यादव सिंह की सिफारिश पर जिपं से भी होते थे नक्शे पास
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के निलंबित मुख्य अभियंता यादव सिंह की डायरी से नए-नए राज खुलने लगे हैं। छापेमारी के दौरान यादव सिंह के घर से आयकर विभाग द्वारा बरामद डायरी में जिला पंचायत में उसके हस्तक्षेप की बात सामने आई है। जिन-जिन लोगों के नक्शे यादव
जागरण संवाददाता, नोएडा। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के निलंबित मुख्य अभियंता यादव सिंह की डायरी से नए-नए राज खुलने लगे हैं। छापेमारी के दौरान यादव सिंह के घर से आयकर विभाग द्वारा बरामद डायरी में जिला पंचायत में उसके हस्तक्षेप की बात सामने आई है। जिन-जिन लोगों के नक्शे यादव सिंह की सिफारिश पर स्वीकृत किए गए थे, उनके नाम भी डायरी में दर्ज हैं। इससे पता चलता है कि यादव सिंह का हस्तक्षेप न केवल प्राधिकरणों में रहता था, बल्कि जिला पंचायत में भी उसकी मर्जी के बिना काम नहीं होते थे।
बसपा शासनकाल के दौरान जिला पंचायत से बड़ी संख्या में भवनों के नक्शे पास किए गए। दरअसल, गांवों में प्राधिकरण द्वारा किसानों की आबादी के लिए छोड़ी गई जमीन को बिल्डर व व्यवसायी खरीद लेते हैं। नियमानुसार आबादी की जमीन पर सिर्फ रिहायशी मकान बनाने की छूट है। वहीं, प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में आने के कारण आबादी की जमीन पर जिला पंचायत को नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में नक्शे पास करने का अधिकार भी नहीं है। पर, अपने रसूख के दम पर यादव सिंह न केवल अपने करीबियों से गांवों में जमीन खरीदवा कर उन जिला पंचायत से भवनों के नक्शे पास करता था, बल्कि उसने खुद भी नोएडा के सेक्टर 37 में गोल्फ व्यू के नाम से अपना होटल बनाया। जिला पंचायत ने आबादी की जमीन पर आवासीय व कामर्शियल दोनों तरह की गतिविधियों के लिए नक्शे पास किए।
बसपा शासनकाल के दौरान करीब दो सौ भवनों के नक्शे पास किए गए। इस तरह का खुलासा यादव सिंह के यहां बरामद डायरी से हुआ है। इतना ही नहीं, यादव सिंह के इशारे पर जिला पंचायत ने नोएडा से सटी एक अवैध कालोनी में ऐसी जमीन पर भी होटल के लिए नक्शा पास किया, जो जिला पंचायत के अधिकार क्षेत्र से बाहर था। आयकर विभाग के निशाने पर इस तरह के सभी भवन मालिक आ गए हैं। शीघ्र इनको नोटिस भेजकर कार्रवाई की जा सकती है।
प्राधिकरण बना कुबेर, कर्मचारी बना रहे करोड़ों की संपत्ति
नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) उत्तर प्रदेश की कुबेर नगरी बन चुकी है। प्राधिकरण में तैनात किसी भी अधिकारी-कर्मचारी की हैसियत से उसकी पुष्टि हो जाती है। सूत्रों की माने तो नोएडा प्राधिकरण में प्रत्येक जेई-प्रोजेक्ट इंजीनियर कम से कम एक-एक हजार करोड़ रुपये की संपत्ति बना चुका है। नोएडा की सूरत बिगाड़ने में इन्हीं अधिकारी व कर्मचारियों का काम है। ये पिछले बीस-बीस सालों से शहर में तैनात है। सत्ता बदलने के बाद भी इन पर कोई फर्क नहीं पड़ा। जिनका तबादला हो गया, वे भी डेपुटेशन पर नोएडा में ही हैं। अगर प्राधिकरण ईमानदारी से इनकी ही जांच कराए तो प्रदेश में भूचाल आ जाएगा। प्राधिकरण ही नहीं, बल्कि प्रदेश सरकार भी सवालों के घेरे में आ सकती है।