Move to Jagran APP

GST की राह का रोड़ा हटा, अगले हफ्ते राज्यसभा में हो सकती है चर्चा

केंद्रीय कैबिनेट ने राज्यों और कांग्रेस की कुछ मांगों को स्वीकार कर जीएसटी बिल पारित होने के रास्ते को साफ कर दिया है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Thu, 28 Jul 2016 01:19 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2016 09:45 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) पर आम सहमति बनाने के लिए कैबिनेट ने संविधान संशोधन बिल को मंजूरी दे दी। इसमें एक प्रतिशत अतिरिक्त मैन्युफैक्चरिंग टैक्स का प्रावधान हटा दिया गया है। जीएसटी लागू होने से राज्यों को संभावित नुकसान की भरपाई पांच साल तक करने की गारंटी का प्रावधान भी कर दिया गया है। इससे मानसून सत्र में ही इसे राज्यसभा में पेश करने और पारित हो जाने की उम्मीद बंध गई है। लोकसभा इस बिल को पहले ही पास कर चुकी है।

loksabha election banner

- जीएसटी के अस्तित्व में आने से करों के जाल से मुक्ति मिलेगी

- पूरा देश एकीकृत बाजार में तब्दील हो जाएगा

- कांग्रेस के अवरोध के चलते राज्यसभा में लंबित है जीएसटी बिल

राज्यसभा में बिल पर होगी चर्चा

राज्यसभा से पास होने के बाद इसे लोकसभा से दोबारा पास कराना होगा। संविधान संशोधन बिल होने के कारण इसका दोनों सदनों से दो तिहाई बहुमत से पास होना जरूरी है। जीएसटी को इस साल पहली अप्रैल से ही लागू होना था, लेकिन कांग्रेस के विरोध के कारण इसमें देरी हो गई। कांग्रेस एक फीसद अतिरिक्त टैक्स के प्रावधान को ही हटाने की मांग करती रही है। इस बिल को लेकर पर्दे के पीछे गंभीर चर्चाओं का दौर चल रहा है।

जीएसटी पर जहां चर्चा होनी चाहिए वहां जारी है-अनंत कुमार

राज्यों के वित्त मंत्रियों संग हुई थी बैठक

राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की मंगलवार को हुई बैठक में जीएसटी दर की कैपिंग संविधान संशोधन बिल में नहीं करने की व्यापक राय से भी सरकार के हौसले को बल मिला है। वित्त मंत्री अरुण जेटली बिल पर सहमति बनाने के लिए प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। इस क्रम में जेटली ने बुधवार को तृणमूल कांग्रेस प्रमुख पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल से चर्चा की। ममता, नीतीश भी आए साथ ममता जीएसटी बिल पर सरकार के साथ हैं। जेटली ने बुधवार को दीदी को अपने घर लंच पर आमंत्रित किया था। दूसरी ओर एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल से हुई चर्चा में वित्तमंत्री ने जीएसटी का समर्थन करने का सरकार को भरोसा दिया है।

जदयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी जीएसटी को पारित कराने के पक्ष में हैं। समझा जाता है कि वित्त मंत्री की गुरुवार को माकपा महासचिव सीताराम येचुरी से बातचीत प्रस्तावित है। अन्नाद्रमुक, सपा और बसपा समेत सभी प्रमुख दलों के नेताओं से वित्त मंत्री की जीएसटी पर व्यापक सहमति बनाने के लिए चर्चा होगी।

जीएसटी आते ही बंद हो जाएंगे चेकपोस्ट

कांग्रेस पर बनेगा दबाव

सबसे अहम सियासी चर्चा कांग्रेस और सरकार के बीच होनी है। अभी तक दोनों पक्षों ने जीएसटी पर सहमति बनाने के लिए आधिकारिक बैठक का समय तय नहीं किया है। पर्दे के पीछे वित्त मंत्री के साथ कांग्रेस नेताओं- गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा के बीच निरंतर संवाद चल रहा है। बिल पर सहमति का खाका बनने के बाद कांग्रेस और सरकार की औपचारिक बैठक होनी है। उम्मीद की जा रही है कि यह अहम बैठक इस सप्ताह के अंत तक हो सकती है।

18 फीसद की सीमा

जीएसटी कैपिंग को 18 फीसद पर ही फिक्स करने पर राज्यों के वित्त मंत्रियों की कुछ आपत्तियों को केंद्र कोई अड़चन नहीं मान रहा क्योंकि वह भी कैपिंग का सर्वसम्मत दायरा तय करने के पक्ष में रहा है। 18 फीसद कैपिंग की मांग कांग्रेस की रही है। इस लिहाज से भी सरकार मान रही है कि कांग्रेस पर अपनी जिद छोड़ने का दबाव बढ़ेगा। सरकार कैपिंग को जीएसटी लागू करने से संबंधित दूसरे विधायी नियम या कानून में शामिल करने को राजी होने को तैयार है। कांग्रेस को इसी फार्मूले का रास्ता दिया जा रहा है।

जीएसटी पर सरकार कर रही राजनीतिक दलों से बातचीत

राज्यों को दिए संकेत

राज्यों की एक करोड़ की बजाय डेढ़ करोड़ रुपये तक के कारोबारियों को राज्य के दायरे में रखने की मांग भी मानने के केंद्र ने संकेत दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस शासित कर्नाटक के वित्त मंत्री ने राज्यों के वित्त मंत्रियों की बैठक के दौरान पार्टी हाईकमान की लाइन पर बात की। मगर कैपिंग के न्यूनतम और अधिकतम दायरे का विरोध भी नहीं किया। कांग्रेस सूत्रों ने भी संकेत दिए हैं कि कैपिंग को लेकर आपत्तियों पर पार्टी गौर कर रही है।

इसलिए है क्रांतिकारी कदम

राज्यों का वैट, केंद्रीय बिक्री कर, उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और अन्य अप्रत्यक्ष कर हटाकर सिर्फ एक टैक्स वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किया जाएगा। इससे कई टैक्सों का भार कम होगा और उनका अनुपालन आसान होगा। सभी राज्यों में टैक्स की दर समान होने से भी कारोबार में आसानी होगी।

क्यों लगा था मैन्युफैक्चरिंग टैक्स

दरअसल कई राज्य ऐसे हैं जहां मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां काफी तेज हैं जबकि उनकी आबादी कम होने के कारण वस्तुओं की बिक्री उतनी नहीं है। चूंकि जीएसटी अंतिम बिंदु यानी उपभोक्ता के स्तर पर लगना है। ऐसे में मैन्युफैक्चरिंग में अग्रणी राज्यों को कोई औद्योगिक व आर्थिक गतिविधियों का कोई लाभ नहीं मिलता। इसकी भरपाई के लिए चुने हुए मैन्युफैक्चरिंग वाले राज्यों के लिए एक फीसद अतिरिक्त टैक्स लगाने का प्रावधान था। लेकिन इसका अन्य राज्य विरोध कर रहे थे।

जीएसटी बिल पारित होने की उम्मीद बढ़ी, राज्यसभा में पांच घंटे होगी चर्चा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.