सचिवों-बाबूओं से कम वेतन पर छलका सांसदों का दर्द
सपा सांसद ने कहा कि आलम यह है कि सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद हमारे सचिवों और छोटे सरकारी बाबूओं की तनख्वाह भी हमसे ज्यादा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लंबे अर्से से लटके सांसदों के वेतन-भत्ते की वृद्धि की मांग पर सरकार ने अब भी कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है। 15वीं लोकसभा की शुरूआत से ही वेतन में इजाफे की मांग कर रहे सांसदों का कहना है कि सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद उनका वेतन तो छोटे सरकारी बाबूओं से भी काफी कम है। माननीयों के वेतन-भत्ते में इजाफा नहीं होने की इस कसक को राज्यसभा में बुधवार को जोर-शोर से उठाया गया।
सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने इस मामले को उठाते हुए कहा कि काफी समय से सांसदों के वेतन-भत्ते में इजाफे का प्रस्ताव विचाराधीन है। उनका कहना था कि सांसदों को अपने क्षेत्र की जनता के बीच जाने से लेकर सामाजिक सरोकार और जवाबदेही निभाने में काफी खर्च करना पड़ता है। अग्रवाल ने कहा कि सांसदों के वेतन में वृद्धि के मसले को लेकर काफी आलोचनात्मक नजरिया अपनाया जाता है।
सपा सांसद ने कहा कि आलम यह है कि सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद हमारे सचिवों और छोटे सरकारी बाबूओं की तनख्वाह भी हमसे ज्यादा है। कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने अग्रवाल की बात का समर्थन किया। शर्मा ने कहा कि सांसदों को यह कह कर अपमानित भी किया जाता है कि हम अपना वेतन खुद ही बढ़ाते हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि दुनिया में देखें तो हमारे यहां सांसदों का वेतन सबसे कम है। अग्रवाल ने वेतन वृद्धि पर गठित योगी आदित्यनाथ समिति की सिफारिशें तत्काल लागू करने की मांग भी की।
कई सांसदों ने इस मांग के दौरान अपनी मुखर सहमति का इजहार किया। गौरतलब है कि सांसदों के वेतन वृद्धि का करीब दो साल पहले प्रस्ताव तैयार किया गया था जिसमें सांसदों के मौजूदा 50 हजार रुपए वेतन को बढ़ाकर 2.80 लाख प्रति माह करने की बात थी। इसमें वेतन और भत्ते का पूरा हिस्सा शामिल था। मगर सरकार इस प्रस्ताव पर आगे नहीं बढ़ी। इसके बाद पिछले साल स्पीकर सुमित्रा महाजन ने योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में वेतन-भत्ता वृद्धि पर सांसदों की समिति गठित की। इसी बीच योगी उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए।
हालांकि अभी योगी ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है और उनकी अगुआई में समिति ने वेतन-भत्ते में इजाफे की अपनी सिफारिश सौंप दी है। सांसदों के वेतन-भत्ते में पिछले सात साल में कोई बदलाव नहीं हुआ है। पिछली लोकसभा में 2010 में आखिरी बार सांसदों के वेतन-भत्ते में इजाफा किया गया था।
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