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राजनीति में भी खासा दखल रखता था यादव सिंह

प्राधिकरण में निर्माण एवं विकास कार्यो के टेंडरों से करोड़ों रुपये की काली कमाई करना वाला यादव सिंह राजनीति में भी खासा दखल रखता था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उसकी मर्जी के बिना बसपा में टिकट नहीं दिए जाते थे। पार्टी में उसकी तूती बोलती थी। यादव सिंह ठेकेदार और

By manoj yadavEdited By: Published: Sat, 06 Dec 2014 06:50 PM (IST)Updated: Sat, 06 Dec 2014 08:35 PM (IST)

जागरण संवाददाता, नोएडा। प्राधिकरण में निर्माण एवं विकास कार्यो के टेंडरों से करोड़ों रुपये की काली कमाई करना वाला यादव सिंह राजनीति में भी खासा दखल रखता था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उसकी मर्जी के बिना बसपा में टिकट नहीं दिए जाते थे। पार्टी में उसकी तूती बोलती थी। यादव सिंह ठेकेदार और नेताओं से पैर छुआने का भी आदी रहा था।

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प्राधिकरण कार्यालय में बैठकर जब वह सरकारी काम कर रहा होता था, तब भी बसपा के स्थानीय नेता और ठेकेदार उसके पैर छूकर आशीर्वाद लेते थे। पैर छूने वाले ठेकेदारों को ही वह टेंडर देता था। कई ठेकेदार तो पैर छूकर विधान सभा, लोकसभा और जिला पंचायत के चुनाव में बसपा का टिकट लेने में भी कामयाब रहे। कई ऐसे भी नेता थे, जिनको पार्टी हाईकमान की तरफ से टिकट देने को हरी झंडी दे दी गई थी, लेकिन यादव सिंह के विरोध के कारण अंतिम समय में उनका टिकट कट गया था।

यादव सिंह ने 2012 के विधानसभा चुनाव में पत्‌नी कुसुमलता को नोएडा विधान सभा से टिकट दिलाने का प्रयास किया था। सूत्रों की मानें तो पार्टी हाईकमान ने भी कुसुम लता को टिकट देने की तैयारी कर ली थी, लेकिन अंतिम समय में बसपा के स्थानीय नेता की राय पर यादव सिंह अपनी पत्‌नी को टिकट दिलाने से पीछे हट गए।

सूत्रों के मुताबिक समूचे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के टिकट वितरण में उसका सीधा हस्तक्षेप रहता था। जिला संगठन के पदाधिकारियों के नाम भी तय करते समय पार्टी की तरफ से यादव सिंह से राय ली जाती थी। चुनाव में भी यादव सिंह पार्टी प्रत्याशियों की आर्थिक मदद करता था। यादव सिंह के दम पर करोड़ों की कमाई करने वाले अनेक ठेकेदारों में पैसा कमाने के बाद राजनीति का भी बुखार चढ़ने लगा था। इसके लिए भी उन्होंने यादव सिंह को ही पकड़ा।

करीबी ठेकेदार गायब

आयकर विभाग की छापेमारी के दौरान यादव सिंह के घर से बरामद डायरी में जिन ठेकेदारों के नाम सामने आए हैं, वह भूमिगत हो गए हैं। ये न केवल आयकर विभाग के निशाने पर हैं, बल्कि प्राधिकरण भी इनकी जांच करा रहा है। इससे ठेकेदारों को अपनी गर्दन फंसती नजर आ रही है। इस डर से वह शहर से गायब हो गए हैं। यादव सिंह के करीबी ठेकेदारों के मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ हैं।

काली कमाई लगा रहे हैं ठिकाने

आयकर विभाग के निशाने पर आए यादव सिंह के करीबी ठेकेदार अपनी काली कमाई को छिपाने और हिसाब-किताब को दुरुस्त करने में जुटे हैं। सूत्रों के अनुसार ठेकेदारों को डर सता रहा है कि जांच आगे बढ़ने पर उन पर कार्रवाई हो सकती है। इसलिए वह कहीं छुपकर अपनी फाइलों को दुरुस्त करने में लगे हैं। इसके लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट का सहारा लिया जा रहा है।

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