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'पोलोनियम 210' से सुनंदा की मौत ? नमूने भेजे जाएंगे विदेश

विसरा जांच के लिए नमूने यूके या यूएस भेजे जा सकते हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि कथित जहर के बारे में पता लगाने के लिए आधुनिक तकनीक की जरूरत है जो देश में मौजूद नहीं है।

By manoj yadavEdited By: Published: Tue, 06 Jan 2015 09:42 PM (IST)Updated: Wed, 07 Jan 2015 10:13 AM (IST)

नई दिल्ली। तकरीबन एक साल पहले हुई सुनंदा पुष्कर मौत मामले में नया मोड़ आ गया है। पुलिस के मुताबिक उनकी हत्या दुर्लभ जहर देकर की गई थी। हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहर के प्रकार का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि उनकी हत्या रेडियोधर्मी पदार्थ पोलोनियम 210 देकर की गई।

इस बीच विसरा जांच के लिए नमूने यूके या यूएस भेजे जा सकते हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि कथित जहर के बारे में पता लगाने के लिए आधुनिक तकनीक की जरूरत है जो देश में मौजूद नहीं है।

साथ ही जहर कई पदार्थों का मिश्रण बताया जा रहा है जिनमें पोलोनियम के अलावा थैलियम, सांप का जहर, फोटोलेबाइल जहर, हेरोइन और नीरियम ओलिएंडर शामिल हैं। भारतीय प्रयोगशालाओं में इनकी पहचान संभव नहीं है। इससे पहले फलस्तीनी नेता यासर अराफात और रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी के पूर्व एजेंट अलेक्जेंडर लिटविनेंको की मौत में भी पोलोनियम का नाम सामने आया था।

पोलोनियम 210 एक दुर्लभ रेडियोएक्टिव तत्व है। इसे धीमे जहर के रूप में जाना जाता है। वर्ष 1898 में मैरी क्यूरी और उनके पति पियरे क्यूरी ने इसकी खोज की थी। अपने देश पोलैंड के नाम पर उन्होंने इस तत्व का नाम पोलोनियम रखा। यूरेनियम की रासायनिक प्रक्रिया के दौरान यह उत्पन्न होता है। हालांकि न्यूक्लियर रिएक्टर में इसको कृत्रिम रूप से भी बनाया जा सकता है। खाने-पाने में मिलाकर, प्रदूषित वायु या खुले जख्म के माध्यम से यह शरीर में प्रवेश करता है। एक बार शरीर में प्रवेश करने के बाद इसके घातक प्रभावों को रोक पाना संभव नहीं है। इसके अल्फा विकिरण कण शरीर के अंगों, लिवर, किडनी, अस्थि मज्जा (बोन मैरो) पर घातक प्रभाव डालते हैं। इन अंगों के फेल हो जाने से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। मितली, बालों का गिरना और गले में सूजन इसके प्रमुख लक्षण हैं।

चर्चित मामले

यासर अराफात: फलस्तीन के नेता यासर अराफात की वर्ष 2004 में फ्रांस के एक सैन्य अस्पताल में मृत्यु हुई थी। कयास लगाए जाते हैं कि उनकी मौत पोलोनियम जहर देने से हुई। उनके टूथब्रश, कपड़ों की जांच से इसके प्रमाण मिले थे लेकिन बालों के गिरने और कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र के लक्षण नहीं मिले। इस कारण वैज्ञानिक उनकी मौत की गुत्थी के असल कारणों को अभी तक सुलझा नहीं पाए।

अलेक्जेंडर लिटविनेंको: सोवियत संघ के दौर की खुफिया एजेंसी केजीबी के एजेंट थे। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरोधी थे और निर्वासन में लंदन में रह रहे थे। वर्ष 2006 में उनको एक होटल में चाय में पोलोनियम मिलाकर पिलाया गया था। उसके तीन हफ्तों बाद उनकी मृत्यु हो गई।

अन्य मामले:

-माना जाता है कि मैडम क्यूरी की बेटी आइरीन क्यूरी एक बार गलती से प्रयोगशाला में इस तत्व के संपर्क में आ गई थीं। इसके चलते उनको ल्यूकीमिया हो गया और बाद में मौत हो गई।

-इजरायल के एक लेखक माइकल कारपिन ने दावा किया था कि वर्ष 1957 में वहां के वीजमान इंस्टीट्यूट ऑफ सांइसेज की प्रयोगशाला में पोलोनियम लीक होने की वजह से कई वैज्ञानिक इसकी चपेट में आ गए थे। बाद में उनकी कैंसर से मृत्यु हो गई थी। हालांकि इजरायल ने कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया।

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