फांसी तो हुई माफ, लेकिन काटनी होगी 36 साल जेल
सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी युवती के हत्यारे की फांसी की सजा 20 साल के कारावास में बदल दी है। कोर्ट ने साफ कर किया है कि 20 साल के सश्रम कारावास की यह सजा अभी तक भुगती जा चुकी जेल की सजा के अलावा होगी। हत्यारा धर्मदेव यादव 1
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी युवती के हत्यारे की फांसी की सजा 20 साल के कारावास में बदल दी है। कोर्ट ने साफ कर किया है कि 20 साल के सश्रम कारावास की यह सजा अभी तक भुगती जा चुकी जेल की सजा के अलावा होगी। हत्यारा धर्मदेव यादव 1998 से जेल में है। वह 16 साल की कैद में रह चुका है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक उसे 20 साल और जेल में रहना होगा। यानी कुल 36 साल की जेल भुगतनी होगी।
न्यूजीलैंड से भारत घूमने आई 24 वर्षीय डायना अगस्त 1997 में वाराणसी से लापता हो गई थी। धर्मदेव वाराणसी में डायना का टूरिस्ट गाइड था। उसने डायना को गाजीपुर में अपने गांव ले जाकर गला घोंट कर मार दिया था। हत्या के बाद शव घर के ही एक कमरे में गाड़ दिया था जिसे पुलिस ने उसकी निशानदेही पर बरामद किया था। डीएनए जांच से साबित हुआ कि बरामद शव पर्यटक डायना का ही था। सत्र अदालत व इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी हत्या के जुर्म में धर्मदेव को फांसी की सजा सुनाई थी। उसने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन व न्यायमूर्ति एके सीकरी की पीठ ने फांसी की सजा 20 साल के कारावास में तब्दील करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष मामला साबित करने में पूरी तरह सफल रहा। हत्या में क्रूर तरीका अपनाया गया या नहीं, इसका सबूत नहीं होने के कारण मामले को विरलतम मामला मानते हुए फांसी की सजा नहीं दी जा सकती। वे दोषी को 20 साल के कठोर कारावास की सजा देते हैं। यह सजा अब तक भुगती जा चुकी कैद के अलावा होगी। डायना का कंकाल करीब एक साल बाद बरामद हुआ था।
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