया के सैप सेंटर में जब मोदी का भाषण हुआ तो अमेरिका के दोनों पार्टियों के बड़े नेता वहां उपस्थित थे। सीनेट की अध्यक्ष नैन्सी पोलेसी ने तो भाषण के बाद मोदी को गले लगाते हुए ऐसे जकड़ा मानो वो अभिभूत हो गई हों। उसके बाद ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, संयुक्त अरब अमीरात, सउदी अरब आदि के साथ छोटे-छोटे देशों में भी नरेंद्र मोदी ने भारतवंशियों के सामने बोलने का समय निकाला और इसके अच्छे परिणाम आए हैं। इससे भारत एवं भारतवंशियों की अतुलनीय ब्रांडिंग हुई। हाउडी मोदी कार्यक्रम भी प्रभावों और परिणामों की दृष्टि से दूरगामी महत्व वाला होगा। यह कहा जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप को अगले वर्ष चुनाव में उतरना है।

‘अबकी बार मोदी सरकार’

वे भारतवंशियों के बीच मोदी की लोकप्रियता का लाभ उठाना चाहते हैं। अमेरिका में भारतवंशियों की संख्या 30 लाख है जिसमें कम से कम 15 लाख मतदाता हैं। मोदी की न केवल भारत, बल्कि एशियाई मतदाताओं में भी लोकप्रियता है। अपने पिछले चुनाव में ट्रंप ने करीब पांच हजार भारतीयों की सभा को संबोधित किया था। ‘अबकी बार मोदी सरकार’ की तर्ज पर ट्रंप ने स्वयं अभ्यास करके अपने उच्चारण में ही बोला था- अबकी बार ट्रंप सरकार। यह अभी भी यूट्यूब पर उपलब्ध है। 

ट्रंप का यह एक उद्देश्य हो सकता है। किंतु इसका भी मायने यह है कि अमेरिकी भारतीय अब अमेरिकी राजनीति में महत्वपूर्ण हो गए हैं। इसमें नरेंद्र मोदी की महत्वपूर्ण भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। वैसे इसको यहीं तक सीमित कर देना इसके व्यापक आयाम को छोटा करना होगा। ट्रंप की स्वीकृति के बाद नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि यह फैसला भारत-अमेरिका के रिश्ते की मजबूती दिखाता है। इससे यह भी पता चलता है कि भारतीय समुदाय का अमेरिकी समाज और वहां की अर्थव्यवस्था में खासा योगदान है। कार्यक्रम में भारतीय समुदाय ट्रंप का शानदार स्वागत करेगा। यह उद्गार एकपक्षीय नहीं है।

अमेरिका भारत के साथ घनिष्ठ संबंध

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव स्टेफनी ग्रिशम ने बयान दिया कि मोदी और ट्रंप की यह साझा रैली अमेरिका और भारत के लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने, दुनिया के सबसे पुराने एवं सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच रणनीतिक साझेदारी की पुन: पुष्टि करने और उनकी ऊर्जा तथा व्यापारिक संबंधों को गहरा करने के तरीकों पर चर्चा करने का बेहतरीन मौका होगा। इसके बाद यह मानने में कोई हर्ज नहीं है कि अमेरिका भारत के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों के महत्व को दिखाना चाहता है। भारत के प्रधानमंत्री को इस तरह महत्व देने का संदेश अंतरराष्ट्रीय राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

जम्मू कश्मीर को लेकर भारत पाकिस्तान के बीच संबंधों के तनाव तथा चीन का पाकिस्तान के साथ खड़ा होने के दौर में ट्रंप का खुलकर भारत के प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा करना तथा इतना अधिक महत्व देने का सीधे संदेश यही निकलेगा कि ट्रंप बीच-बीच में चाहे मध्यस्थता की बात कर देते हों, लेकिन अमेरिका का स्वाभाविक झुकाव भारत की ओर ही है। अगर पक्ष लेने की नौबत आएगी तो वह भारत के साथ खड़ा होगा। सुरक्षा परिषद में अमेरिका ने भारत का साथ दिया भी। ध्यान रखिए, मोदी-ट्रंप की सभा में अमेरिकी संसद के दोनों सदन के 50 से ज्यादा सांसद शामिल हो रहे हैं जिनमें रिपब्लिकन एवं डेमोक्रेट दोनों हैं। इसमें अमेरिका के कई गणमान्य नागरिक तथा कारोबारी भी शिरकत करेंगे। वैसे अमेरिकी कंपनियों के सीईओ के साथ मोदी की एक राउंड टेबल बैठक अलग से प्रस्तावित है।

[वरिष्ठ पत्रकार]

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