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कानपुर में बना अनशन का विश्व रिकॉर्ड

अपने हक के लिए लड़ रहे उत्तर प्रदेश के एल्गिन मिल कर्मचारी 3

By Edited By: Published: Sun, 23 Feb 2014 10:03 PM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2014 10:53 PM (IST)

कानपुर, [शिवा अवस्थी]। अपने हक के लिए लड़ रहे उत्तर प्रदेश के एल्गिन मिल कर्मचारी 3916 दिनों से क्रमिक अनशन पर हैं। जो कि एक विश्व रिकॉर्ड है। बावजूद इसके अनशनकारियों की मांग पर आज तक विचार नहीं हो सका। हालांकि इसे अभी गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जा सका है।

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इन मजदूरों की बूढ़ी आंखों में अब भी चमक, शरीर में हिम्मत और नारों में जोशीला अंदाज बरकरार है। 30 जून 2001 में मिलें बंद हुई तो यहां काम करने वाले मजदूर ठगे रह गए। 15 मई 2003 को कानपुर ट्रेड यूनियन काउंसिल के मंत्री मुहम्मद समी अपने साथी बीएमएस नेता ऋषिकांत तिवारी के साथ मजदूरों को वीआरएस व बकाया का हक दिलाने के लिए क्रमिक अनशन पर बैठ गए। ऋषिकांत की मौत भी हो चुकी है। नेतृत्व कर रहे समी कहते हैं, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति व केंद्रीय मंत्रियों को पत्र लिखे। वर्ष 2004 में केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने छह माह में मिलें चलवाने का वादा किया लेकिन नतीजा सिफर है। आसपास जिलों के मजदूर भी आंदोलन में पहुंचते हैं। अनशन पर बैठे ओमप्रकाश यादव, राकेश तिवारी कहते हैं कि मिलें अफसरों, मजदूर नेताओं और बिल्डर्स के गठजोड़ से लड़खड़ा गई हैं। एल्गिन एक व दो के जमीन की कीमत करीब 1200 करोड़ रुपये है। जबकि मिल को चलाने के लिए 187 करोड़ रुपये की दरकार है। लेकिन 8.5 करोड़ के बकाया के चलते 20 हजार स्थायी व 1800 अस्थायी मजदूरों को हक नहीं मिल पा रहा है। फिलहाल यहां 29 लोग कार्यरत हैं।

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