बढ़ते हादसों के साथ बढ़ रहा सड़क सुरक्षा ऐप का चलन
सड़क सुरक्षा के लिए काम करने वाला 'सेव लाइफ' फाउंडेशन जल्द ही वोडाफोन की मदद से 'रोड सेफ' नामक ऐप लांच करने वाला है।
संजय सिंह, नई दिल्ली। सड़क सुरक्षा के प्रति बढ़ती जागरूकता के साथ ही, इससे जुड़े तकनीकी समाधानों का बाजार भी आकार ले रहा है। बाजार में ऐसे कई मोबाइल ऐप लांच हो चुके या हो रहे हैं जिनके उपयोग से न केवल हादसों को कम किया जा सकता है, बल्कि जरूरी मदद भी हासिल की जा सकती है। व्यक्तिगत चालकों के अलावा परिवहन प्रतिष्ठानों के लिए भी ये ऐप काफी उपयोगी साबित हो रहे हैं।
हाल ही में आइआइटी मद्रास ने एक ऐसा ऐप विकसित किया है जिसके जरिए ट्रांसपोर्टर या टूर आपरेटर अपने ड्राइवरों की गलतियों के साथ उनके तनाव और थकान के स्तर को दूर बैठे-बैठे आंक सकते हैं तथा उनका मार्गदर्शन कर सकते हैं। यह ऐप ड्राइवर के साथ-साथ उसके नियोक्ता को भी रियल टाइम फीड प्रदान करता है। यदि ड्राइवर ने ऐप द्वारा दिए गए एलर्ट के मुताबिक सुधार कर लिया तो ठीक, अन्यथा नियोक्ता के निर्देश उसे ऐसा करने को विवश कर देंगे। राज्य परिवहन निगमों के लिए भी यह ऐप काफी उपयोगी साबित हो सकता है, जिनके पास अपने ड्राइवरों की ड्राइविंग पर नजर रखने का कोई कारगर साधन फिलहाल नहीं है।
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इस समय बाजार में तकरीबन आधा दर्जन ऐसे ऐप उपलब्ध हैं जिनका उपयोग कर ड्राइवर सफर को अपेक्षाकृत सुरक्षित बना सकते हैं। मसलन क्रूजर ड्राइविंग के वक्त मोबाइल फोन के इस्तेमाल को सीमित करता है। यह केवल उन्हीं कॉल को रिसीव करता है जो अत्यावश्यक होती है और कॉल करने वाले को कुछ देर बाद कॉल करने को कहता है। इसी तरह सेफली होम नामक ऐप हादसे की स्थिति में वाहन की लोकेशन के साथ पुलिस और एंबुलेंस को एलर्ट भेजता है। कुछ इसी प्रकार की मदद वन टच रिस्पांस नामक ऐप से मिलती है। एक्सीडेंट होने पर इस कंपनी के लोग पहले स्वयं मौके पर पहुंचकर जरूरी सहायता उपलब्ध कराते हैं तथा फिर पुलिस व एंबुलेंस को बुलाते हैं। पार्टी हार्ड ड्राइवर्स नामका ऐप ऐसे लोगों के लिए है जो अक्सर शराब पीते गाड़ी चलाते हैं। ऐसे लोगों को यह ऐप उचित शुल्क पर ड्राइवर उपलब्ध कराता है।
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राजस्थान में एक ऐसा ऐप चलन में आया है जो ड्राइवर को दुर्घटना की स्थिति में आसपास उपलब्ध पुलिस पिकेट, अस्पतालों और एंबुलेंस सेवाओं आदि की लोकेशन बताकर उनसे कांटैक्ट स्थापित कराता है। इन ऐप की उपयोगिता को देखते हुए सरकार स्वयं सेवी संगठनों तथा सूचना व संचार क्षेत्र की कंपनियों को इस दिशा में काम करने के लिए प्रेरित कर रही है। मसलन, सड़क सुरक्षा के लिए काम करने वाला 'सेव लाइफ' फाउंडेशन जल्द ही वोडाफोन की मदद से 'रोड सेफ' नामक ऐप लांच करने वाला है।
इससे पहले स्वयं सरकार ने ऐप एम-परिवहन और ई-चालान लांच कर इस दिशा में पहल की थी। एम-परिवहन यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले ड्राइवर के डीएल व आरसी की आनलाइन जांच में पुलिस व आरटीओ की मदद करता है। जबकि ई-चालान ऑनलाइन चालान का प्लेटफार्म उपलब्ध कराता है।