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सुप्रीम कोर्ट ने रद किया जाटों का आरक्षण

अब जाटों को केंद्रीय नौकरियों में आरक्षण नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च, 2014 को संप्रग सरकार द्वारा जारी जाटों को आरक्षण देने वाली अधिसूचना रद कर दी है। नौ राज्यों के जाटों को पिछड़े वर्ग की केंद्रीय सूची में शामिल करने से असहमति जताते हुए कोर्ट ने मंगलवार

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2015 12:12 AM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2015 05:55 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने रद किया जाटों का आरक्षण

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अब जाटों को केंद्रीय नौकरियों में आरक्षण नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च, 2014 को संप्रग सरकार द्वारा जारी जाटों को आरक्षण देने वाली अधिसूचना रद कर दी है। नौ राज्यों के जाटों को पिछड़े वर्ग की केंद्रीय सूची में शामिल करने से असहमति जताते हुए कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि आंकड़े एक दशक पुराने हैं। इनके आधार पर पिछड़ेपन का आकलन नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि राजनीतिक रूप से संगठित जाटों को पिछड़े वर्ग की सूची में सिर्फ इस आधार पर शामिल नहीं किया जा सकता कि उनसे बेहतर स्थिति वाले लोग इसमें शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से एक बार फिर आरक्षण की राजनीति को झटका लगा है। फैसले पर विचार के लिए सर्व जाट खाप पंचायत ने 22 मार्च को हरियाणा के जींद में बैठक बुलाई है।

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सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले के बाद इन नौ राज्यों के जाटों को केंद्रीय नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि अगर जाट इन राज्यों की ओबीसी सूची में शामिल हैं तो उन्हें राज्य सरकार की नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिलता रहेगा। जाट आरक्षण को निरस्त करने वाला यह फैसला न्यायमूर्ति रंजन गोगोई व न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ ने सुनाया है।

राजग सरकार ने किया समर्थन

सत्ता में आने के बाद नई राजग सरकार ने भी जाट आरक्षण का समर्थन किया। उसने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा था कि यह जनहित में लिया गया फैसला है। उल्लेखनीय है कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने आम चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक लाभ लेने के लिए जाट आरक्षण का कार्ड खेला था।

पिछड़ा वर्ग आयोग ने किया था विरोध

पिछड़ा वर्ग आयोग ने जाटों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने का विरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने विभिन्न सामग्री, रिपोर्टों और पहलुओं का विश्लेषण करने के बाद इन नौ राज्यों के जाटों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल न करने की सिफारिश की थी।

ओबीसी आरक्षण रक्षा समिति ने दी थी चुनौती

सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला ओबीसी आरक्षण रक्षा समिति की जनहित याचिका पर दिया। यह समिति पिछड़ी जातियों की केंद्रीय सूची में शामिल समुदायों ने बनाई है। समिति के अलावा कई अन्य व्यक्तियों ने भी आरक्षण को चुनौती दी थी।

किस प्रांत में कितने फीसद जाट

हरियाणा : 27

राजस्थान : 30

दिल्ली : 15

उत्तरप्रदेश : 6

गुजरात : 10

मध्यप्रदेश : 8

उत्तराखंड : 4-5

हिमाचल प्रदेश : 3

बिहार : करीब 2 लाख

फैसले का असर

बिहार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान में धौलपुर व भरतपुर जिले और उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड के जाटों को नहीं मिलेगा केंद्रीय नौकरियों में आरक्षण

'जाति पिछड़ेपन का एक आधार हो सकती है, लेकिन एकमात्र आधार नहीं हो सकती। बेहतर हो कि सरकार पिछड़ेपन के आकलन के नए तरीके अपनाए और नए वर्गों को उसमें शामिल करे। जाट जैसी राजनीतिक रूप से संगठित जाति को आरक्षण देना अन्य पिछड़ी जातियों के कल्याण को बुरी तरह प्रभावित करेगा।' -सुप्रीम कोर्ट

'हम जाट आरक्षण का समर्थन करते हैं। कोई कमी रह गई तो उसे दूर कर कोर्ट की बड़ी बेंच में अपील करेंगे।' -चौधरी बीरेंद्र सिंह, केंद्रीय मंत्री

'सरकार को किसानों और पिछड़ों से कोई लेना-देना नहीं है। हम जनता के साथ खड़े हैं खड़े रहेंगे।' -चौधरी अजित सिंह, पूर्व मंत्री

'सरकार कुल्हाड़ी लेकर घूम रही है। इसने पहले किसानों का सिर काटा अब जाटों का।' -राकेश टिकैत, भाकियू मुखियापिछड़े नहीं हैं जाट, राजनीतिक लाभ के लिए दिया गया आरक्षण

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