फिर जेल में ही मनेगी आसाराम की दिवाली
दुष्कर्म के आरोपी कथावाचक आसाराम की दूसरी दिवाली भी जेल में ही कटेगी। सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को नियमित जमानत देने से इन्कार कर दिया है। यही नहीं खराब स्वास्थ्य के आधार पर मांगी गई अंतरिम जमानत पर फैसला एम्स मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट आने तक टल गया है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दुष्कर्म के आरोपी कथावाचक आसाराम की दूसरी दिवाली भी जेल में ही कटेगी। सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को नियमित जमानत देने से इन्कार कर दिया है। यही नहीं खराब स्वास्थ्य के आधार पर मांगी गई अंतरिम जमानत पर फैसला एम्स मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट आने तक टल गया है।
कोर्ट ने एम्स के मेडिकल बोर्ड से आसाराम के स्वास्थ्य और नाइफ गामा सर्जरी पर रिपोर्ट देने को कहा है। हालांकि पिछले साल अगस्त से जेल में बंद आसाराम के लिए एक राहत की भी खबर है सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से पीड़िता की उम्र संबंधी दस्तावेजों की जांच करने को कहा है।
न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को कहा कि आसाराम को अभी जमानत नहीं दी जा सकती। पीठ के मुताबिक मामले से जुड़े अभियोजन पक्ष के छह अहम गवाहों के बयान दर्ज होने के बाद ही आसाराम नई जमानत अर्जी दाखिल कर सकते हैं। आसाराम की ओर से पीड़िता के नाबालिग होने पर उठाए गए सवालों पर कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से कहा है कि वह पीड़िता के स्कूल में प्रवेश संबंधी दस्तावेजों और एलआइसी पालिसी के दस्तावेजों की जांच करे, लेकिन ध्यान रखे कि इस काम में ज्यादा वक्त न लगे। आसाराम का आरोप है कि पीड़िता नाबालिग नहीं है और इसलिए उन पर पॉक्सो कानून के तहत मामला नहीं चलाया जा सकता।
चिकित्सा आधार पर मांगी गई अंतरिम जमानत पर कोर्ट ने एम्स से कहा है कि वह एक मेडिकल बोर्ड गठित करे और वह बोर्ड राजस्थान मेडिकल कालेज द्वारा आसाराम के स्वास्थ्य के बारे में दी गई रिपोर्ट का आंकलन करके चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगा। एम्स का मेडिकल बोर्ड आसाराम की गामा नाइफ सर्जरी के बारे में भी राय देगा।
कोर्ट ने कहा है कि अगर मेडिकल बोर्ड आसाराम की क्लीनिकल जांच की बात कहता है तो राजस्थान सरकार हिरासत में ही आसाराम को उस जांच के लिए एम्स लाने का इंतजाम करेगी।