दलबदलुओं के सहारे लगेगी भाजपा की नैया पार!
उत्तराखंड में टिकट ना मिलने से नाराज कुछ नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ने फैसला किया है। वहीं यूपी में भी कई दलबदलुओं को टिकट देने के बाद भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी होने वाली हैं।
नई दिल्ली, मनीष नेगी। विरोधी दलों के नेताओं को अपने पाले में कर भारतीय जनता पार्टी यूपी-उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में जीत फतह कर सत्ता का सुख भोगना चाहती है। उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्री समेत विरोधी दलों के कई बड़े नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। जबकि यूपी में भी भाजपा अन्य दलों से आए कई नेताओं को अपने झंडे तले चुनाव लड़ा रही है। लेकिन, अपनी पार्टी के नेताओं को दरकिनार कर रातों-रात भाजपा में शामिल हुए नेताओं को टिकट देकर चुनाव में जीत हासिल करना इतना आसान नहीं है।
उत्तराखंड में टिकट ना मिलने से नाराज कुछ नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ने फैसला किया है। वहीं यूपी में भी कई दलबदलुओं को टिकट देने के बाद भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी होने वाली हैं।
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यूपी में दलबदलुओं पर ज्यादा भरोसा
यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा की पहली लिस्ट जारी होने के बाद यह साफ हो गया है कि पार्टी को अपने नेताओं से ज्यादा दूसरे दलों से आए नेताओं पर ज्यादा भरोसा है। भाजपा की जारी पहली उम्मीदवारों की लिस्ट में करीब ऐसे 24 उम्मीदवार हैं जिन्होंने कुछ दिन पहले ही भाजपा का दामन थामा है।
रमेश तोमर का इस सूची में बड़ा नाम है। कांग्रेस का साथ छोड़कर रमेश तोमर हाल ही में भाजपा में शामिल हुए और उन्हें टिकट भी मिल गया है। रमेश तोमर धौलाना विधानसभा से भाजपा के लिए ताल ठोकेंगे। इसके बाद बड़ा नाम सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए राजा अरिदमन सिंह की पत्नी पक्षालिका सिंह का है। वे आगरा की बाह सीट से भाजपा के लिए चुनाव लड़ेंगी। वहीं, राजा अरिदमन सिंह को टिकट नहीं मिल पाया। इसे अलावा बीएसपी के सात विधायक, आरएलडी के दो विधायक और कांग्रेस के एक विधायक को भी भाजपा ने टिकट दिया है।
इसके अलावा कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा में शामिल होने वाली वाली रीता बहुगुणा जोशी को लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ाने की चर्चा है। रीता अभी इसी सीट से विधायक हैं। साथ ही बीते साल अगस्त में भाजपा में शामिल होने वाले बसपा के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को भी पार्टी अपना उम्मीदवार बना सकती है। मौर्य को भाजपा ने प्रदेश चुनाव समिति का सदस्य बनाया है।
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उत्तराखंड में भी चुनौती कम नहीं
उत्तराखंड में 64 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार चुकी भाजपा की चुनौती यहां भी कम नहीं है। पिछले कुछ महीनों में ही कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए नेताओं को टिकट मिलने के कारण पार्टी नेताओं में जबरदस्त आक्रोश है। जबकि भाजपा ने अपने कुछ मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए हैं। लगभग 15 विधानसभा सीटों पर भाजपा के स्थानीय नेताओं ने बगावती सुर अपना लिए हैं।
यमकेश्वर से तीन बार विधायक रह चुकीं विज्या बड़थ्वाल ने निर्दलीय लड़ने का एलान किया है। रुड़की से भी सुरेश जैन ने निर्दलीय ताल ठोकने का फैसला किया है। वहीं चौबट्टाखाल से भाजपा के मौजूदा विधायक और पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। चौबट्टाखाल से भाजपा ने सतपाल महाराज को चुनावी रण में उतारा है।
केदारनाथ की पूर्व विधायक और भाजपा नेता आशा नौटियाल, पुरौला के पूर्व विधायक राजकुमार, अल्मोड़ा से भाजपा के पूर्व विधायक कैलाश शर्मा और काशीपुर से पूर्व भाजपा विधायक राजीव अग्रवाल ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। वहीं कोटद्वार से हरक सिंह रावत को टिकट दिए जाने से भी भाजपा के स्थानीय नेताओं में नाराजगी है।
वहीं राजनीति में परिवारवाद के मुद्दे पर दूसरे दलों पर तंज कसने वाली भाजपा ने राज्य में रिश्ते-नातेदारों को जमकर टिकट बांटे हैं। उत्तराखंड में भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ बहुगुणा को टिकट दिया है जो पहले कांग्रेसी थे। टिकट बंटवारे के कुछ घंटे पहले भाजपा में शामिल होने वाले प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष यशपाल आर्य और उनके पु़त्र संजीव आर्य को टिकट दे दिया गया। यमकेश्वर से भाजपा ने पूर्व सीएम बीसी खंडूरी की बेटी रितू खंडूरी भूषण को टिकट दिया है।
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