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पार्रिकर के बयान से कांग्रेस में खलबली

देश के कुछ पूर्व प्रधानमंत्रियों द्वारा सुरक्षा हितों की अनदेखी संबंधी रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर के बयान से कांग्रेस में खलबली मच गई है। रक्षा मंत्री के बयान से नाराज मुख्य विपक्षी दल ने इसके सुबूत देने या फिर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा है।

By Sudhir JhaEdited By: Published: Fri, 23 Jan 2015 04:55 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jan 2015 07:39 PM (IST)
पार्रिकर के बयान से कांग्रेस में खलबली

नई दिल्ली। देश के कुछ पूर्व प्रधानमंत्रियों द्वारा सुरक्षा हितों की अनदेखी संबंधी रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर के बयान से कांग्रेस में खलबली मच गई है। रक्षा मंत्री के बयान से नाराज मुख्य विपक्षी दल ने इसके सुबूत देने या फिर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने शुक्रवार को कहा कि रक्षा मंत्री ने जो कुछ कहा है, उसकी गंभीरता से वे वाकिफ होंगे। इसलिए उन्हें तमाम सुबूतों को सार्वजनिक करना चाहिए।

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सुरजेवाला ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि पार्रिकर हमला कर भाग जाने की भाजपा की पारंपरिक रणनीति पर नहीं चलेंगे और अपने आरोपों के समर्थन में कुछ ब्योरा भी पेश करेंगे। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर राजनीति नहीं करने की चेतावनी भी दी। कांग्रेस प्रवक्ता ने रक्षा मंत्री से पूछा कि जिन सुरक्षा हितों से समझौता किया गया, वे रणनीतिक थे या उनका संबंध खुफिया मामलों से था? पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी और पार्टी के वरिष्ठ नेता पीसी चाको ने भी पार्रिकर के बयान की आलोचना की है।

भाजपा ने खारिज की मांग

कांग्रेस द्वारा रक्षा मंत्री से सुबूत या माफी की मांग के बाद सत्तारूढ़ भाजपा पार्रिकर के बचाव में उतर गई। पार्टी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि रक्षा मंत्री एक अत्यंत जिम्मेदार व्यक्ति हैं और उनका बयान पूरी तरह से तथ्यों पर आधारित है। लोगों को अगले ब्योरे तक इंतजार करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस बात से सभी वाकिफ हैं कि कांग्रेस के कई प्रधानमंत्रियों ने सुरक्षा हितों से समझौता किया था। भाजपा के एक और प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि रक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय हित की बात की है। उनके बयान को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

क्या कहा पार्रिकर ने

रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने बृहस्पतिवार को मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में कुछ पूर्व प्रधानमंत्रियों पर देश की समुद्री रक्षा तंत्र से समझौता करने का आरोप लगाया था। पार्रिकर ने कहा था कि समुद्री सुरक्षा तंत्र विकसित करने में 20 से 30 साल लग जाते हैं। दुखद यह है कि कुछ ऐसे प्रधानमंत्री हुए, जिन्होंने इन्हें जोखिम में डाला। नाम सार्वजनिक करने से इंकार करते हुए उन्होंने कहा कि उनके बारे में बहुत लोग जानते हैं।

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