आप भी काफी देर तक पेशाब रोकते हैं तो सावधान! यह खबर आपके लिए है
महिला रोग विशेषज्ञ नीता मिश्रा ने जागरण डाट काम से बात करते हुए बताया, 'पेशाब के जरिए शरीर के वेस्ट, टॉक्सिन आदि किडनी के जरिए छन कर बाहर निकलते हैं।'
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। अब महिलाएं भी खड़े होकर पेशाब कर पाएंगी। हाल ही में यह खबर आयी तो अचानक हर किसी की जुबान पर यह खबर थी। दरअसल यूरोपीय देश ऑस्ट्रिया की ग्रीन पार्टी के एक स्थानीय धड़े द्वारा महिलाओं को खड़े होकर पेशाब करने की ट्रेनिंग देने की बात सामने आयी है। इस ट्रेनिंग का मकसद महिलाओं को गंदे सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करने का तरीका सिखाना है।
भारत के संबंध में यह खबर उम्मीदें जगाने वाली है। अगर भारत में ऐसी कोई पहल होती है तो उससे देशभर में महिलाओं को फायदा होगा। अव्वल तो भारत में शौचालयों की ही कमी है। ऊपर से सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं की सुविधा के मामले भारत काफी पीछे है। ऐसे में अगर भारत में इस तरह की कोई पहल होती है तो उसके सफल होने की संभावनाएं काफी ज्यादा हैं।
भारत में सार्वजनिक शौचालयों की स्थित किसी से छिपी नहीं है। गंदे ही सही, पुरुषों के लिए तो शौचालय मिल भी जाते हैं, नहीं भी मिले तो वे कहीं भी खड़े होकर निपट लेते हैं। समस्या महिलाओं को लेकर है। एक तो पहले ही महिलाओं के लिए शौचालयों की संख्या काफी कम है, ऊपर से गंदगी के कारण भी महिलाएं सार्वजनिक शौचालयों का इस्तेमाल करने से बचती हैं। जो महिलाएं गंदे सार्वजनिक शौचालयों का इस्तेमाल करती हैं वह हमेशा इंफेक्शन के खतरे में रहती हैं।
क्या है जानकारों की राय
महिला रोग विशेषज्ञ नीता मिश्रा ने जागरण डाट काम से बात करते हुए बताया, 'पेशाब के जरिए शरीर के वेस्ट, टॉक्सिन आदि किडनी के जरिए छन कर बाहर निकलते हैं।' वह बताती हैं कि यूरिनरी बैग असल में एक मस्क्यूलर बैग है और जब वह भर जाता है, तो हमारे दिमाग को संदेश जाता है कि अब पेशाब जाना चाहिए। महिलाओं में यह क्षमता होती है कि वह काफी देर तक पेशाब रोक सकती हैं। ज्यादा देर तक पेशाब रोके रखने के कारण यूरिनरी बैग में जिवाणु पनपने लगते हैं, इससे उन्हें जल्दी-जल्दी यूरिनरी इंफेक्शन होने लगते हैं। ज्यादा देर तक पेशाब रोकने से शरीर में इसे रोकने की क्षमता और भी बढ़ती जाती है।
कई-कई घंटों तक पेशाब रोके रखने के कारण महिलाएं यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से ग्रसित हो जाती हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में शौचालयों से ज्यादा मोबाइल फोन हैं। ऐसे में जब शौचालय की सुविधा देना प्राथमिकता में ही शामिल न हो तो महिलाओं को लिए बीमारियों को न्योता देना सहज ही है।
डॉ. नीता मिश्रा कहती हैं- यूरिन में इंफेक्शन का सबसे पहले प्रभाव उसके ब्लैडर पर पड़ता है। इससे ब्लैडर में सूजन आ जाती है। इसके बाद जिवाणु बार-बार उसी जगह पर हमला कर-करके पूरे ब्लैडर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसमें मरीज को बहुत ज्यादा दर्द होता है और इसके कारण मरीज को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। कई बार मरीज को भारी-भरकम एंटीबायटिक्स देनी पड़ती हैं, क्योंकि इंफैक्शन ब्लैडर से होते हुए किडनी को भी नुकसान पहुंचाने लगता है।
2015: 60 फीसद के पास सुरक्षित और व्यक्तिगत शौचालय नहीं
साल 2015 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में अब भी 60 फीसद लोगों के पास सुरक्षित और व्यक्तिगत शौचालय नहीं है। हालांकि 1990 के मुकाबले हालात में 22.8 फीसद सुधार आया है। लेकिन शर्मनाक बात यह है कि भारत इस मामले में दक्षिण ऐशिया के 8 देशों में सातवें स्थान पर आता है, जबकि जनसंख्या और जमीन के मामले में भारत पहले स्थान पर है। यह उस देश में है जहां हर साल 1 लाख 40 हजार से ज्यादा 5 साल से उम्र के बच्चों की डायरिया के कारण मौत हो जाती है।
वाटरएड स्टेट की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में वह सभी 77.4 करोड़ लोग जिनके पास शौचालय की सुविधा नहीं है, अगर वे एक कतार में खड़े हो जाएं तो धरती से चांद तक या उससे भी आगे तक कतार चली जाएगी। हालांकि हालात को सुधारने के लिए सरकारी स्तर पर बड़ी पहल हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'स्वच्छ भारत' अभियान इसी का एक हिस्सा है। लेकिन इस बारे में भी रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ शौचालय बना देने से हालात नहीं सुधरेंगे।
2016: 96 फीसद से ज्यादा के पास शौचालय की सुविधा
भारत की मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन (एमओएसपीआई) ने साल 2016 में स्वच्छता स्टेटस रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत के गांवों में शौचालयों का इस्तेमाल 95.6 फीसद तक बढ़ गया है, जबकि शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 98.8 फीसद है।
यह आंकड़े मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) के एक रैपिड सर्वे में सामने आए। एनएसएसओ ने 73,176 ग्रामीण घरों और 41,538 शहरी घरों में यह सर्वे किया। इसमें अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा को छोड़कर देश के सभी राज्यों को शामिल किया गया।