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नेताजी की मौत से जुड़े तथ्यों को उजागर करने की मांग से जुड़ी याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत से जुड़े तथ्यों को उजागर करने संबंधी एक जनहित याचिका को आज खारिज कर दिया। कोर्ट का कहना था कि वह इस संबंध में तुरंत सुनवाई नहीं करेगी। याचिकाकर्ता ने इस याचिका में नेताजी की मौत से संबंधित जानकारी को उजागर करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की बात कही थी।

By Edited By: Published: Tue, 12 Aug 2014 11:41 AM (IST)Updated: Tue, 12 Aug 2014 12:08 PM (IST)

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत से जुड़े तथ्यों को उजागर करने संबंधी एक जनहित याचिका को आज खारिज कर दिया। कोर्ट का कहना था कि वह इस संबंध में तुरंत सुनवाई नहीं करेगी। याचिकाकर्ता ने इसमें नेताजी की मौत से संबंधित जानकारी को उजागर करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की बात कही थी। याचिकाकर्ता की मांग थी कि इस संबंध में 1999 में आई जस्टिस मुखर्जी की रिपोर्ट को सरकार सार्वजनिक करे जिससे नेताजी की मौत का सच दुनिया को पता चल सके।

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दरअसल कुछ दिनों से यह खबर जोरों पर है कि केंद्र सरकार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नेताजी को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने पर विचार कर रही है। इसके बाद नेताजी के परपोते चंद्र कुमार बोस ने मांग की थी कि केंद्र सरकार उन्हें भारत रत्न देने से पहले यह सच उजागर करे की कि आखिर उनकी मौत कब, कहां और कैसे हुई थी।

उन्होंने दावा किया था कि परिवार के अधिकतर सदस्य नेताजी को यह सम्मान प्रदान किए जाने के खिलाफ हैं। इसके बजाय उनकी मांग है कि पहले उनके गायब होने की पहेली सुलझाई जाए।

बोस ने कहा, कि नेताजी साल 1945 से ही लापता हैं। जब आप उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करेंगे आपको यह कहना होगा कि उनकी मौत कब हुई लेकिन सबूत कहां हैं? उन्हें सम्मानित करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका यह होता कि उन सरकारी फाइलों को सार्वजनिक किया जाता, जिससे उनके गायब होने के पीछे की सच्चाई का खुलासा हो सकता। उन्होंने कहा कि उन्होंने महान नेता के परिवार के करीब 60 सदस्यों से बात की है, जिसमें कोई भी नेताजी की ओर से सम्मान प्राप्त करने को तैयार नहीं है।

गौरतलब है कि नेताजी के परिवार के सदस्यों और ओपन प्लेटफॉर्म फॉर नेताजी ने हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर नेताजी के गायब होने की जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक वर्तमान न्यायाधीश के निर्देशन में एक विशेष जांच दल गठित करने की मांग की थी।

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