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पिछड़े नहीं हैं जाट, राजनीतिक लाभ के लिए दिया गया आरक्षण

जाट पिछड़े नहीं हैं। सरकार ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए नौ राज्यों के जाटों को पिछड़े वर्ग (ओबीसी) की केंद्रीय सूची में शामिल किया है। ये दलीलें बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जाट आरक्षण पर शुरू हुई सुनवाई में आरक्षण का विरोध कर रहे वकीलों ने दीं। इस साल

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Thu, 27 Nov 2014 04:53 AM (IST)Updated: Thu, 27 Nov 2014 05:18 AM (IST)
पिछड़े नहीं हैं जाट, राजनीतिक लाभ के लिए दिया गया आरक्षण

माला दीक्षित, नई दिल्ली। जाट पिछड़े नहीं हैं। सरकार ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए नौ राज्यों के जाटों को पिछड़े वर्ग (ओबीसी) की केंद्रीय सूची में शामिल किया है। ये दलीलें बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जाट आरक्षण पर शुरू हुई सुनवाई में आरक्षण का विरोध कर रहे वकीलों ने दीं।

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इस साल आम चुनाव से ठीक पहले चार मार्च को सरकार ने नौ राज्यों दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान के दो जिलों (भरतपुर और धौलपुर), दिल्ली, मध्य प्रदेश और बिहार के जाटों को केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल किया था। जाट आरक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दस याचिकाएं लंबित हैं, जिन पर बहस शुरू हुई।

बुधवार को याचिकाकर्ता रामसिंह व अन्य की ओर से बहस करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गुरु कृष्णमूर्ति ने कहा कि इन राज्यों के जाट पिछड़े नहीं हैं और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने इन्हें केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल करने से मना कर दिया था।

इसके बावजूद सरकार ने राजनीतिक लाभ पाने के उद्देश्य से इन नौ राज्यों के जाटों को ओबीसी सूची में शामिल करने की अधिसूचना जारी कर दी। उन्होंने कहा कि सरकार के लिए एनसीबीसी की सिफारिश बाध्यकारी है। एनसीबीसी ने कहा है कि इन राज्यों में जाट पिछड़े नहीं है और इसलिए इन्हें केंद्रीय सूची में शामिल नहीं किया जा सकता।

वकील ने आईसीएसएसआर के सर्वे का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि सरकारी अधिसूचना में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि एनसीबीसी ने इन राज्यों के जाटों को ओबीसी सूची में शामिल करने से मना किया था। हरियाणा, दिल्ली व अन्य जगह ज्यादातर जाट भूस्वामी हैं। वे अपनी जमीन पर खेती करते हैं। वे दूसरे की जमीनों पर मजदूरी नहीं करते। सरकारी नौकरियों में भी उनका अच्छा खासा प्रतिनिधित्व है।

इन दलीलों पर सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि हरियाणा में जाट सामाजिक रूप से पिछड़े नहीं हैं, शैक्षणिक रूप से पिछड़े हो सकते हैं। वकील ने इस बारे में आरटीआई से प्राप्त सूचना के आंकड़े कोर्ट में पेश किए जो दिल्ली पुलिस और अन्य सरकारी नौकरियों में जाटों के अच्छी उपस्थिति दर्शाते थे। उन्होंने कहा कि ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण का ज्यादातर हिस्सा जाट ले जाते हैं।

याचिकाकर्ता के आंकड़े

दिल्ली पुलिस में जाट
हेड कांस्टेबिल- 32 फीसद
कांस्टेबिल- 32 फीसद
एएसआई- 27 फीसद
एसआई- 42 फीसद
इंस्पेक्टर- 18 फीसद
एसीपी- 18 फीसद

1. राजस्थान प्रशासनिक सेवा, 2011 में कुल 30 ओबीसी उम्मीदवार चयनित हुए। इनमें से 25 जाट थे।
2. उत्तर प्रदेश के बीटीसी चयन, 2010 में मुजफ्फरनगर में कुल ओबीसी चयनित उम्मीदवार 85, जिनमें से जाट उम्मीदवार 60 थे।
3. बागपत में 27 ओबीसी में 21 जाट उम्मीदवार थे।
4. बिजनौर में 27 ओबीसी में से 18 जाट थे।
5. वर्ष 2012 की यूपीएससी परीक्षा में कुल चयन 998 (पूरे देश में) जिसमें से 30 जाट हैं।

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