श्रीनगर संसदीय सीट पर पुनर्मतदान कल, अर्द्धसैनिक बलों की 80 कंपनियां तैनात
संसदीय सीट के पीठासीन अधिकारी डॉ.फारूक अहमद लोन ने बताया कि पुनर्मतदान के लिए सभी तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। श्रीनगर संसदीय सीट के 38 मतदान केंद्रों पर गुरुवार को होने वाले पुनर्मतदान को लेकर प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है। उपद्रव की आशंका को देखते हुए पुलिस बल की 10 वाहिनियों और अर्द्धसैनिक बलों की 80 कंपनियों की विशेष तैनाती भी की गई है।
नौ अप्रैल को श्रीनगर संसदीय सीट पर हुए मतदान के दौरान सबसे ज्यादा हिंसा बड़गाम जिले में हुई थी। हिंसा में मारे गए आठ लोगों में से सात जिला बड़गाम से संबधित थे। पूरे क्षेत्र में मात्र 7.14 प्रतिशत मतदान हुआ था। केंद्रीय चुनाव आयोग ने मतदान केंद्रों का जायजा लेने और राजनीतिक दलों से बातचीत के बाद बड़गाम के 38 मतदान केंद्रों पर दोबारा मतदान कराने का फैसला किया था।
संसदीय सीट के पीठासीन अधिकारी डॉ.फारूक अहमद लोन ने बताया कि पुनर्मतदान के लिए सभी तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया है। हमने किसी भी मतदान केंद्र का स्थान नहीं बदला है, लेकिन प्रत्येक मतदान केंद्र की सुरक्षा के लिए अर्द्धसैनिकबलों की दो या उससे ज्यादा कंपनियों को तैनात किया गया है। तीन पुलिस अधीक्षक और एक अतिरिक्त एसपी रैंक के अधिकारी को विशेष तौर पर चुनाव ड्यूटी में तैनात किया गया है।
बड़गाम में तलाशी अभियान
पुनर्मतदान के दौरान अलगाववादियों व आतंकियों के समर्थकों पर काबू पाने के लिए पूरे बड़गाम में लगातार तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। शरारतीतत्वों की निशानदेही कर उन्हें हिरासत में लिया जा रहा है।
उतरे सात प्रत्याशी
श्रीनगर संसदीय सीट के उपचुनाव में हिस्सा ले रहे कुल नौ में से सात उम्मीदवारों ने बुधवार को लोगों से पुनर्मतदान से दूर रहने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह पुनर्मतदान गत रविवार से बिगड़ी कानून व्यवस्था को और दुरुस्त करने के बजाय कुछ अन्य लोगों की मौत का कारण बन सकता है। इसलिए बेहतर है लोग घरों में ही रहें।
उल्लेखनीय है कि श्रीनगर संसदीय सीट के उपचुनाव में नौ प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस के साझा उम्मीदवार डॉ.फारूक अब्दुल्ला और सत्ताधारी पीडीपी के नजीर अहमद खान के अलावा सात अन्य उम्मीदवार मैदान में हैं। बुधवार को एक होटल में सातों उम्मीदवारों ने साझा पत्रकार वार्ता बुलाई, जिसमें इन लोगों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हमें समझ नहीं आ रहा कि यहां लोग मर रहे हैं और चुनाव आयोग पुनर्मतदान की जिद पर अड़ा हुआ है।
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